Edited By Rahul Rana,Updated: 01 Dec, 2024 04:37 PM
जेफरीज द्वारा जारी की गई एक नई रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में साल-दर-साल 25 प्रतिशत तक की मजबूत वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी अनुमान जताया गया है कि सरकार के कुल व्यय में भी 15 प्रतिशत तक...
नेशनल डेस्क। जेफरीज द्वारा जारी की गई एक नई रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में साल-दर-साल 25 प्रतिशत तक की मजबूत वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी अनुमान जताया गया है कि सरकार के कुल व्यय में भी 15 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है।
लोकलुभावन नीतियों के बावजूद बुनियादी ढांचे में निवेश
रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनावों के दौरान लोकलुभावन योजनाओं पर खर्च बढ़ने के बावजूद केंद्र सरकार बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश को प्राथमिकता दे रही है। यह सरकार के दीर्घकालिक विकास दृष्टिकोण को दर्शाता है। विशेष रूप से राज्यों में चुनावों के दौरान मुफ्त योजनाओं का प्रचार बढ़ा है लेकिन केंद्र सरकार की प्राथमिकता बुनियादी ढांचा विकास और दीर्घकालिक आर्थिक संपत्ति निर्माण पर बनी हुई है जो भविष्य में देश की स्थिर वृद्धि के लिए जरूरी है।
राज्य चुनावों में मुफ्त योजनाओं का बढ़ता प्रभाव
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि राज्य चुनावों में मुफ्त योजनाओं की बढ़ती सफलता जैसे महाराष्ट्र का कल्याण कार्यक्रम जो सालाना 460 अरब रुपये की लागत में है लोकलुभावनवाद की चिंता को बढ़ा रही है। इस योजना का खर्च राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 1.1 प्रतिशत है। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 28 राज्यों में से 14 राज्यों में ऐसी ही मुफ्त योजनाएं लागू हैं जिनसे लगभग 12 करोड़ परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। इन योजनाओं की कुल लागत भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 0.7-0.8 प्रतिशत है।
पूंजीगत व्यय में वृद्धि की उम्मीद
जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025 के अंत तक यानी 31 मार्च 2025 तक केंद्र सरकार का कुल व्यय साल दर साल आधार पर लगभग 15 प्रतिशत बढ़ेगा जबकि पूंजीगत व्यय में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है। यह रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि लोकलुभावन नीतियों के बावजूद सरकार का ध्यान बुनियादी ढांचे के विकास और दीर्घकालिक संपत्ति निर्माण पर केंद्रित है।
भारतीय शेयर बाजार पर टिप्पणी
रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजार पर भी टिप्पणी की गई है। इसके अनुसार हाल ही में शेयर बाजार में आई गिरावट के बाद अब बाजार स्थिर हो रहा है खासकर मिड-कैप सेगमेंट में। पिछले दो महीनों में विदेशी निवेशकों ने 12.5 अरब डॉलर से अधिक की भारतीय इक्विटी बेची है जो एक बड़ा आंकड़ा है लेकिन घरेलू निवेशकों ने इस निकासी को अच्छी तरह से संभाल लिया है। अक्टूबर में इक्विटी म्यूचुअल फंड में रिकॉर्ड प्रवाह देखा गया और उस दौरान शेयर बाजार में सुधार की दिशा दिखाई दी।
स्थिरता की ओर बढ़ते भारतीय बाजार
रिपोर्ट ने यह भी कहा कि भारत के शेयर बाजार में मजबूत घरेलू निवेश प्रवाह खासकर म्यूचुअल फंड के जरिए बाजार के लिए एक आश्वस्त करने वाला संकेत है। लोकलुभावन नीतियों के बारे में चिंता के बावजूद सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि और घरेलू निवेश के मजबूत रुझान से यह संकेत मिलता है कि भारतीय बाजार स्थिरता की ओर बढ़ रहे हैं।