बिलकिस बानो मामला: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की गुजरात सरकार की याचिका, की गई थी ये गुजारिश

Edited By Pardeep,Updated: 27 Sep, 2024 12:43 AM

bilkis bano case supreme court rejects gujarat government s petition

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में 8 जनवरी 2024 के फैसले के खिलाफ गुजरात सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका गुरुवार को खारिज कर दी।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में 8 जनवरी 2024 के फैसले के खिलाफ गुजरात सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने राज्य सरकार के अलावा मामले में दुष्कर्म और हत्या के के दोषियों में शामिल रमेश रूपाभाई चंदना की ओर से फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया। याचिकाएं 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई को रद्द करने में शीर्ष अदालत की टिप्पणियों के बाद दायर की गई थीं। शीर्ष अदालत ने इस मामले में खुली अदालत में सुनवाई के लिए दायर एक आवेदन को भी खारिज कर दिया। 

सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार, पुनर्विचार याचिका पर (बिना अधिवक्ता) सिफर् दस्तावेज के आधार पर न्यायाधीश कक्ष में फैसला किया जाता है। पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'समीक्षा याचिकाओं में चुनौती दिए गए आदेश और उसके साथ संलग्न दस्तावेजों को ध्यानपूर्वक देखने के बाद हम इस बात से संतुष्ट हैं कि रिकॉर्ड के अनुसार कोई त्रुटि या समीक्षा याचिकाओं में कोई ऐसी विशेषता नहीं है, जिसके कारण आदेश पर पुनर्विचार किया जाए।' गुजरात सरकार ने अपनी दलील में न्यायालय के आदेश में 'कई त्रुटियों' का दावा किया था।

राज्य सरकार ने यह भी तर्क दिया था कि शीर्ष अदालत का यह मत कि गुजरात सरकार ने 'अभियुक्तों के साथ मिलकर काम किया और मिलीभगत की' उसके लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा करता है। इस याचिका में शीर्ष अदालत द्वारा गुजरात सरकार को इस न्यायालय (उच्चतम न्यायालय) के पिछले आदेश का पालन करने के लिए 'सत्ता हड़पने' और 'विवेक के दुरुपयोग' का दोषी ठहराए जाने की टिप्पणी पर सवाल उठाया गया था। 

राज्य सरकार ने कहा कि इस न्यायालय की एक अन्य समन्वय पीठ ने 13 मई, 2022 को गुजरात राज्य को सीआरपीसी की धारा 432(7) के तहत 'उपयुक्त सरकार' माना और 1992 की छूट नीति के अनुसार 11 अभियुक्तों में से एक की छूट आवेदन पर निर्णय लेने के लिए परमादेश जारी किया, जो दोषसिद्धि के समय अस्तित्व में थी। 

शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह न्यायालय यह समझने में विफल रहा कि 13 मई, 2022 के निर्णय में पारित निर्देश एक 'परमादेश' था, राज्य उक्त कार्यवाही में एक पक्ष होने के नाते निर्देश का पालन करने के लिए बाध्य था।' न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुयान की (सर्वोच्च न्यायालय) पीठ ने सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था, जबकि पिछले निर्णय को इस आधार पर 'अमान्य और कानून की द्दष्टि में अवास्तविक' घोषित किया था कि यह न्यायालय के साथ धोखाधड़ी करके और तथ्यों का खुलासा न करके और गलत तरीके से प्रस्तुत करके प्राप्त किया गया था।
 

Related Story

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!