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चंबल की कुख्यात डकैत का निधन हुआ निधन, जानें सामान्य सी एक लड़की के अपराधी बनने की पूरी कहानी

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 03 Mar, 2025 12:29 PM

chambal s notorious dacoit kusum nain passes away

कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रही कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन का लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह पिछले 20 वर्षों से आजीवन कारावास की सजा काट रही थीं और लंबे समय से टीबी जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित थीं। आत्मसमर्पण के...

नेशनल डेस्क: कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रही कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन का लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह पिछले 20 वर्षों से आजीवन कारावास की सजा काट रही थीं और लंबे समय से टीबी जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित थीं। आत्मसमर्पण के बाद उन्होंने आध्यात्मिक जीवन अपना लिया था।

कुसुमा नाइन: एक सामान्य लड़की से कुख्यात डकैत बनने तक

कुसुमा नाइन का जन्म 1964 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के टिकरी गांव में हुआ था। उनके पिता गांव के प्रधान थे, जिससे उनका बचपन काफी सुखद रहा। लेकिन तेरह वर्ष की उम्र में माधव मल्लाह नामक युवक से प्रेम संबंध ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। माधव मल्लाह के साथ भागने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और परिवार ने उनकी शादी किसी और से कर दी। लेकिन माधव मल्लाह ने विक्रम मल्लाह के गिरोह में शामिल होकर कुसुमा को ससुराल से उठा लिया। इसके बाद कुसुमा का जीवन चंबल के बीहड़ों में बीतने लगा और वह अपराध की दुनिया में कुख्यात हो गईं। विक्रम मल्लाह के गिरोह में शामिल होने के बाद कुसुमा नाइन ने हथियार चलाने की कला में महारत हासिल कर ली। देखते ही देखते वह बीहड़ों की खतरनाक डकैतों में गिनी जाने लगीं। उन्होंने कई अपहरण, लूट और हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम दिया। उनकी दुश्मनी कुख्यात डकैत फूलन देवी से भी थी। इसी दुश्मनी के चलते कुसुमा नाइन ने कई मल्लाह डकैतों की हत्या कर दी थी।

अपराध की दुनिया से आत्मसमर्पण तक

जून 2004 में, मध्य प्रदेश के भिंड जिले में कुसुमा नाइन ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और इटावा जिला जेल में रखा गया। जेल में रहने के दौरान उन्होंने आध्यात्मिक जीवन अपना लिया और अन्य कैदियों को गीता और रामायण का पाठ पढ़ाने लगीं।

बीमारी और निधन

पिछले एक महीने से कुसुमा नाइन गंभीर रूप से बीमार थीं। 31 जनवरी को जब उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई तो उन्हें सैफई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। हालत में सुधार न होने पर लखनऊ के पीजीआई अस्पताल रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। कुसुमा नाइन के निधन के बाद पुलिस ने उनके शव को परिजनों को सौंप दिया। इटावा जेल अधीक्षक कुलदीप सिंह ने उनके निधन की पुष्टि की।
 

 

 

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