Edited By Harman Kaur,Updated: 21 Mar, 2025 03:50 PM

युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक के मामले से एक बार फिर गुजारा भत्ता (Alimony) का मुद्दा चर्चा में आ गया है। गुजारा भत्ता का मतलब तलाक के बाद पति या पत्नी को दी जाने वाली वित्तीय सहायता से होता है। यह कानूनी व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,...
नेशनल डेस्क: युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक के मामले से एक बार फिर गुजारा भत्ता (Alimony) का मुद्दा चर्चा में आ गया है। गुजारा भत्ता का मतलब तलाक के बाद पति या पत्नी को दी जाने वाली वित्तीय सहायता से होता है। यह कानूनी व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो तलाक के बाद पति या पत्नी के जीवन को आर्थिक रूप से संतुलित रखने में मदद करता है।
जानिए कोर्ट कैसे तय करता है गुजारा भत्ता की राशि?
मैग्नस लीगल सर्विसेज एलएलपी की पारिवारिक कानून विशेषज्ञ निकिता आनंद के अनुसार, भारतीय कानूनों में गुजारा भत्ता तय करने का कोई निश्चित नियम नहीं है। कोर्ट प्रत्येक मामले की अलग-अलग परिस्थितियों को देखकर फैसला लेता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई गृहिणी पत्नी अपने अमीर व्यापारी पति से तलाक लेती है, तो कोर्ट उसकी आय के स्रोत, पति की आर्थिक स्थिति और शादी में किए गए त्याग को ध्यान में रखेगा। अगर पत्नी ने अपने करियर का बलिदान करके घर और परिवार की देखभाल की है, तो उसे उचित गुजारा भत्ता मिलेगा ताकि उसकी जीवनशैली प्रभावित न हो।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार किन बातों का ध्यान रखा जाता है?
- दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति
- पत्नी और बच्चों की जरूरतें
- दोनों की रोज़गार स्थिति और योग्यताएं
- विवाह के दौरान जीवन शैली
- पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए किए गए त्याग
- पति की आय और देनदारियां
- कानूनी प्रक्रिया में आने वाला खर्च
क्या पुरुष भी गुजारा भत्ता मांग सकते हैं?
भारत में आमतौर पर गुजारा भत्ता पत्नियों को दिया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में पति भी इसे मांग सकते हैं। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 और 25 के तहत पति को भी गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है। हालांकि, अदालतें इसे असाधारण परिस्थितियों में ही मंजूरी देती हैं। वहीं, अगर कोई पुरुष विकलांगता या किसी गंभीर कारण से कमाने में असमर्थ है और पूरी तरह से पत्नी पर निर्भर है, तो वह गुजारा भत्ता मांग सकता है। लेकिन ऐसे मामलों में अदालतें सख्ती से जांच करती हैं और आमतौर पर पुरुषों को गुजारा भत्ता देने में हिचकिचाती हैं।
गुजारा भत्ता का उद्देश्य
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि गुजारा भत्ता किसी एक पक्ष को दंडित करने के लिए नहीं, बल्कि आश्रित जीवनसाथी की मदद के लिए होता है। अगर पति और पत्नी दोनों की आय समान है, तो आमतौर पर गुजारा भत्ता नहीं दिया जाता। लेकिन अगर किसी एक पर बच्चों की परवरिश या अन्य ज़िम्मेदारियां अधिक हैं, तो उसे आर्थिक सहायता दी जा सकती है।