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जयशंकर ने कहा- 'पाकिस्तान की राजनीति को खा रहा "आतंकवाद का कैंसर", पड़ोसी देशों का बचना जरूरी'

Edited By Tanuja,Updated: 19 Jan, 2025 06:23 PM

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ रिश्ते एक अपवाद हैं,...

International Desk: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ रिश्ते एक अपवाद हैं, क्योंकि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करता है। उन्होंने श्रीलंका को भारत द्वारा दी गई मदद और म्यांमार तथा अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर भी बात की। जयशंकर यह टिप्पणी 19वीं नानी ए. पालखिवाला मेमोरियल व्याख्यान के दौरान कर रहे थे। जयशंकर ने कहा, "भारत की चुनौती विभाजन के बाद पड़ोस को फिर से बनाने की रही है। अब भारत एक उदार और अप्रतिबद्ध दृष्टिकोण अपनाकर इसे कर रहा है, जिसमें ऊर्जा, रेलवे और सड़क कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना, व्यापार और निवेश का विस्तार करना और आदान-प्रदान और संपर्कों को मजबूत करना शामिल है।"

 

उन्होंने हाल के उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा, "संकट के समय, चाहे वह महामारी हो या आर्थिक संकट, भारत ने अपने छोटे पड़ोसियों के लिए बीमा का काम किया है। श्रीलंका ने यह 2023 में महसूस किया जब भारत ने $4 बिलियन से अधिक की मदद प्रदान की, जबकि बाकी दुनिया ने कुछ नहीं किया। यह भी एक वास्तविकता है कि राजनीतिक घटनाएं जटिल परिस्थितियाँ उत्पन्न कर सकती हैं, जैसा कि हम वर्तमान में बांगलादेश में देख रहे हैं। सहयोग और संपर्कों का उद्देश्य ऐसे संकटों को हल करना है।" पाकिस्तान के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा, "पाकिस्तान हमारे पड़ोस में अपवाद है क्योंकि यह सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करता है, और यह कैंसर अब पाकिस्तान की अपनी राजनीति को खा रहा है।" जयशंकर ने  कहा कि पाकिस्तान में "आतंकवाद का कैंसर" अब देश की अपनी राजनीति में घुस चुका है। उनके इस बयान का उद्देश्य पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद और अस्थिरता पर प्रकाश डालना था, जो न केवल पड़ोसी देशों, खासकर भारत, के लिए एक खतरा बन चुका है, बल्कि अब पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और सामाजिक ढांचे को भी नुकसान पहुंचा रहा है।

 

जयशंकर ने यह कहा कि पाकिस्तान ने लंबे समय तक आतंकवाद को राज्य नीति के रूप में अपनाया, जिसका परिणाम यह हुआ कि आतंकवादी समूहों को सत्ता और प्रभाव हासिल हुआ, जिससे देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर दिया और पाकिस्तान अस्थिरता के कगार पर पहुंच गया। उन्होंने इसे "आतंकवाद का कैंसर" करार दिया, जो अब केवल क्षेत्रीय ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के भीतर भी गहरे प्रभाव डाल चुका है, जिससे सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने में गहरे धागे टूट रहे हैं।विशेष रूप से, मंत्री ने आतंकवादी समूहों की बढ़ती ताकत और पाकिस्तान के भीतर उनकी बढ़ती उपस्थिति की ओर इशारा किया, जिसने देश की राजनीतिक व्यवस्था को कमजोर किया है और सुरक्षा और शांति के लिए खतरा पैदा किया है। जयशंकर के अनुसार, आतंकवाद के इस "कैंसर" ने पाकिस्तान को खुद ही संकट में डाल दिया है, और अब यह देश की शासन प्रणाली को जकड़े हुए है, जिससे आगे की अस्थिरता और राजनीतिक विभाजन की संभावना बढ़ गई है। 

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