चार साल बाद जनगणना की तैयारी में केंद्र, 2025 से राष्ट्रव्यापी हाउस लिस्टिंग संभव

Edited By Parminder Kaur,Updated: 14 Jul, 2024 03:21 PM

centre preparing for census after four years

राष्ट्रव्यापी जनगणना शुरू होने के संकेत हैं। केंद्र सरकार ने जनगणना से तीन महीने पहले सभी जिलों, शहरों, तहसील, ताल्लुकों और गांवों की सीमाओं पर रोक लगाने संबंधी अपने आदेश की समय सीमा 30 जून के बाद नहीं बढ़ाई है। ऐसे में तयशुदा कैलेंडर के अनुसार 2021...

नेशनल डेस्क: राष्ट्रव्यापी जनगणना शुरू होने के संकेत हैं। केंद्र सरकार ने जनगणना से तीन महीने पहले सभी जिलों, शहरों, तहसील, ताल्लुकों और गांवों की सीमाओं पर रोक लगाने संबंधी अपने आदेश की समय सीमा 30 जून के बाद नहीं बढ़ाई है। ऐसे में तयशुदा कैलेंडर के अनुसार 2021 में होने वाली जनगणना अब चार साल बाद 2025 की शुरुआत में फिजिकल तौर पर शुरू हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, अब इस साल के छह महीनों के दौरान प्रशासनिक ढांचे को जनगणना के लिए तैयार किया जाएगा। इसके तहत जनगणना कर्मियों की ट्रेनिंग पूरी की जाएगी।

इस बार जनगणना डिजिटल माध्यम से होगी। इसमें नागरिक अपने बारे में सूचनाएं एप के माध्यम से दर्ज कर सकेंगे। इसके लिए जनगणना कर्मियों को नए सिरे से ट्रेनिंग देने की आवश्यकता होगी। पहले चरण में देश में घरों की गिनती की जाएगी। इस राष्ट्रव्यापी हाउस लिस्टिंग में मकानों, उनके कच्चे पक्के होने, सुविधाओं और संपत्ति का विवरण दर्ज होगा। दूसरे चरण में जनगणना कर्मी नागरिकों के बारे में सूचनाएं दर्ज करने जाएंगे। सूत्रों के अनुसार जातिगत जनगणना की मांग भी उठ सकती है।

कुछ राजनीतिक दल इसे उठा भी रहे हैं। बता दें कि केंद्र सरकार पूर्व में ही जनगणना के लिए लगभग 8.5 हजार करोड़ की राशि का प्रावधान कर चुकी है। जनगणना के लिए तीस लाख जनगणना कर्मियों की ट्रेनिंग शुरू होने वाली थी, लेकिन कोरोना महामारी फैलने से इस पर रोक लगानी पड़ी। महामारी का दौर खत्म होने के बाद केंद्र अपरिहार्य कारणों से जनगणना टालता आ रहा है। सीमाएं सील करने संबंधी आदेश को भी तब से 9 बार बढ़ाया गया था।

महिला आरक्षण का रास्ता भी खुलेगा

डिजिटल जनगणना यदि 2026 के अंत तक पूरी हुई तो इसके बाद डिलिमिटेशन कमीशन गठित कर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने का रास्ता भी खुलेगा। मोदी सरकार पिछले साल संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पास करा चुकी है। इसके तहत महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण होगा। जनगणना के आंकड़ों पर डिलिमिटेशन यानी संसदीय एवं विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे सीमांकन कराना निर्भर है। देश में 2026 तक लोकसभा और विधानसभा की सीटें नहीं बढ़ाई जा सकती हैं। फिलहाल, देशभर में सीटों का वितरण 1971 की जनगणना के आधार पर है।

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