NCERT की किताब से हटा बाबरी मस्जिद का चैप्टर, लिखा- तीन गुंबद वाला ढांचा, कारसेवा और विध्वंस की डिटेल्स भी गायब

Edited By Yaspal,Updated: 16 Jun, 2024 06:18 PM

chapter on babri masjid removed from ncert book written three domed structure

स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को खारिज करते हुए एनसीईआरटी के निदेशक ने कहा है कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद गिराए जाने के संदर्भों को इसलिए संशोधित किया गया

नेशनल डेस्कः स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को खारिज करते हुए एनसीईआरटी के निदेशक ने कहा है कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद गिराए जाने के संदर्भों को इसलिए संशोधित किया गया, क्योंकि दंगों के बारे में पढ़ाना "हिंसक और अवसादग्रस्त नागरिक पैदा कर सकता है।" राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने शनिवार को कहा कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव वार्षिक संशोधन का हिस्सा है और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।

एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद गिराए जाने के संदर्भ में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सकलानी ने कहा, "हमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति।" उन्होंने कहा, "क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यह शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें ऐसे छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए... जब वे बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में सीख सकते हैं, लेकिन स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में क्यों। बड़ा होने पर उन्हें यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ। बदलावों के बारे में हंगामा अप्रासंगिक है।"

सकलानी की टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं, जब नई पाठ्यपुस्तकें कई संदर्भ हटाए जाने और बदलावों के साथ बाजार में आई हैं। कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की संशोधित पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसे "तीन गुंबद वाली संरचना" के रूप में संदर्भित किया गया है। इसमें अयोध्या खंड को चार से घटाकर दो पृष्ठ का कर दिया गया है और पिछले संस्करण से विवरण हटा दिया गया है। यह इसके बजाय सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्रित नजर आता है, जिसने उस स्थान पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, जहां दिसंबर 1992 में कारसेवकों द्वारा गिराए जाने से पहले विवादित ढांचा खड़ा था। शीर्ष अदालत के फैसले को देश में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया था। अदालत के फैसले को देश में व्यापक तौर पर स्वीकार किया गया। मंदिर में राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा इसी वर्ष 22 जनवरी को प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी।

सकलानी ने कहा, "हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं और यही हमारी पाठ्यपुस्तकों का उद्देश्य है। हम उनमें सबकुछ नहीं रख सकते। हमारी शिक्षा का उद्देश्य हिंसक और अवसादग्रस्त नागरिक पैदा करना नहीं है। घृणा और हिंसा शिक्षण के विषय नहीं हैं। इन पर हमारी पाठ्यपुस्तकों का ध्यान केंद्रित नहीं होना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि 1984 के दंगों की बात पाठ्यपुस्तकों में नहीं होने को लेकर ऐसा ही हंगामा नहीं किया जाता।

पाठ्यपुस्तकों से हटाए गए संदर्भों में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक भाजपा की 'रथ यात्रा'; कारसेवकों की भूमिका; बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद सांप्रदायिक हिंसा; भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन; और भाजपा की "अयोध्या में हुई घटनाओं पर खेद" की अभिव्यक्ति भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, "अगर उच्चतम न्यायालय ने राम मंदिर, बाबरी मस्जिद या राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला दिया है, तो क्या इसे हमारी पाठ्यपुस्तकों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, इसमें क्या समस्या है? हमने अद्यतन चीजें शामिल की हैं। अगर हमने नई संसद का निर्माण किया है, तो क्या हमारे छात्रों को इसके बारे में पता नहीं होना चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है कि हम प्राचीन घटनाक्रम और हाल के घटनाक्रम को शामिल करें।''

पाठ्यक्रम और अंततः पाठ्यपुस्तकों के भगवाकरण के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर सकलानी ने कहा, "अगर कुछ अप्रासंगिक हो गया है... तो इसे बदलना होगा। इसे क्यों नहीं बदला जाना चाहिए। मुझे यहां कोई भगवाकरण नहीं दिखता। हम छात्रों को इसलिए इतिहास पढ़ाते हैं, ताकि वे तथ्यों के बारे में जानें, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाएं।''

सकलानी ने कहा, "अगर हम भारतीय ज्ञान प्रणाली के बारे में बता रहे हैं, तो यह भगवाकरण कैसे हो सकता है? अगर हम महरौली के लौह स्तंभ के बारे में बता रहे हैं और कह रहे हैं कि भारतीय किसी भी धातु वैज्ञानिक से कहीं आगे थे, तो क्या हम गलत कह रहे हैं? यह भगवाकरण कैसे हो सकता है?"

सकलानी (61) साल 2022 में एनसीईआरटी निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने से पहले एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास विभाग के प्रमुख थे। पाठ्यपुस्तकों में बदलाव, विशेष रूप से ऐतिहासिक तथ्यों से संबंधित बदलाव को लेकर उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘पाठ्यपुस्तकों में बदलाव में क्या गलत है? पाठ्यपुस्तकों को अद्यतन करना एक वैश्विक कवायद है, यह शिक्षा के हित में है। पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा करना एक वार्षिक कवायद है। जो भी बदलाव किया जाता है वह विषय और शिक्षाशास्त्र विशेषज्ञों द्वारा तय किया जाता है। मैं इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता हूं ...ऊपर से कुछ भी नहीं थोपा गया है।'' उन्होंने कहा, "पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है, सबकुछ तथ्यों और सबूतों पर आधारित है।" एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्कूली पाठ्यपुस्तकों के पाठ्यक्रम को संशोधित कर रही है।

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