Chandrayaan-3 : भारत का नया कीर्तिमान, चंद्रयान-3 की सफलता पर ISRO को विश्व अंतरिक्ष पुरस्कार

Edited By Tanuja,Updated: 22 Jul, 2024 06:07 PM

chandrayaan 3 awarded world space award for historic milestone

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 मिशन को 2024 में विश्व अंतरिक्ष पुरस्कार (IAF World Space Award) से....

International Desk: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 मिशन को 2024 में विश्व अंतरिक्ष पुरस्कार (IAF World Space Award) से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार 14 अक्टूबर 2024 को इटली में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन (International Astronautical Congress) में प्रदान किया जाएगा। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करके ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी, जो अब तक किसी अन्य मिशन ने नहीं किया था। इसरो के चंद्रयान-3 मिशन को पहले भी कई अन्य महत्वपूर्ण पुरस्कारों  जैसे कि एविएशन वीक लॉरेट्स अवार्ड और लीफ एरिक्सन लूनर प्राइज से नवाजा जा चुका है । चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की, जिससे भविष्य में चंद्रमा पर अनुसंधान और संभवतः मानव जीवन के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं। 

 

चंद्रयान-3 मिशन के मुख्य उद्देश्य थे...
 
चंद्रयान-3, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन है, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। यह क्षेत्र अब तक अज्ञात और अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। 

  • चंद्रमा की सतह की संरचना और भौतिक गुणों का अध्ययन।
  • चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि।
  • चंद्रमा की सतह पर सल्फर और अन्य खनिजों की पहचान।
  • चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग किए और महत्वपूर्ण डेटा एकत्र किया, जिससे भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए नए मार्ग प्रशस्त हुए हैं। 

 

इसरो की अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

 

(मार्स ऑर्बिटर मिशन) मंगलयानः मंगलयान, जिसे 2013 में लॉन्च किया गया था, भारत का पहला इंटरप्लानेटरी मिशन था। इसने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया और भारत को मंगल ग्रह तक पहुंचने वाला पहला एशियाई ​ (IAF)​​ (India Today)​​ (आज तक)​तह और वातावरण का अध्ययन करना था।
मंगलयान ने मंगल की सतह की उच्च-गुणवत्ता वाली तस्वीरें भेजी और वहां के वातावरण में मेथेन गैस की जांच की।

 

आर्यभट्ट सैटेलाइटः आर्यभट्ट, भारत का पहला उपग्रह, 1975 में लॉन्च किया गया था। इसरो द्वारा डिज़ाइन और निर्मित, इसने भारत को अंतरिक्ष युग में प्रवेश दिलाया और संचार और मौसम संबंधी अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

 

जीएसएलवी मार्क III:  इसरो का सबसे शक्तिशाली लॉन्च वाहन जीएसएलवी मार्क III  है  जिसने चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे भारी उपग्रहों को लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह रॉकेट भविष्य में मानव अंतरिक्ष यान मिशनों के लिए भी उपयोग किया जाएगा।

 

नाविक (NAVIC) प्रणाली: नाविक, भारत की क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट प्रणाली, जिसे 2016 में लॉन्च किया गया था। यह प्रणाली भारत और इसके आस-पास के क्षेत्रों में सटीक स्थान सेवाएं प्रदान करती है।


(PSLV) पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल : PSLV  इसरो का सबसे भरोसेमंद और सफल लॉन्च वाहन है, जिसने 300 से अधिक विदेशी उपग्रहों को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया है। यह वाहन भारत की वाणिज्यिक अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है।


अंतर्राष्ट्रीय मान्यता और पुरस्कार
एविएशन वीक लॉरेट्स अवार्ड: इसरो को चंद्रयान-3 मिशन के लिए एविएशन वीक लॉरेट्स अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार अंतरिक्ष क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों को मान्यता देता है। इसके अलावा सरो को इसके उत्कृष्ट चंद्र अन्वेषण प्रयासों के लिए लीफ एरिक्सन लूनर प्राइज पुरस्कार प्रदान किया गया। चंद्रयान-3 और अन्य मिशनों की सफलता ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसरो की प्रतिष्ठा को और मजबूत किया है और भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के अग्रणी देशों में शामिल किया है। 

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