CBSE के नए फैसले से बढ़ी स्कूलों की मुश्किलें, अब बोर्ड के EXAM में छात्रों को....

Edited By Anu Malhotra,Updated: 19 Sep, 2024 08:34 AM

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने नए फैसले में कहा है कि बोर्ड के छात्रों को केवल हिंदी और अंग्रेजी में ही उत्तर लिखने की अनुमति होगी। इसके अलावा किसी भी अन्य भाषा में जवाब देने पर प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि, कुछ चुनिंदा उर्दू...

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने नए फैसले में कहा है कि बोर्ड के छात्रों को केवल हिंदी और अंग्रेजी में ही उत्तर लिखने की अनुमति होगी। इसके अलावा किसी भी अन्य भाषा में जवाब देने पर प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि, कुछ चुनिंदा उर्दू स्कूलों को इस नियम से छूट दी गई है, जिन्हें बोर्ड से विशेष अनुमति मिली हुई है। लेकिन मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी से संबद्ध तीन उर्दू स्कूल इस नियम के कारण संकट का सामना कर रहे हैं।

ये कौन से स्कूल हैं?
 रिपोर्ट के मुताबिक, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के ये तीन उर्दू स्कूल हैदराबाद, नूंह (हरियाणा) और दरभंगा (बिहार) में हैं। आपको बता दें कि ये तीनों स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं और बोर्ड एडमिशन फॉर्म भरते समय यह बात साफ तौर पर कहता है उम्मीदवार हिंदी और अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य माध्यम में उपस्थित होने का विकल्प नहीं चुन सकते हैं।

कॉपी चेक नहीं होगी
CBSE की गवर्निंग बॉडी ने जून में फैसला किया था कि जब तक बोर्ड से अनुमति नहीं ली जाती, CBSE के छात्र हिंदी और अंग्रेजी के अलावा किसी भी भाषा में पेपर नहीं लिख सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो उनकी कॉपी चेक नहीं की जायेगी। इस संबंध में हुई बोर्ड बैठक में यह भी कहा गया कि जो छात्र बोर्ड की मंजूरी के बिना हिंदी और अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य माध्यम से परीक्षा देंगे, उनकी न तो कॉपियां चेक की जाएंगी और न ही उनका रिजल्ट घोषित किया जाएगा। जो भी अभ्यर्थी बोर्ड की नीति के विरुद्ध जाएगा उसका परिणाम जारी नहीं किया जाएगा।

स्कूल कब शुरू हुए?
आपको बता दें कि मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के इन तीन मॉडल उर्दू स्कूलों की शुरुआत साल 2010 में हुई थी। इनमें से दो स्कूलों के अधिकारियों का कहना है कि CBSE ने उन्हें मान्यता दी और पहले पूरी जानकारी नहीं दी कि यहां पढ़ाई उर्दू में होती है। उन्होंने आगे कहा कि इन स्कूलों के छात्रों को उर्दू के बजाय हिंदी और अंग्रेजी में question paper मिलते हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। साल 2020 तक इन स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू तीनों भाषाओं में पेपर लिए जाते थे, लेकिन पिछले तीन साल से ऐसा नहीं हुआ है।

नए फैसले से मुश्किलें बढ़ेंगी
अधिकारियों का कहना है कि अब तक प्रश्नपत्र उर्दू में नहीं आ रहा था, लेकिन बच्चे उर्दू में उत्तर लिख रहे थे। इस फैसले के बाद वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। इससे बच्चों को पहले जो परेशानी हो रही थी, वह और बढ़ जायेगी और बोर्ड की ओर से अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है।
 
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जब इस बारे में सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रण से संपर्क किया गया तो उन्होंने एक अखबार को ईमेल लिखकर जवाब दिया कि उर्दू माध्यम के स्कूल केवल दिल्ली में हैं और उन्हें इसी माध्यम से प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए जाते हैं।


 

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