Edited By Rahul Rana,Updated: 07 Nov, 2024 03:28 PM
पेंशनभोगियों के डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ाने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) अभियान 3.0 का शुभारंभ किया। पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार, इस अभियान का उद्देश्य...
नेशनल डेस्क। पेंशनभोगियों के डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ाने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) अभियान 3.0 का शुभारंभ किया। पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार, इस अभियान का उद्देश्य पेंशनभोगियों के लिए अपने घर बैठे अथवा निर्धारित पेंशन वितरण केन्द्रों पर डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की प्रक्रिया को सरल बनाना है। यह पहल जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल सशक्तिकरण के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, 1-30 नवंबर, 2024 तक चलेगी, जोकि पूरे भारत के 800 शहरों और कस्बों को कवर करेगी।
बता दें कि डीएलसी अभियान 3.0, 2014 में पहली बार शुरू की गई सफल जीवन प्रमाण पहल का विस्तार है। यह अब तक का सबसे बड़ा अभियान होगा, जोकि देशभर में 1.8 लाख से अधिक ग्रामीण डाक सेवकों और 1,100 नोडल अधिकारियों तक पहुंचेगा। कहा जाए तो कुल मिलाकर, 19 पेंशन वितरण बैंकों, 57 पेंशन कल्याण संघों, सीजीडीए, आईपीपीबी और यूआईडीएआई द्वारा 1,900 शिविर लगाए जाएंगे, जो सभी मिलकर समग्र सरकारी दृष्टिकोण पर अभियान को क्रियान्वित करने के लिए एक साथ आए हैं।
बता दें कि इस अभियान से केंद्र और राज्य सरकारों, ईपीएफओ और स्वायत्त निकायों सहित सभी पेंशनभोगियों को अपने डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र डिजिटल रूप से या घर-घर जाकर जमा करने में मदद मिलेगी। सुपर सीनियर पेंशनभोगियों को इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए विशेष डोर-टू-डोर सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी।
वहीं जितेंद्र सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि डीएलसी अभियान 3.0 का उद्देश्य पेंशनभोगियों को अपनी जीवन स्थिति साबित करने का एक सरल, पारदर्शी और समावेशी तरीका प्रदान करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी पेंशनभोगी पीछे न छूटे। अभियान का डिजिटल दृष्टिकोण पेंशनभोगियों को ऑनलाइन, पेंशन वितरण बैंकों के माध्यम से या आईपीपीबी केंद्रों के माध्यम से अपना जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की अनुमति देगा। साथ ही जितेंद्र सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी का विजन स्पष्ट है - डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम से पेंशनभोगियों के कल्याण में सुधार करना। बता दें कि जीवन प्रमाण को 2014 में लॉन्च किया गया था, और हमने प्रक्रिया को और भी अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने के लिए फेस ऑथेंटिकेशन को जोड़कर इसे और बेहतर बनाया है।"
वहीं जितेंद्र सिंह ने पेंशनभोगियों से इस प्रक्रिया पर प्रतिक्रिया देने का आग्रह किया है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि डीएलसी अभियान 3.0 वास्तविक समय के आंकड़ों और उपयोगकर्ता इनपुट के आधार पर विकसित होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि यह प्रणाली सभी के लिए सुलभ और प्रभावी बनी रहे। पेंशनभोगी सोशल मीडिया, हेल्पलाइन या पेंशन कल्याण संघों (पीडब्ल्यूए) के माध्यम से प्रतिक्रिया साझा कर सकते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विभिन्न हितधारकों की भागीदारी और समन्वित प्रयास से, डीएलसी अभियान 3.0 पेंशनभोगियों के लिए सबसे व्यापक और सुलभ पहल बन गया है, जोकि आने वाले समय में भारत के वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिजिटल सेवाओं को अधिक समावेशी और कुशल बना देगा।