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राज्यसभा में अभिषेक मनु सिंघवी की सीट से मिली नोटों की गड्डियां, सभापति ने कहा – गंभीर मामला, जांच जारी

Edited By Mahima,Updated: 06 Dec, 2024 12:00 PM

bundles of notes found near abhishek manu singhvi s seat in rajya sabha

राज्यसभा में कांग्रेस बेंच पर नोटों की गड्डी मिलने के बाद हंगामा मच गया। सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि यह सीट तेलंगाना सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित थी, और मामले की जांच चल रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जांच पूरी होने तक नाम...

नेशनल डेस्क: राज्यसभा में शुक्रवार को एक गंभीर और विवादास्पद मामला सामने आया, जब कांग्रेस के बेंच पर नोटों की गड्डी मिलने की खबर आई। इस घटना के बाद सदन में तीव्र हंगामा हुआ, और सभापति जगदीप धनखड़ ने इस पर बयान देते हुए कहा कि यह एक गंभीर मामला है, जिसकी जांच चल रही है।

गुरुवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद, सुरक्षा अधिकारियों ने राज्यसभा सचिवालय को सूचना दी कि सीट नंबर 222 पर नगदी की गड्डी मिली है। यह सीट तेलंगाना से कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित की गई थी। सभापति ने शुक्रवार को सदन में इसका खुलासा किया और कहा, “कल (गुरुवार) कार्यवाही स्थगित होने के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने हमें जानकारी दी कि सीट नंबर 222 से नगदी बरामद हुई है। यह सीट अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित की गई थी। इस मामले में नियमों के अनुसार जांच होनी चाहिए और इसकी जांच हो रही है।”

विपक्षी नेताओं का विरोध
जब सभापति ने इस बारे में बयान दिया, तो सदन में हंगामा मच गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे लेकर आपत्ति जताई और कहा कि जब तक मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी सांसद का नाम लेना और उनकी सीट का जिक्र करना उचित नहीं था। खड़गे ने कहा, “जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती और स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक आपको (सभापति) किसी सांसद का नाम नहीं लेना चाहिए। यह प्रक्रिया के खिलाफ है और इससे सिर्फ आरोप लग रहे हैं।” खड़गे का कहना था कि इस तरह से किसी को दोषी ठहराना बिना प्रमाण के गलत है और इससे कांग्रेस पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है। खड़गे के इस बयान पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने विरोध किया, और मामला गरमाता गया। खड़गे ने यह भी आरोप लगाया कि “ऐसे छोटे कामों से देश की प्रतिष्ठा को नुकसान हो रहा है। यह राजनीतिक खेल खेलकर ही देश को बदनाम किया जा रहा है।” सभापति जगदीप धनखड़ ने खड़गे के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “मैंने केवल यह बताया कि यह घटना किस सीट पर हुई है और वह सीट किसे आवंटित की गई थी। मेरे बयान का उद्देश्य केवल पारदर्शिता बनाए रखना था, ताकि सदन में किसी भी प्रकार की गुमराह करने वाली स्थिति पैदा न हो।” उन्होंने यह भी कहा कि मामला गंभीर है और इसकी जांच नियमों के तहत की जाएगी।

बीजेपी और सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस घटना को बेहद गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, "यह सदन की गरिमा पर हमला है। ऐसे घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं और इस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि इस मामले की सही जांच होगी और इसमें कोई भी दोषी नहीं बचेगा।" जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे विपक्षी नेता भी इस मामले में विस्तृत जांच की मांग करेंगे। विपक्ष को इस घटना की निंदा करनी चाहिए और एकजुट होकर राज्यसभा की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रयास करना चाहिए। हम सभी को इस मामले में स्वस्थ मानसिकता के साथ जांच का समर्थन करना चाहिए।”

अभिषेक मनु सिंघवी का बयान
इस पूरे मामले पर कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि यह पैसे कहां से आए। अगर यह मामला मुझसे जुड़ा हुआ है, तो मुझे भी पूरी जांच का समर्थन है। यह आरोप बिना आधार के नहीं लगाए जाने चाहिए और मैं पूरी तरह से जांच के लिए तैयार हूं।" सिंघवी ने कहा कि अगर कोई गलती होती है, तो जिम्मेदारी तय की जाएगी और सभी को उसका जवाब देना होगा। सभापति ने स्पष्ट किया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि नोटों की गड्डी सीधे तौर पर अभिषेक मनु सिंघवी से जुड़ी थी या नहीं, लेकिन यह मामला गंभीर माना जा रहा है और इसकी जांच अधिकारियों द्वारा की जा रही है। सुरक्षा अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, यह घटना राज्यसभा की कार्यवाही समाप्त होने के बाद हुई। सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि नोटों की गड्डी एक पैकेट के रूप में सीट नंबर 222 से मिली थी, जो कि सिंघवी को आवंटित थी। हालांकि, यह पैकेट किसी और के द्वारा रखा गया था या किसी प्रकार की साजिश का हिस्सा था, इसकी पुष्टि अभी नहीं हो पाई है।

संसद में आरोप-प्रत्यारोप
इस घटनाक्रम ने संसद में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि यह राज्यसभा की गरिमा के खिलाफ है और इसके दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए। राज्यसभा की कार्यवाही में यह मुद्दा और भी गरमाता जा रहा है, और अब यह देखना होगा कि जांच के बाद क्या निष्कर्ष निकलते हैं और क्या इस मामले में किसी प्रकार की कार्रवाई की जाती है।

 

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