Edited By Anu Malhotra,Updated: 11 Nov, 2024 08:32 AM
प्रमुख टायर निर्माता कंपनियां लगातार तीसरी तिमाही में कीमतों में बढ़ोतरी की योजना बना रही हैं ताकि बढ़ती इनपुट लागत, विशेष रूप से प्राकृतिक रबर की कीमतों में हुई वृद्धि की भरपाई की जा सके। CEAT और JK टायर जैसी कंपनियों ने अपने राजस्व में स्थिर...
नेशनल डेस्क : प्रमुख टायर निर्माता कंपनियां लगातार तीसरी तिमाही में कीमतों में बढ़ोतरी की योजना बना रही हैं ताकि बढ़ती इनपुट लागत, विशेष रूप से प्राकृतिक रबर की कीमतों में हुई वृद्धि की भरपाई की जा सके। CEAT और JK टायर जैसी कंपनियों ने अपने राजस्व में स्थिर वृद्धि के बावजूद लाभ मार्जिन में कमी देखी है, जिससे बढ़ी लागत का कुछ हिस्सा ग्राहकों पर डालने की तैयारी की जा रही है।
सिएट ने अपने यात्री और वाणिज्यिक टायर सेगमेंट में 3 से 4 प्रतिशत की वृद्धि की है, और मौजूदा तिमाही में भी कीमतों में और बढ़ोतरी की योजना है। हाल ही में जारी आय रिपोर्ट में कंपनी ने बताया कि दूसरी तिमाही में उसका राजस्व 3,300 करोड़ रुपये रहा, जो सालाना आधार पर 8.2 प्रतिशत की वृद्धि है। हालांकि, इसका परिचालन मार्जिन वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के 12.47 प्रतिशत से घटकर दूसरी तिमाही में 11.71 प्रतिशत पर आ गया, जिसका मुख्य कारण इनपुट लागत में बढ़ोतरी है।
सिएट के सीएफओ कुमार सुपैया ने कहा कि इन लागत दबावों का प्रबंधन करने के लिए विभिन्न सेगमेंट में कीमतें बढ़ाई गई हैं, और आगामी तिमाही में भी इसे समायोजित किया जा सकता है।
जेके टायर के प्रबंध निदेशक अंशुमान सिंघानिया ने बताया कि कंपनी को लागत वसूली में कुछ सफलता मिली है, लेकिन बाजार की गतिशीलता को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्राकृतिक रबर की कीमतों में कमी से कुछ हद तक राहत मिलेगी, लेकिन जरूरत पड़ने पर कीमतों में और वृद्धि की जाएगी।
जेके टायर का परिचालन मार्जिन भी पहली तिमाही के 12.81 प्रतिशत से घटकर दूसरी तिमाही में 10.69 प्रतिशत पर आ गया है। हालांकि, दोनों कंपनियों का मानना है कि टायर बदलने के बाजार में मांग मजबूत बनी हुई है, जिससे कीमतों में वृद्धि का असर कम करने में मदद मिलेगी।
रबर की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के कारण यह क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष शशि सिंह ने कहा कि हाल ही में प्राकृतिक रबर की कीमतों में 13 प्रतिशत की कमी के बाद अचानक 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला में भी अड़चनें आ रही हैं।