बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, साथ ही चारधाम यात्रा का हुआ समापन

Edited By Rahul Rana,Updated: 18 Nov, 2024 09:07 AM

chardham yatra ends with closing of doors of badrinath dham

रविवार को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का समापन हो गया। यह प्रक्रिया रात 9.07 बजे पूरी हुई। बदरीनाथ के कपाट बंद होने से पहले पंच दिवसीय पंच पूजा का आयोजन किया गया, जो 17 नवंबर को समाप्त हुआ। इस वर्ष अब तक 14 लाख...

नेशनल डेस्क। रविवार को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का समापन हो गया। यह प्रक्रिया रात 9.07 बजे पूरी हुई। बदरीनाथ के कपाट बंद होने से पहले पंच दिवसीय पंच पूजा का आयोजन किया गया, जो 17 नवंबर को समाप्त हुआ। इस वर्ष अब तक 14 लाख 20 हजार से अधिक श्रद्धालु भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने पहुंचे थे।

कपाट बंद होने से पहले की पूजा

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पहले पंच पूजा की शुरुआत की गई थी। पंच पूजा के तहत कई धार्मिक अनुष्ठान किए गए:

: 14 नवंबर को नारायण मंदिर के सामने आदिकेदारेश्वर मंदिर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट विधि- 
   विधान से बंद किए गए।
: 15 नवंबर को खड़क पुस्तक पूजन के साथ बदरीनाथ मंदिर में वेद ऋचाओं का वाचन समाप्त हुआ।
: 16 नवंबर को मां लक्ष्मी के लिए कढ़ाई भोग अर्पित किया गया।
: 17 नवंबर को भगवान नारायण के कपाट बंद किए गए।

कपाट बंद होने पर श्रद्धालुओं का उत्साह

बदरीनाथ के कपाट बंद होने के दिन करीब 10 हजार श्रद्धालु धाम में पहुंचे और भगवान के दर्शन किए। इस मौके पर मंदिर में “जय बदरी विशाल” के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा। मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया था और पूरी प्रक्रिया को श्रद्धा और भक्ति के साथ अंजाम दिया गया।

पूजा का पूरा विवरण

: सुबह साढ़े चार बजे: बदरीनाथ की अभिषेक पूजा शुरू हुई।
: तुलसी और हिमालयी फूलों से सजाया गया: मंदिर को सुंदर तरीके से सजाया गया।
: सायं छह बजकर 45 मिनट: सायंकालीन पूजा शुरू हुई, जिसमें रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी 
  ने देवी लक्ष्मी को मंदिर में प्रवेश कराया, यह एक विशेष पूजा थी।
: रात 8:10 बजे: शयन आरती हुई और उसके बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
  चारधाम यात्रा का समापन

अंत में बता दें कि इस साल की चारधाम यात्रा का समापन अब हो चुका है। पहले ही गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट बंद हो चुके थे, और अब भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। श्रद्धालुओं को अगले साल फिर से धाम के खुले कपाट दर्शन के लिए आने का अवसर मिलेगा।

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