Edited By Radhika,Updated: 25 Jun, 2024 02:01 PM
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सड़कों और फुटपाथ को खाली कराने को लेकर बांबे हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब पीएम और अन्य स्पेशल वीआईपी गेस्ट के लिए सड़कों और फुटपाथ को एक दिन के लिए खाली कराया जा सकता है तो सभी लोगों के लिए क्यों रोज ऐसा नहीं किया जा...
नेशनल डेस्क: सड़कों और फुटपाथ को खाली कराने को लेकर बांबे हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब पीएम और अन्य स्पेशल वीआईपी गेस्ट के लिए सड़कों और फुटपाथ को एक दिन के लिए खाली कराया जा सकता है तो सभी लोगों के लिए क्यों रोज ऐसा नहीं किया जा सकता है।
जस्टिस एमएस सोनक और जस्टिस कमल खता की खंडपीठ ने कहा कि साफ फुटपाथ और चलने के लिए सुरक्षित स्थान हर एक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है और इसे मुहैया कराना राज्य प्राधिकरण का दायित्व है। हाई कोर्ट ने पिछले वर्ष शहर में अनाधिकृत रेहड़ी और फेरीवालों के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान, लिया था। पीठ ने कहा कि उसे पता है कि समस्या बड़ी है, लेकिन राज्य और नगर निकाय सहित अन्य अधिकारी इसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकते।
पीठ ने इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को कुछ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। ऐसा नहीं हो सकता कि अधिकारी केवल सोचते ही रहें कि क्या करना है। ऐसा लगता है कि इच्छाशक्ति की कमी है, क्योंकि जहां इच्छाशक्ति होती है वहां हमेशा कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील एसयू कोमदार ने कहा कि ऐसे रेहड़ीवालों और फेरीवालों के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन वे फिर वापस आ जाते हैं।
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उन्होंने कहा कि बीएमसी भूमिगत. बाजार के विकल्प पर भी विचार कर रही है। इस पर कोर्ट ने मजाक में टिप्पणी की, कि निगम सचमुच समस्या को दफनाने की कोशिश कर रहा है। पीठ ने कहा कि इन विक्रेताओं, फेरीवालों पर नगर निकायों द्वारा लगाया गया जुर्माना अप्रासंगिक है क्योंकि उनकी प्रतिदिन बिक्री अधिक होती है। हाई कोर्ट ने कहा कि आपका जुर्माना उनके लिए बहुत कम है। वे भुगतान करेंगे और चले जाएंगे।
कोर्ट ने फेरीवालों की पहचान के लिए डेटाबेस का सुझाव दिया
कोर्ट ने बीएमसी को ऐसे सभी फेरीवालों की पहचान करने वाला एक डेटाबेस विकसित करने का सुझाव दिया ताकि वे आदेशों का उल्लंघन न करें और अपने दुकानों के साथ वापस न आएं। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए एक अभियान चलाएं। एक गली से इसकी शुरुआत करें। कोर्ट ने कहा कि सबसे बड़ी परेशानी फेरीवालों के पहचान की है। एक बार हटाने के बाद वे फिर वापस आ जाते हैं क्योंकि उनकी पहुंचान नहीं हो पाती है। कॉर्ट मामले पर अगली सुनवाई 22 जुलाई को करेगी।