Edited By Anu Malhotra,Updated: 31 Oct, 2024 02:17 PM
कनाडा और भारत के बीच हालिया तनाव के बावजूद कई पंजाबी मूल के लोग कनाडा छोड़कर वापस भारत आ रहे हैं और देश के विकास में योगदान दे रहे हैं। इनमें से कुछ युवा पंजाब के गांवों में सरपंच बनकर ग्रामीण विकास में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
नेशनल डेस्क: कनाडा और भारत के बीच हालिया तनाव के बावजूद कई पंजाबी मूल के लोग कनाडा छोड़कर वापस भारत आ रहे हैं और देश के विकास में योगदान दे रहे हैं। इनमें से कुछ युवा पंजाब के गांवों में सरपंच बनकर ग्रामीण विकास में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
कनाडा से लौटे युवा सरपंच बने
22 वर्षीय शवराज सिंह ढिल्लों, जो कनाडा में फल और सब्जियां लोड करने का काम करते थे, अब पंजाब के मोगा के धर्मकोट में घलोटी गांव के सरपंच बने हैं। उनके विकास कार्यों में गांव की सड़कें सुधारना, ठोस कचरा प्रबंधन और श्मशान घाटों को आधुनिक बनाना शामिल है।
अन्य सरपंचों की कहानी
कनाडा के वैंकूवर में पांच साल बिताने के बाद हरिंदर सिंह (37) और बैंकूवर एयरपोर्ट पर काम करने वाले परमपाल सिंह बुट्टर (24) भी अपने गांवों में सरपंच चुने गए हैं। ये युवा अब गांवों में आधारभूत संरचना मजबूत करने और विकास योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
रिवर्स इमिग्रेशन की बढ़ती प्रवृत्ति
कनाडा के कई बड़े शहरों में बढ़ते अपराध और गैंगस्टर संस्कृति के कारण अब कनाडा में रिवर्स इमिग्रेशन का रुझान भी देखा जा रहा है। कनाडा की बढ़ती ब्याज दरें और महंगे घर भी लोगों को वापसी का कारण बना रहे हैं।
नई पीढ़ी का भारतीय नागरिकता के प्रति रुझान
सुक्खी बाठ की बेटी जीवन बाठ, जो कनाडा में पैदा हुईं, ने भी भारतीय नागरिकता ले ली है। साथ ही, कनाडा के ब्रैम्पटन ईस्ट के सांसद मनिंदर सिंह सिद्ध के परिवार ने भी भारत में कैंसर पीड़ितों के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बनाई है।
यह बदलाव दर्शाता है कि पंजाबी मूल के लोगों का अपने वतन से गहरा लगाव है। कनाडा छोड़कर लौटने वाले ये युवा अपने गांवों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और पंजाब के विकास में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।