Edited By rajesh kumar,Updated: 18 Jan, 2025 04:10 PM
हाल ही में ओयो (OYO) द्वारा चेक-इन पॉलिसी में बदलाव किए जाने के बाद भारत में अविवाहित जोड़ों के होटल में ठहरने को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है। यह सवाल उठने लगा है कि क्या अविवाहित वयस्कों को होटल में ठहरने का अधिकार है या नहीं।
नेशनल डेस्क: हाल ही में ओयो (OYO) द्वारा चेक-इन पॉलिसी में बदलाव किए जाने के बाद भारत में अविवाहित जोड़ों के होटल में ठहरने को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है। यह सवाल उठने लगा है कि क्या अविवाहित वयस्कों को होटल में ठहरने का अधिकार है या नहीं।
क्या कहता है भारतीय कानून?
भारतीय कानून के मुताबिक, 18 साल की उम्र के बाद एक व्यक्ति को वयस्क माना जाता है और वयस्कों को कहीं भी यात्रा करने और होटल में ठहरने का कानूनी अधिकार है। यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है, जो व्यक्ति की निजता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है। यदि कोई अविवाहित जोड़ा होटल में ठहरा है, तो केवल इस आधार पर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
क्या है गिरफ्तार करने का कानूनी आधार?
अगर पुलिस किसी होटल में छापा मारती है और वहां अविवाहित वयस्क जोड़े को पाती है, तो बिना किसी अपराध या आपराधिक गतिविधि के आरोप के उन्हें गिरफ्तार करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लड़की और लड़का आपसी सहमति से साथ हैं, तो पुलिस उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। हालांकि, अगर लड़की गंभीर आरोप लगाती है या अपना बयान बदलती है तो मामला अदालत तक जा सकता है।
अदालत के फैसले
इस मुद्दे पर कई अदालतें पहले ही फैसले दे चुकी हैं। 2019 में मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि अविवाहित जोड़ों का होटल में ठहरना न तो अपराध है और न ही गैरकानूनी। इसी तरह, दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में और मद्रास हाई कोर्ट ने 2013 में इसी तरह के फैसले दिए थे। अदालतों का यह मानना था कि अगर वयस्कों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप अपराध नहीं है, तो होटल में ठहरना भी आपराधिक नहीं हो सकता।
होटल की पॉलिसी और समाज का दबाव
ओयो और अन्य होटल्स की तरफ से कई शहरों में अविवाहित जोड़ों को ठहरने की अनुमति न देने का कारण होटल प्रबंधन की नीति और स्थानीय सामाजिक दबाव है, न कि कोई कानूनी नियम। विशेषज्ञों का कहना है कि वयस्क जोड़ों को होटल में ठहरने का कानूनी अधिकार है, और होटल प्रबंधन को इस अधिकार का सम्मान करना चाहिए।
कानूनी सुरक्षा और सावधानी
इस मामले में वयस्क जोड़ों को अपने कानूनी अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। अगर पुलिस हस्तक्षेप करती है तो शांतिपूर्वक स्थिति को संभालना और कानूनी सलाह लेना आवश्यक है। साथ ही, वयस्कता का प्रमाण देने के लिए पहचान पत्र दिखाना और होटल में दोनों व्यक्तियों के दस्तावेज जमा करना भी जरूरी है।
समाज में बदलाव की आवश्यकता
हालांकि कानून वयस्क जोड़ों के अधिकारों की रक्षा करता है, फिर भी समाज में इस मुद्दे पर रूढ़िवादी सोच का असर देखा जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय आ गया है कि समाज इन पूर्वाग्रहों को छोड़कर वयस्कों की निजता और स्वतंत्रता का सम्मान करे। यह न केवल कानून का पालन है बल्कि एक स्वस्थ और प्रगतिशील समाज की पहचान भी होगी।