Edited By Anu Malhotra,Updated: 26 Oct, 2024 09:30 AM
एक छोटी बच्ची जो जन्म लेने के कुछ ही सालों बाद अपने जन्मदाता माता-पिता के प्यार से बिछुड़ गई। वह अब जर्मनी के पालक गृह में बंद है। 6 साल की अरिहा शाह, अपने माता-पिता से मिलने और उनसे प्यार पाने के लिए तरस रही है।
नेशनल डेस्क: एक छोटी बच्ची जो जन्म लेने के कुछ ही सालों बाद अपने जन्मदाता माता-पिता के प्यार से बिछुड़ गई। वह अब जर्मनी के पालक गृह में बंद है। 6 साल की अरिहा शाह, अपने माता-पिता से मिलने और उनसे प्यार पाने के लिए तरस रही है।
अरिहा को 3 साल पहले, मात्र 3 साल की उम्र में, जर्मनी के अधिकारियों ने दुर्व्यवहार के आरोपों के बाद अपने माता-पिता से अलग कर दिया था। चूंकि अरिहा जर्मन नागरिक है, उस पर जर्मनी के कानून लागू होते हैं, जिसके तहत उसे 18 साल की उम्र तक फोस्टर केयर में ही रहना होगा। जर्मन अदालत के इस फैसले के बाद, उसे अपने परिवार के साथ रहने की अनुमति नहीं है।
परिवार की गुहार और सीनियर नेताओं से अपील अरिहा के माता-पिता, अहमदाबाद निवासी भावेश शाह और उनकी पत्नी धारा, ने इस फैसले के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मदद की गुहार लगाई है। वे वर्क वीजा पर जर्मनी में रहते हैं और उनका कहना है कि घटना के वक्त अरिहा के डायपर में खून दिखने पर वे उसे अस्पताल ले गए थे।
अस्पताल में उन्होंने बताया कि चोट अरिहा के निजी हिस्से पर लगी थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने यौन शोषण और क्रूरता का आरोप लगाते हुए मामले को अधिकारियों को सौंप दिया। इसके बाद जर्मन अधिकारियों ने अरिहा को उनकी कस्टडी से लेकर बाल गृह भेज दिया।
जैन पर्व पर धार्मिक स्वतंत्रता की अनुमति हालांकि, हाल ही में जर्मन अधिकारियों ने अरिहा को जैन धर्म के पर्व पयुर्षण में भाग लेने की अनुमति दी, जो उसके धार्मिक पालन का हिस्सा है।
विदेश मंत्रालय की पहल और राजनयिक प्रयास भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है और जर्मनी में स्थित भारतीय अधिकारियों के माध्यम से अरिहा के माता-पिता से मिलने के प्रयास किए जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, अरिहा की देखभाल का माहौल उसके लिए अजनबी और अलग है।
इस मामले पर MEA लगातार जर्मनी के साथ संवाद बनाए हुए है और जर्मन अधिकारियों के साथ समाधान के प्रयास कर रहा है। भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने भी इस पर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने बताया कि जर्मन अधिकारी भारत के विदेश मंत्रालय और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर मामले का हल निकालने के प्रयास कर रहे हैं।