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युद्ध से तबाह गाजा को फिर बसाने में लगेंगे अरबों डॉलर, भारत कितनी मदद करेगा?

Edited By Tanuja,Updated: 29 Jan, 2025 07:36 PM

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इजरायल-हमास युद्ध ने गाजा को खंडहर में बदल दिया है। उत्तरी गाजा में इमारतों का मलबा चारों ओर फैला हुआ है, सड़कें तबाह हो चुकी हैं, और बिजली-पानी की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त...

International Desk:  इजरायल-हमास युद्ध ने गाजा को खंडहर में बदल दिया है। उत्तरी गाजा में इमारतों का मलबा चारों ओर फैला हुआ है, सड़कें तबाह हो चुकी हैं, और बिजली-पानी की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। इस तबाह शहर को फिर से बसाने में अरबों डॉलर की जरूरत होगी। युद्धविराम के बाद जब लोग अपने घरों की ओर लौटे, तो वे अपने शहर को पहचान भी नहीं पाए। जहां कभी घर, बाजार और स्कूल हुआ करते थे, वहां अब सिर्फ मलबे के ढेर हैं। इजरायली बमबारी और जमीनी हमलों ने गाजा के कई कस्बों और गांवों को पूरी तरह मिटा दिया है।  
 

  • सड़कें और इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह नष्ट  
  •  स्कूल और अस्पताल बुरी तरह क्षतिग्रस्त 
  •  बिजली और पानी की आपूर्ति लगभग ठप 

 

 पुनर्निर्माण की चुनौती  
गाजा के लोगों के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि पुनर्निर्माण कब और कैसे होगा। इजरायल और हमास के बीच हुए युद्धविराम समझौते में इस बात का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि युद्ध के बाद गाजा का प्रशासन कौन संभालेगा।  2007 से गाजा पर हमास का नियंत्रण है, जिसके कारण इजरायल और मिस्र ने इस क्षेत्र पर कड़ी नाकाबंदी लगा रखी है। इस नाकाबंदी के कारण निर्माण सामग्री और मानवीय सहायता गाजा तक पहुंचने में मुश्किलें आती हैं।  संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अगर नाकाबंदी जारी रहती है तो गाजा के पुनर्निर्माण में  350 साल तक लग सकते हैं। 

 

गाजा को कितना नुकसान हुआ? 
संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध से गाजा को भारी नुकसान हुआ है:  
-  245,000 से अधिक घर नष्ट हो गए हैं   
-  68% सड़क नेटवर्क पूरी तरह क्षतिग्रस्त 
- गाजा की 69% संरचनाएं नष्ट या क्षतिग्रस्त  
- 18 लाख से अधिक लोग बेघर 
- जल आपूर्ति का केवल 25% हिस्सा चालू  

 

आर्थिक नुकसान 
विश्व बैंक का अनुमान है कि युद्ध के कारण गाजा को 18.5 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है, जो 2022 में वेस्ट बैंक और गाजा के संयुक्त आर्थिक उत्पादन के बराबर है। मलबा हटाने में ही लगेंगे 21 साल । संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा में 50 मिलियन टन (5 करोड़ टन) से अधिक मलबा  पड़ा हुआ है।  

- मलबा हटाने में 1.2 अरब डॉलर का खर्च आएगा ।
-  अगर 100 से अधिक ट्रक बिना रुके काम करें, तो भी सफाई में 15 साल लगेंगे   ।
- मलबे में 10,000 से अधिक शव दबे होने की आशंका ।

 

 नाकाबंदी बनी सबसे बड़ी बाधा   
इजरायल का कहना है कि अगर नाकाबंदी हटाई गई तो हमास फिर से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा सकता है। इजरायल को डर है कि हमास सीमेंट और धातु के पाइप का इस्तेमाल सुरंगें और रॉकेट बनाने में कर सकता है।  

 

भारत कितनी मदद करेगा?  
भारत पहले भी फिलिस्तीनी क्षेत्रों में मानवीय सहायता भेजता रहा है। हालांकि, इस बार भारत की ओर से किसी ठोस सहायता की घोषणा नहीं की गई है। लेकिन यह तय है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बिना गाजा का पुनर्निर्माण असंभव होगा।  गाजा का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस तबाही के बाद कितनी मदद करता है और इजरायल-हमास संघर्ष का राजनीतिक समाधान कैसे निकलता है।

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