Edited By Harman Kaur,Updated: 06 Mar, 2025 02:40 PM

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना अपराध नहीं है। दरअसल, एक उर्दू ट्रांसलेटर ने एक हिन्दू व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। ट्रांसलेटर ने आरोप लगाया था कि शख्स ने उन्हें...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना अपराध नहीं है। दरअसल, एक उर्दू ट्रांसलेटर ने एक हिन्दू व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। ट्रांसलेटर ने आरोप लगाया था कि शख्स ने उन्हें 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर उनकी मजहबी भावनाओं को आहत किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया और हिंदू व्यक्ति को बरी कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस सतीश शर्मा की अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में जो आरोप लगाए गए हैं, उनसे यह स्पष्ट नहीं होता कि आरोपी ने कोई हमला किया था। कोर्ट ने कहा कि एफआईआर के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि आरोपित के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। आरोपी ने कोई हमला नहीं किया था, इसलिए धारा 353 लागू नहीं होती।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहने से किसी की मजहबी भावनाओं को ठेस पहुंचने का कोई प्रमाण नहीं मिलता। हालांकि, ये बातें सही नहीं थीं, लेकिन कोर्ट ने इसे मजहबी भावनाओं को भड़काने वाला मानने से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें हरी नंदन सिंह के खिलाफ मुकदमा चलाने का निर्देश दिया गया था।
जानिए क्या था पूरा मामला?
यह मामला 2020 का है, जब झारखंड के बोकारो जिले में एक सरकारी उर्दू ट्रांसलेटर ने हरी नंदन सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। ट्रांसलेटर ने आरोप लगाया था कि हरी नंदन सिंह ने उन्हें 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर उनकी मजहबी भावनाओं को आहत किया। इसके बाद पुलिस ने चार्जशीट दायर की और सिंह पर आरोप लगाए कि उसने शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ा और मजहबी भावनाओं को भड़काया। सिंह ने इन आरोपों को चुनौती दी और बोकारो की मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपील की, लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी। इसके बाद सिंह ने झारखंड हाई कोर्ट का रुख किया, जहां उनकी अपील एक बार फिर खारिज हो गई। अंत में, हरी नंदन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।