Edited By Anu Malhotra,Updated: 11 Nov, 2024 12:32 PM
उत्तर भारत में ठंड की दस्तक के साथ ही वायु प्रदूषण ने भी गंभीर रूप ले लिया है। पराली जलाने और दिवाली पर पटाखों के चलते एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। दिल्ली सहित कई अन्य शहरों में AQI 350 से ऊपर चला गया है, जो बेहद खराब...
नेशनल डेस्क: उत्तर भारत में ठंड की दस्तक के साथ ही वायु प्रदूषण ने भी गंभीर रूप ले लिया है। पराली जलाने और दिवाली पर पटाखों के चलते एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। दिल्ली सहित कई अन्य शहरों में AQI 350 से ऊपर चला गया है, जो बेहद खराब गुणवत्ता का संकेत है। इस बढ़ते प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं।
प्रदूषण का असर हमारे फेफड़ों और दिमाग पर
प्रदूषित हवा में सांस लेने पर हमारे फेफड़ों में पॉल्यूटेंट्स पहुंच जाते हैं, जो खांसी, आंखों में जलन, और सांस संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। ये पॉल्यूटेंट्स ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर, ब्रेन फंक्शन को भी प्रभावित कर सकते हैं। लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में पब्लिश हुई एक नई स्टडी के अनुसार, वायु प्रदूषण से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। रिसर्च में पाया गया कि सबराकनॉइड हैमरेज (SAH) के मामलों में लगभग 14% मौतों और विकलांगता के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है। यह स्थिति स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है।
वायु प्रदूषण से जुड़ी एक घातक बीमारी
सबराकनॉइड हैमरेज (SAH) एक प्रकार का ब्रेन हैमरेज है, जो अत्यधिक प्रदूषित हवा में लंबे समय तक सांस लेने से बढ़ सकता है।
AQI के स्तर और सेहत पर इसका प्रभाव
AQI का बढ़ना लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। प्रदूषित हवा में सांस लेना अब लगभग सिगरेट पीने जितना ही नुकसानदेह हो सकता है। प्रदूषण से फेफड़े और दिल के साथ-साथ दिमाग की कार्यप्रणाली पर भी गहरा असर पड़ रहा है।
वायु प्रदूषण के कारण बिगड़ती हवा की गुणवत्ता हमारे स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के अलग-अलग स्तर यह बताते हैं कि हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व कितने हानिकारक हो सकते हैं।
AQI के स्तर और उनके प्रभाव
0-50 (अच्छा): इस स्तर पर हवा सुरक्षित होती है। इसमें प्रदूषक तत्व बहुत कम होते हैं और आम लोगों को कोई स्वास्थ्य जोखिम नहीं होता।
51-100 (संतोषजनक): हवा सामान्य मानी जाती है, लेकिन प्रदूषण के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील लोगों में स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
101-150 (सामान्य): इसमें केवल रेस्पिरेटरी समस्याओं वाले लोग ही प्रभाव महसूस करते हैं।
151-200 (खराब): इस स्तर पर हर किसी को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। विशेष रूप से प्रदूषण के प्रति संवेदनशील लोग अधिक प्रभावित होते हैं।
201-300 (बहुत खराब): यह चेतावनी स्तर का होता है, जिसमें हर किसी के स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है।
301-500 (गंभीर): इस स्तर पर स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति बन जाती है, जिससे सभी पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
प्रदूषित हवा: रोज कई सिगरेट के बराबर नुकसान
विशेषज्ञों के अनुसार, खराब हवा में सांस लेना कई बार सिगरेट पीने से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। एयर पॉल्यूशन में मौजूद केमिकल्स और पार्टिकल्स कैंसर और रेस्पिरेटरी बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं। अमेरिकन शोधकर्ता रिचर्ड ए. मिलर और एलिजाबेथ मिलर ने एक ऑनलाइन कैलकुलेटर तैयार किया है जो AQI को सिगरेट पीने के प्रभावों से तुलना करता है। इस कैलकुलेटर के अनुसार, 64 AQI पर 24 घंटे सांस लेना एक सिगरेट पीने जैसा है। जब AQI स्तर 250 से ऊपर हो जाता है, तो यह रोजाना कई सिगरेट के प्रभाव के बराबर हो जाता है।
कैसे करें बचाव?
घर में रहें: जब AQI बहुत ज्यादा हो, तो बाहर निकलने से बचें।
मास्क पहनें: घर से बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करें।
एयर प्यूरीफायर का प्रयोग: घर में वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें।
प्राकृतिक उपाय: घर में पौधे लगाएं जो हवा को शुद्ध करते हैं।
स्वास्थ्यवर्धक आहार: इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पौष्टिक भोजन करें।
वायु प्रदूषण से जुड़े इन खतरों के प्रति सचेत रहना बेहद जरूरी है। हम अपने व्यक्तिगत प्रयासों से खुद को प्रदूषण से बचा सकते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं को कम कर सकते हैं।