Edited By Anu Malhotra,Updated: 04 Dec, 2024 09:00 AM
शैक्षणिक सत्र 2026-27 से सीबीएसई स्कूलों में विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों के लिए 'दो-स्तरीय' प्रणाली - स्टैंडर्ड (उन्नत) और बेसिक (सामान्य) - लागू की जाएगी। यह पहल वर्तमान में गणित के लिए मौजूद दो-स्तरीय प्रणाली के समान है। सीबीएसई इस प्रणाली...
नई दिल्ली: शैक्षणिक सत्र 2026-27 से CBSE स्कूलों में विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों के लिए 'दो-स्तरीय' प्रणाली - स्टैंडर्ड (उन्नत) और बेसिक (सामान्य) - लागू की जाएगी। यह पहल वर्तमान में गणित के लिए मौजूद दो-स्तरीय प्रणाली के समान है। सीबीएसई इस प्रणाली को अन्य विषयों तक विस्तारित करने की योजना बना रहा है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन का हिस्सा है।
सीबीएसई के पाठ्यक्रम समिति की हालिया बैठक में इस पहल को मंजूरी दी गई है, और अब इसे गवर्निंग बॉडी की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है। CBSE के अध्यक्ष राहुल सिंह ने कहा, "यह NEP के कार्यान्वयन का हिस्सा है। NEP ने विषयों को दो स्तरों पर पेश करने की परिकल्पना की थी।" उन्होंने यह भी पुष्टि की कि, "यह प्रणाली 2026-27 के शैक्षणिक सत्र से लागू होगी, जब एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध होंगी।"
पहल का उद्देश्य
यह प्रणाली छात्रों को लचीलापन प्रदान करने और अकादमिक दबाव को कम करने के उद्देश्य से लाई जा रही है। इस ढांचे में छात्रों की विभिन्न सीखने की क्षमताओं और रुचियों को ध्यान में रखा गया है।
गणित में वर्तमान प्रणाली
वर्तमान में CBSE दो स्तरों पर गणित की पेशकश करता है:
गणित - स्टैंडर्ड (उन्नत स्तर)
गणित - बेसिक (सामान्य स्तर)
2023-24 बोर्ड परीक्षा में, 15,88,041 छात्रों ने गणित-स्टैंडर्ड का विकल्प चुना, जबकि 6,79,560 छात्रों ने गणित-बेसिक का चयन किया।
NCERT की नई पाठ्यपुस्तकें
NCERT ने पहले ही कक्षा 1, 2, 3 और 6 के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE), 2023 के अनुरूप नई पाठ्यपुस्तकें पेश की हैं। कक्षा 4, 5, 7 और 8 के लिए नई पाठ्यपुस्तकों का विकास चल रहा है, जो 2025-26 शैक्षणिक सत्र से लागू की जाएंगी।
विकल्प चुनने की प्रक्रिया
छात्रों को उन्नत और सामान्य स्तरों के बीच चयन करने के लिए एक निर्दिष्ट समय-सीमा दी जाएगी। इस अवधि के भीतर वे अपने चयन को बदलने के लिए भी स्वतंत्र होंगे। राहुल सिंह ने आगे कहा, "इस ढांचे का सटीक प्रारूप अभी तय किया जाना बाकी है। यह नई पाठ्यपुस्तकों पर निर्भर करेगा कि क्या अलग-अलग कठिनाई स्तर की दो किताबें होंगी, पूरक सामग्री होगी, या समान सामग्री से दो प्रकार के प्रश्नपत्र तैयार किए जाएंगे।"