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गिटार बजाता है, मैराथन दौड़ता है तो कब करेगा काम? Boss ने काबिल कैंडिडेट को Job देने से किया इंकार

Edited By Rohini,Updated: 13 Jan, 2025 04:08 PM

boss refused to give job to a capable candidate

क्या किसी को केवल उनके शौक की वजह से नौकरी देने से मना किया जा सकता है? यह सवाल सुनने में अजीब लगता है लेकिन ऐसा वाकया सच में हुआ है। सिंगापुर में Tatler Asia के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) परमिंदर सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस घटना का जिक्र...

नेशनल डेस्क। क्या किसी को केवल उनके शौक की वजह से नौकरी देने से मना किया जा सकता है? यह सवाल सुनने में अजीब लगता है लेकिन ऐसा वाकया सच में हुआ है। सिंगापुर में Tatler Asia के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) परमिंदर सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस घटना का जिक्र किया है।

क्या है पूरा मामला?

परमिंदर सिंह ने बताया कि जब वह भारत में एक मार्केटिंग टीम का हिस्सा थे तब एक योग्य कैंडिडेट ने मार्केटिंग पोजीशन के लिए आवेदन किया। उसके CV में लिखा था कि उसे मैराथन दौड़ने और गिटार बजाने का शौक है लेकिन सिंह के बॉस ने उस कैंडिडेट को यह कहकर नौकरी देने से इंकार कर दिया कि,

"यह आदमी मैराथन दौड़ता है और गिटार बजाता है तो काम कब करेगा?"

कैंडिडेट को नौकरी न देने का अफसोस

परमिंदर सिंह ने बताया कि उन्हें इस बात का गहरा अफसोस है कि वह उस काबिल कैंडिडेट को नौकरी पर नहीं रख सके। उन्होंने लिखा:

"यह घटना कई साल पहले की है। मैं भारत से दूर था और मुझे लगा था कि अब चीजें बदल चुकी होंगी लेकिन ऐसा लगता है कि अब भी हालात वैसे ही हैं।"

 

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गूगल की नीतियों की तारीफ

परमिंदर सिंह ने गूगल, एप्पल और ट्विटर जैसी बड़ी कंपनियों में काम किया है। उन्होंने लिखा कि गूगल का वर्क कल्चर इससे बिलकुल उलट था। गूगल में एक अनौपचारिक नीति थी कि अगर आप ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो आपको गूगल ऑफिस में नौकरी मिल सकती है।

बॉस के नाम का नहीं किया खुलासा 

परमिंदर ने उस कंपनी और अपने बॉस का नाम उजागर नहीं किया लेकिन उन्होंने यह साफ कर दिया कि वह कंपनी गूगल नहीं थी।

 

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वर्क कल्चर पर छिड़ी बहस 

वहीं परमिंदर सिंह ने अपने इस अनुभव को साझा करने के बाद देश में वर्क कल्चर और कामकाजी घंटों पर बहस को और तेज कर दिया है। हाल ही में L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन ने सुझाव दिया था कि कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए। इस बयान के बाद से ही सोशल मीडिया पर कामकाजी घंटों और कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर बहस चल रही है।

शौक और काम का तालमेल जरूरी

यह घटना यह सवाल उठाती है कि क्या किसी के शौक उसकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं? आधुनिक दौर में कंपनियों को यह समझने की जरूरत है कि कर्मचारियों के शौक और उनके प्रोफेशनल जीवन के बीच तालमेल होना जरूरी है।

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