Edited By Radhika,Updated: 24 Mar, 2025 01:52 PM
संसद के बजट सत्र में बीजेपी ने संविधान के मुद्दे पर जमकर कांग्रेस पार्टी का घेराव किया है। इस मुद्दे के ज़रिए बीजेपी अब उस पिच पर खेल रही है जिस पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव के दौरान उसे घेर रही थी।
नेशनल डेस्क : संसद के बजट सत्र में बीजेपी ने संविधान के मुद्दे पर जमकर कांग्रेस पार्टी का घेराव किया है। इस मुद्दे के ज़रिए बीजेपी अब उस पिच पर खेल रही है जिस पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव के दौरान उसे घेर रही थी। ऐसा माना जा रहा है कि अब नेता राहुल गांधी का संविधान वाला हथियार बीजेपी सरकार के हाथों में आ गया है। जानकारी के लिए बता दें कि यह पूरा मुद्दा कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के एक बयान से शुरू हुआ। डिटेल में जानते हैं कि पूरा मामला है क्या?
डीके शिवकुमार के बयान ने मचाया घमासान-
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के एक बयान ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा था कि यदि आवश्यक हुआ, तो संविधान में बदलाव भी किया जा सकता है। उनके इस बयान को बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।
बीजेपी का आरोप-
बीजेपी ने डीके शिवकुमार के बयान को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है। बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस मुस्लिम आरक्षण के लिए बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को बदलना चाहती है। बीजेपी ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया है।

संसदीय कार्रवाई:
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि वे मुस्लिम आरक्षण के लिए संविधान क्यों बदलना चाहते हैं। राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस संविधान की रक्षक होने का दावा करती है, लेकिन कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण देकर संविधान का उल्लंघन कर रही है। किरेन रिजिजू ने लोकसभा में भी कर्नाटक के मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाया और कहा कि धर्म के नाम पर आरक्षण संविधान के खिलाफ है।
कांग्रेस के लिए झटका-
यह मुद्दा कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बीजेपी पर संविधान बदलने का आरोप लगाया था। राहुल गांधी ने कई मौकों पर संविधान की प्रति लेकर बीजेपी को घेरा था। अब, डीके शिवकुमार के बयान से कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती दिख रही है।

डीके शिवकुमार का बयान-
जानकारी के लिए बता दें कि डीके शिवकुमार ने कर्नाटक में मुस्लिमों को आरक्षण देने के सवाल के जवाब में यह बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि यदि आवश्यकता हुई, तो संविधान में बदलाव किया जा सकता है।