Cancer Alert: तेजी से फैल रहा फेफड़ों का कैंसर, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, हो सकती है मौत!

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 29 Mar, 2025 11:46 AM

cancer alert lung cancer is spreading rapidly

आज के समय में फेफड़ों का कैंसर दुनिया में तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक बन गया है। यह बीमारी अक्सर शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने के कारण घातक रूप ले लेती है, यहां तक की इससे जान भी जा सकती है। समय पर पहचान और सही इलाज से इस गंभीर बीमारी...

नेशनल डेस्क: आज के समय में फेफड़ों का कैंसर दुनिया में तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक बन गया है। यह बीमारी अक्सर शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने के कारण घातक रूप ले लेती है, यहां तक की इससे जान भी जा सकती है। समय पर पहचान और सही इलाज से इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं इसके प्रमुख लक्षण, कारण और बचाव के उपाय।

फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख लक्षण

फेफड़ों का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और जब तक इसके लक्षण स्पष्ट रूप से सामने आते हैं, तब तक यह खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका होता है। इसलिए, यदि आप नीचे दिए गए लक्षणों को महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:

  1. लगातार खांसी - यदि आपकी खांसी तीन सप्ताह से अधिक बनी हुई है और दवाओं से भी ठीक नहीं हो रही है, तो इसे हल्के में न लें।

  2. खांसी में खून आना - अगर खांसते समय बलगम के साथ खून आ रहा है, तो यह एक गंभीर संकेत हो सकता है।

  3. सांस लेने में कठिनाई - बिना किसी वजह के सांस फूलना या हल्की गतिविधि के बाद भी थकान महसूस होना फेफड़ों की समस्या का संकेत देता है।

  4. सीने में दर्द - लगातार सीने में दर्द रहना और यह दर्द खांसने या गहरी सांस लेने से बढ़ जाना चिंताजनक हो सकता है।

  5. अचानक वजन घटना - बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन घटना कैंसर का एक प्रमुख लक्षण हो सकता है।

  6. आवाज में बदलाव - यदि आपकी आवाज भारी या कर्कश हो गई है और लंबे समय तक ठीक नहीं हो रही, तो यह एक चेतावनी संकेत हो सकता है।

  7. हड्डियों में दर्द - यदि फेफड़ों का कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल गया है, तो यह हड्डियों में दर्द पैदा कर सकता है।

  8. भूख न लगना - खाने की इच्छा कम हो जाना और शरीर में कमजोरी महसूस होना भी इसके लक्षणों में शामिल है।

फेफड़ों के कैंसर के मुख्य कारण

फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान को माना जाता है, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य कारण हैं जो इस बीमारी को बढ़ावा देते हैं।

  1. धूम्रपान - 85% से अधिक मामलों में धूम्रपान को फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण माना जाता है। सिगरेट में मौजूद निकोटिन और अन्य जहरीले रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।

  2. पर्यावरणीय प्रदूषण - वायु प्रदूषण, औद्योगिक धुएं और जहरीली गैसों का लगातार संपर्क फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।

  3. रेडॉन गैस - यह गैस प्राकृतिक रूप से मिट्टी और चट्टानों से निकलती है और घरों में मौजूद हो सकती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

  4. अनुवांशिक कारण - यदि परिवार में पहले किसी को फेफड़ों का कैंसर हुआ है, तो इसके होने की संभावना बढ़ सकती है।

  5. एस्बेस्टस (Asbestos) और अन्य केमिकल्स - एस्बेस्टस, आर्सेनिक और अन्य हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने से भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।

  6. अस्वस्थ जीवनशैली - व्यायाम की कमी, असंतुलित आहार और अल्कोहल का अधिक सेवन भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

कैसे करें बचाव?

फेफड़ों के कैंसर से बचने के लिए कुछ जरूरी उपाय अपनाने से इस बीमारी का खतरा कम किया जा सकता है।

  1. धूम्रपान छोड़ें - यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे तुरंत छोड़ दें। यह फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।

  2. स्वस्थ आहार लें - फल, सब्जियां और एंटीऑक्सिडेंट युक्त आहार को अपनी डाइट में शामिल करें।

  3. वायु प्रदूषण से बचें - प्रदूषित हवा में जाने से बचें और घर के अंदर स्वच्छ हवा बनाए रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।

  4. नियमित व्यायाम करें - रोजाना 30 मिनट की एक्सरसाइज फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखती है।

  5. रेडॉन गैस की जांच करवाएं - यदि आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां रेडॉन गैस का स्तर अधिक है, तो घर की जांच करवाएं।

  6. मास्क पहनें - यदि आप प्रदूषित क्षेत्रों में काम करते हैं, तो मास्क पहनकर फेफड़ों को सुरक्षित रखें।

  7. नियमित हेल्थ चेकअप करवाएं - यदि आपको हाई रिस्क ग्रुप में माना जाता है, तो नियमित रूप से हेल्थ चेकअप करवाएं।

कैसे पता करें कि आपको फेफड़ों का कैंसर है?

फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई प्रकार के टेस्ट करवाते हैं:

  • सीटी स्कैन (CT Scan) - यह फेफड़ों की स्थिति को विस्तार से दिखाने में मदद करता है।

  • एक्स-रे (X-Ray) - फेफड़ों में किसी असामान्यता का पता लगाने के लिए किया जाता है।

  • बायोप्सी (Biopsy) - संदिग्ध कोशिकाओं की जांच के लिए टिशू का सैंपल लिया जाता है।

  • स्पुटम टेस्ट (Sputum Test) - बलगम का परीक्षण कर कैंसर कोशिकाओं की मौजूदगी की जांच की जाती है।

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