Edited By Rohini Oberoi,Updated: 30 Jan, 2025 12:30 PM
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के एक सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट के करीब आने के साथ ही भारतीय व्यवसाय देश की आर्थिक वृद्धि के बारे में आशावादी हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद अधिकांश...
नेशनल डेस्क। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के एक सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट के करीब आने के साथ ही भारतीय व्यवसाय देश की आर्थिक वृद्धि के बारे में आशावादी हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद अधिकांश उत्तरदाताओं ने भारत के विकास के दृष्टिकोण में विश्वास व्यक्त किया।
64% कंपनियों को 6.5-6.9% GDP वृद्धि की उम्मीद
फिक्की द्वारा 150 से ज्यादा कंपनियों के साथ किए गए इस सर्वे में पाया गया कि 64% व्यवसायों को आगामी वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% से 6.9% के बीच रहने की उम्मीद है। यह 2023-24 में 8% वृद्धि से थोड़ी कम है लेकिन वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए यह एक सकारात्मक अनुमान है।
पूंजीगत व्यय और कारोबार में आसानी पर जोर
सर्वेक्षण में प्रमुख रूप से दो मुद्दों पर ध्यान दिया गया है - सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और कारोबार करने में आसानी। 68% कंपनियों ने बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश की आवश्यकता पर बल दिया है और वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पूंजीगत व्यय में कम से कम 15% की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई है। इसके अलावा कारोबार में आसानी के लिए सुधार की आवश्यकता भी जताई गई है खासकर भूमि अधिग्रहण और श्रम नियमों के मामले में।
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कर सुधार और एमएसएमई को समर्थन की मांग
व्यवसायियों ने प्रत्यक्ष कर ढांचे की समीक्षा की मांग की है ताकि कर स्लैब और दरों में बदलाव किया जा सके और लोगों की डिस्पोजेबल आय बढ़ सके जिससे खपत और आर्थिक गतिविधियां बढ़ सकें। इसके साथ ही कर व्यवस्था को और सरल बनाने की भी जरूरत बताई गई। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों) को लेकर भी कई सुझाव दिए गए जिनमें ऋण पहुंच को बेहतर बनाने और प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए उपायों की मांग की गई।
बुनियादी ढांचा और निर्यात प्रतिस्पर्धा पर ध्यान
सर्वेक्षण में बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और कृषि/ग्रामीण विकास को प्रमुख क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है जिन पर आगामी बजट में ध्यान देने की जरूरत बताई गई। इसके अलावा निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए बेहतर लॉजिस्टिक्स और ब्याज समानता योजनाओं की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है ताकि भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति मजबूत हो सके।
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वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच संतुलित नीतियों की आवश्यकता
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि भारत की आर्थिक लचीलापन बढ़ाने के लिए व्यापक आर्थिक नीतियों की जरूरत है जो भू-राजनीतिक जोखिम, मुद्रास्फीति और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के खिलाफ मजबूत बने। यह बजट भारत को एक प्रमुख निवेश गंतव्य और वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकता है।
वहीं केंद्रीय बजट 2025-26 को नए सरकार का पहला पूरा बजट माना जा रहा है और इस पर सभी की निगाहें हैं क्योंकि यह भारत की विकास की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।