कृषि सुधारों को गति देने के लिए केंद्र बना रहा है सशक्त पैनल, GST मॉडल होगा आधार

Edited By Rahul Rana,Updated: 18 Dec, 2024 12:16 PM

center is forming a powerful panel to speed up agricultural reforms

हाल ही में राष्ट्रीय कृषि केंद्र द्वारा तैयार की गई और सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी की गई मसौदा कृषि नीति में कई सुधारों की सिफारिश की गई है। इनमें से अधिकांश सुधार पिछले तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का हिस्सा थे जिन्हें किसानों के विरोध के कारण...

नेशनल डेस्क। हाल ही में राष्ट्रीय कृषि केंद्र द्वारा तैयार की गई और सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी की गई मसौदा कृषि नीति में कई सुधारों की सिफारिश की गई है। इनमें से अधिकांश सुधार पिछले तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का हिस्सा थे जिन्हें किसानों के विरोध के कारण 2021 में सरकार ने रद्द कर दिया था।

कृषि मंत्रालय का मसौदा और पैनल की सिफारिशें

जून में मोदी सरकार के तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद कृषि मंत्रालय ने एक पैनल का गठन किया था। इस पैनल का नेतृत्व अतिरिक्त सचिव फैज़ अहमद किदवई कर रहे थे और इसका उद्देश्य कृषि विपणन पर एक राष्ट्रीय नीति ढांचे का मसौदा तैयार करना था। हाल ही में इस पैनल ने मसौदे को अंतिम रूप दिया और कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं।

नए मसौदे की प्रमुख सिफारिशें

- केंद्र-राज्य समिति की स्थापना: पैनल ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू करने के लिए गठित समिति के तर्ज पर एक सशक्त केंद्र-राज्य समिति की स्थापना की सिफारिश की है।

- निजी थोक बाजार: मसौदे में राज्य-विनियमित कृषि उपज बाजार समितियों (APMCs) के दायरे से बाहर निजी थोक बाजारों का प्रस्ताव किया गया है। इसका उद्देश्य कृषि बाजारों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना और किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प देना है।

- विपणन व्यवस्था: मसौदे में निजी बाजारों को एपीएमसी और अन्य विपणन चैनलों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसके अलावा, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं और निर्यातकों द्वारा सीधे थोक बिक्री की सिफारिश भी की गई है।

- अनुबंध खेती: मसौदे में अनुबंध खेती को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है। इसके अनुसार, कृषि अनुबंध "लागत-प्रभावी उत्पादन और पूर्व-सहमत मूल्य पर सुनिश्चित बाजार को मूर्त रूप देने में सहायक हो सकते हैं।"

कृषि संघों की चिंताएं

हालांकि इस मसौदे पर कई कृषि संघों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि इससे किसानों को नुकसान हो सकता है। उनका आरोप है कि ये प्रावधान बड़े निगमों को फायदा पहुंचा सकते हैं जो कीमतों को तय कर सकते हैं और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की प्रणाली से बाहर कर सकते हैं। उनका कहना है कि इससे किसानों को उनके उत्पाद के लिए उचित कीमत नहीं मिल पाएगी और वे बड़े निगमों की दया पर निर्भर हो जाएंगे।

सरकार की "दृष्टिकोण" 

मसौदे में सरकार की "दृष्टिकोण" को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि इसका उद्देश्य "देश में एक जीवंत विपणन पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है जिसमें किसानों को अपनी उपज के लिए सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करने के लिए अपनी पसंद का बाजार मिले।"

कृषि नीति पर आगे की चर्चा

कृषि नीति के मसौदे को लेकर किसानों के संगठन जैसे संयुक्त किसान मोर्चा सरकार से बात करने के लिए तैयार हैं। वे चाहते हैं कि कृषि कानूनों में व्यापारिक लेन-देन को पारदर्शी बनाने के साथ-साथ इसकी निगरानी और विनियमन भी किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रतिस्पर्धा और कृषि बाजारों में सुधार किसानों के लिए फायदेमंद हों।

बता दें कि इस मसौदे के बाद आगे चलकर कृषि नीति पर अधिक बहस और विचार-विमर्श की उम्मीद है जिससे यह स्पष्ट होगा कि किस प्रकार के सुधार किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए अधिक लाभकारी होंगे।

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