Edited By Parveen Kumar,Updated: 04 Dec, 2024 11:31 PM
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव लीना नंदन ने बुधवार को सांसदों से कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक पंजाब और हरियाणा में पराली जलाया जाना है तथा धान के अवशेषों को चारा और औद्योगिक उद्देश्यों के...
नेशनल डेस्क : केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव लीना नंदन ने बुधवार को सांसदों से कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक पंजाब और हरियाणा में पराली जलाया जाना है तथा धान के अवशेषों को चारा और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की खातिर किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संबंधी स्थायी संसदीय समिति के समक्ष लीना नंदन ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने वायु और जल प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सांसदों से सुझाव भी लिए।
सूत्रों ने बताया कि उन्होंने सांसदों को बताया कि सरकार बासमती चावल के उपयोग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, जिसके अवशेषों का उपयोग पशु चारे के लिए किया जाता है। इसके अलावा धान के अवशेषों का उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए करने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने वाहनों से निकलने वाले धुएं को भी वायु प्रदूषण का एक अन्य कारण बताया और कहा कि सरकार राष्ट्रीय राजधानी में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।
राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास निर्माण गतिविधियों को भी प्रदूषण का एक कारण बताया गया और सचिव ने कहा कि इसके नियमन के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सचिव ने समिति को बताया कि इस बार दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर रहा। बैठक के दौरान मंत्रालय और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारी मौजूद थे। कई सांसदों ने दिल्ली-एनसीआर में हरियाली को बढ़ावा देने, वाहनों से निकलने वाले धुएं पर काबू पाने और पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के किसानों को धान की पराली जलाने से रोकने के लिए सुझाव दिए।