पंजाब को सबसे अधिक रुपए का आवंटन, केंद्र ने कृषि अवशेष प्रबंधन पर खर्च किए 3,623 करोड़ : पर्यावरण मंत्री

Edited By Utsav Singh,Updated: 27 Nov, 2024 06:01 PM

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केंद्र सरकार ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुआल जलाने की समस्या को रोकने के लिए 2018 से लेकर अब तक 3,623.45 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह राशि किसानों को पुआल प्रबंधन के लिए मशीनरी की खरीदारी और कस्टम हायरिंग सेंटर (CHCs) स्थापित करने...

नेशनल डेस्क : केंद्र सरकार ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुआल जलाने की समस्या को रोकने के लिए 2018 से लेकर अब तक 3,623.45 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह राशि किसानों को पुआल प्रबंधन के लिए मशीनरी की खरीदारी और कस्टम हायरिंग सेंटर (CHCs) स्थापित करने के लिए दी गई है। इस योजना का उद्देश्य कृषि अवशेषों का सही तरीके से निपटान करना और स्थायी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना है।

पंजाब को मिला सबसे अधिक 1,681.45 करोड़ रुपये
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री, किर्ती वर्धन सिंह ने लोकसभा में बताया कि इस राशि का सबसे बड़ा हिस्सा पंजाब को मिला है, जहां 1,681.45 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके बाद हरियाणा को 1,081.71 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश को 763.67 करोड़ रुपये, दिल्ली को 6.05 करोड़ रुपये, और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को 83.35 करोड़ रुपये मिले हैं।

3 लाख से अधिक मशीनें वितरित की गईं
केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत 3 लाख से अधिक पुआल प्रबंधन मशीनों का वितरण किया है, जिसमें 4,500 बैलर्स और रेक्स शामिल हैं, जो धान के तनों को इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल होती हैं। यह मशीनें किसानों को पुआल जलाने से बचने में मदद करती हैं और पुआल के सही तरीके से उपयोग को बढ़ावा देती हैं।

कृषि मंत्रालय की योजना और कार्यान्वयन
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2018 में एक योजना शुरू की थी जिसका उद्देश्य पुआल प्रबंधन मशीनरी की खरीद को बढ़ावा देना और कस्टम हायरिंग सेंटर (CHCs) स्थापित करना था। इस योजना को 2023 में संशोधित किया गया ताकि पुआल प्रबंधन के लिए एक बेहतर आपूर्ति श्रृंखला बनाई जा सके। इस योजना के तहत सरकार ने पुआल प्रबंधन के लिए मशीनों की लागत में वित्तीय सहायता प्रदान की है।

मुख्य राज्य और संस्थाओं के सहयोग से योजना का कार्यान्वयन
केंद्र सरकार ने राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के साथ-साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), और ICAR जैसी प्रमुख संस्थाओं के साथ मिलकर पुआल जलाने की समस्या का समाधान करने के लिए एक व्यापक योजना शुरू की है।

फील्ड में पुआल प्रबंधन के लिए मशीनों का वितरण
सरकार ने पुआल के प्रबंधन के लिए जरूरी मशीनें जैसे सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम्स (SMS) भी वितरित की हैं। ये मशीनें धान के तनों को काटकर खेतों में समान रूप से फैला देती हैं, जिससे पुआल जलाने की आवश्यकता खत्म हो जाती है। इसके अलावा, IARI द्वारा विकसित बायोडीकम्पोजर्स का इस्तेमाल करके पुआल को प्राकृतिक तरीके से खाद में बदला जा सकता है।

पुआल के लिए वैकल्पिक उपयोग और फाइनेंशियल सपोर्ट
सरकार पुआल के वैकल्पिक उपयोग के लिए भी योजनाएं चला रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने पुआल से मूल्यवान उत्पाद बनाने के लिए पैलेटाइजेशन और टॉरेफैक्शन प्लांट्स स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी है। सरकार इन प्लांट्स के लिए 1.4 करोड़ रुपये तक की सहायता दे रही है, जबकि टॉरेफैक्शन प्लांट्स के लिए यह राशि 2.8 करोड़ रुपये तक हो सकती है।

17 आवेदन स्वीकृत, 2.70 लाख टन पुआल का प्रबंधन होगा
अब तक 17 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 15 प्लांट्स हर साल 2.70 लाख टन पुआल का प्रबंधन करने में सक्षम होंगे। यह कदम पुआल जलाने की समस्या को खत्म करने में अहम साबित होगा और पर्यावरण को बचाने के लिए बड़ा योगदान करेगा।

केंद्र सरकार के इस प्रयास से पुआल जलाने की समस्या को नियंत्रित करने और स्थायी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। यह कदम किसानों के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि अब उन्हें पुआल जलाने के बजाय इसे उचित तरीके से उपयोग करने के विकल्प मिलेंगे। सरकार की यह योजना न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगी, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि कर सकती है।

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