Edited By Mahima,Updated: 27 Nov, 2024 11:50 AM
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद गहरा गया है। बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम का ऑफर दिया, जिसे शिंदे ने ठुकरा दिया। अब बीजेपी को शिंदे का समर्थन बनाए रखने के लिए नई रणनीति बनानी होगी। शिंदे अपने करीबी सहयोगी...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से राज्य की राजनीति में हलचल मची हुई है। चुनाव परिणामों के बाद बीजेपी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद गहरा गया है। बीजेपी आलाकमान ने साफ कर दिया है कि इस बार महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बीजेपी से होगा, लेकिन इस मुद्दे पर अभी भी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। पार्टी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए ऑफर दिया था, लेकिन शिंदे ने डिप्टी मुख्यमंत्री का ऑफर ठुकरा दिया है, जिससे बीजेपी के सामने नई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।
बीजेपी के पर्यवेक्षकों की नियुक्ति अब भी बाकी
बीजेपी आलाकमान ने महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चयन के लिए कुछ पर्यवेक्षकों को नियुक्त करने की योजना बनाई थी, लेकिन अभी तक इन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए रखने की कोशिश कर रही है, क्योंकि शिंदे के पास राज्य में मजबूत राजनीतिक समर्थन है। साथ ही, उनके पास 9 सांसद भी हैं, जो केंद्र में मोदी सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में बीजेपी को शिंदे को नाराज नहीं करने का कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती, खासकर तब जब पार्टी को महाराष्ट्र में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने की जरूरत है।
एकनाथ शिंदे का डिप्टी सीएम का ऑफर ठुकराना
बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को दो बड़े ऑफर दिए थे— एक केंद्रीय मंत्री का और दूसरा डिप्टी मुख्यमंत्री का। हालांकि, शिंदे ने डिप्टी सीएम का ऑफर ठुकरा दिया, जिसके बाद बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गईं। इससे पहले, अजित पवार ने भी बीजेपी के फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाए जाने की वकालत की थी, लेकिन पवार की बदलती रणनीतियों के कारण बीजेपी अभी शिवसेना के साथ ही संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उसे शिंदे के समर्थन को खोने का खतरा नहीं उठाना चाहिए, क्योंकि उनकी नीतियों और कार्यों से पार्टी को महाराष्ट्र में लाभ हो सकता है।
शिंदे के करीबी और डिप्टी सीएम की दौड़
सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे अपने करीबी सहयोगी और कोंकण क्षेत्र के विधायक उदय सामंत को डिप्टी सीएम बना सकते हैं। उदय सामंत शिंदे के भरोसेमंद नेताओं में से एक माने जाते हैं और उनकी रत्नागिरी सीट पर अच्छी पकड़ है। इसके अलावा, शिंदे अपने बेटे श्रीकांत को भी डिप्टी सीएम बना सकते हैं। श्रीकांत शिंदे की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, और उनके बाद खाली हुई सीट से शिंदे खुद लोकसभा चुनाव लड़कर केंद्रीय मंत्री बन सकते हैं।
बीजेपी की दुविधा: साम-दाम-दंड-भेद
बीजेपी के लिए अब यह स्थिति और भी जटिल हो गई है, क्योंकि पार्टी के सामने एक ओर चुनौती है: वह महाराष्ट्र में किंग बनी रहना चाहती है, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर विवाद पार्टी के लिए समस्या बनता जा रहा है। बीजेपी की कोशिश है कि वह महाराष्ट्र की सत्ता में बनी रहे, और साथ ही मोदी सरकार के लिए जरूरी सांसदों का समर्थन भी बनाए रखे। इस दुविधा के बीच, बीजेपी को हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा, ताकि वह अपना लक्ष्य हासिल कर सके और अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखे।
शिंदे का मीडिया से दूरी बनाना
इस बीच, एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को मुंबई में आयोजित कुछ कार्यक्रमों में भाग लिया, लेकिन उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी। शिंदे के समर्थक पहले यह चाहते थे कि बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बनाए, लेकिन पार्टी की नाराजगी के बाद शिंदे समर्थक अब बीजेपी आलाकमान के फैसले से सहमत होने की ओर बढ़ रहे हैं। यह बदलाव इस बात का संकेत हो सकता है कि शिंदे अपने नेतृत्व में महाराष्ट्र में सत्ता की साझेदारी को लेकर लचीला रुख अपना सकते हैं, लेकिन उनका कोई भी निर्णय बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
बीजेपी और शिवसेना के रिश्तों में टकराव
बीजेपी की रणनीति अब इस बात पर निर्भर करेगी कि वह शिवसेना और शिंदे के बीच सत्ता की साझेदारी में संतुलन कैसे बनाए रखती है। बीजेपी ने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए साम, दाम, दंड और भेद की नीति अपनाई है, ताकि वह न केवल महाराष्ट्र में सत्ता में बनी रहे, बल्कि केंद्र में अपनी सरकार को भी स्थिर बनाए रखे। इस समय महाराष्ट्र में राजनीति की दिशा अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन यह तय है कि आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति में और अधिक उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।