Edited By Rohini Oberoi,Updated: 01 Feb, 2025 09:55 AM
आज पेश होने जा रहे आम बजट को लेकर बैंककर्मियों के मन में कई सवाल हैं जिनमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या 5-डेज बैंकिंग की उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होगी? पिछले कई सालों से इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस फैसला नहीं...
नेशनल डेस्क। आज पेश होने जा रहे आम बजट को लेकर बैंककर्मियों के मन में कई सवाल हैं जिनमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या 5-डेज बैंकिंग की उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होगी? पिछले कई सालों से इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया। अब बैंककर्मियों की उम्मीदें इस बजट से जुड़ी हुई हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उनकी मांग पर मुहर लगा सकती हैं।
बैंककर्मियों की मांग और इसका महत्व
बैंक कर्मचारी और उनके यूनियन पिछले काफी समय से सरकार से मांग कर रहे हैं कि बैंकों में सप्ताह में केवल 5 दिन काम हो जिससे उनका कामकाजी समय थोड़ा आरामदायक हो सके। उनका कहना है कि बैंकों में कामकाज बहुत बढ़ गया है और आधुनिक कामकाजी परिस्थितियों को देखते हुए यह बदलाव ज़रूरी है।
यदि यह प्रस्ताव बजट में लागू होता है तो बैंक कर्मियों को रोजाना 40 मिनट अतिरिक्त काम करना पड़ेगा। इसके बाद सप्ताह में शनिवार और रविवार को बैंक बंद रहेंगे।
अभी क्या है व्यवस्था?
वर्तमान में बैंकों में पहले और तीसरे शनिवार को काम होता है जबकि दूसरे और चौथे शनिवार को छुट्टी रहती है। इसके बावजूद 5-डेज बैंकिंग पर कई बार बैंक कर्मियों, RBI और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा हो चुकी है लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया जा सका। इस मुद्दे पर पहले लोकसभा चुनाव के पहले भी चर्चाएं हुई थीं कि जल्दी ही इस पर फैसला होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब बैंककर्मियों की उम्मीदें इस बजट से जुड़ी हुई हैं।
IBA के साथ सहमति बनी, अब केवल सरकार की मंजूरी बाकी
रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंक कर्मचारी यूनियन और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) के बीच इस मुद्दे पर सहमति बन चुकी है और अब सिर्फ सरकार की मंजूरी का इंतजार है। अगर बजट में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो बैंकों का समय 40 मिनट बढ़ाकर 5 दिन की कार्यवाही शुरू हो जाएगी।
ग्राहक सेवा पर असर नहीं पड़ेगा
बैंक कर्मियों के यूनियन का कहना है कि अगर 5-डेज बैंकिंग लागू होती है तो इसका ग्राहक सेवा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि बैंक कर्मियों के कामकाजी घंटों को प्रतिदिन 40 से 45 मिनट बढ़ाया जा सकता है ताकि ग्राहकों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो।
बता दें कि यह मुद्दा काफी समय से चर्चा में है और अब बैंककर्मियों को उम्मीद है कि इस बजट में एक निर्णायक कदम उठाया जाएगा। अगर यह प्रस्ताव पास होता है तो यह बैंकिंग क्षेत्र के लिए बड़ा बदलाव हो सकता है।