#ChhapaakReview : दर्द के साथ-साथ हौसले की कहानी है 'छपाक'

Edited By Chandan,Updated: 09 Jan, 2020 02:56 PM

chhapaak movie review

एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित फिल्म ''छपाक'' 10 जनवरी को रिलीज हो रही है। फिल्म के पहले पोस्टर से ही चर्चा का विषय रही इस फिल्म में दीपिका पादुकोण लीड रोल में नजर आ रही हैं। पर्दे पर उनका साथ निभा रहे हैं विक्रांत मैसी जो...

फिल्म: छपाक (Chhapaak)
स्टारकास्ट: दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone), विक्रांत मैसी (Vikrant Massey)
डायरेक्टरः मेघना गुलजार (Meghna Gulzar)
रेटिंग: 4 स्टार/5*

नई दिल्ली। अक्सर कहा जाता है कि फिल्में हमारे ही समाज का आइना होती हैं और इसकी कहानियां समाज में घटने वाली घटनाओं से प्रेरित होती हैं। एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना को पर्दे पर उतारा है संवेदनशील मुद्दों की फिल्म मेकिंग पर महारत हासिल कर चुकीं डायरेक्टर मेघना गुलजार ने। जी हां, फिल्म 'तलवार' और 'राजी' के बाद मेघना साल 2005 में घटी उस घटना को सामने लेकर आई हैं जिसने भारत में एक नई मुहिम को जन्म दिया। ये घटना थी 15 साल की लक्ष्मी (Laxmi Agarwal) पर फेंके गए तेजाब की जो फिल्म 'छपाक' पर्दे पर उतारने जा रही है।

फिल्म में दीपिका पादुकोण ने मुख्य भूमिका निभाई है और पर्दे पर उनका साथ दिया है विक्रांत मैसी ने। इस फिल्म से दीपिका बतौर प्रोड्यूसर डेब्यू कर रही हैं। फिल्म के पहले पोस्टर रिलीज के बाद से ही फिल्म लगातार चर्चाओं में बनी हुई है और लगातार इसे सराहना मिल रही है। दर्शक बेसब्री से इसका इंतेजार कर रहे थे और ये इंतेजार आखिरकार इस शुक्रवार यानी कि 10 जनवरी को खत्म होने जा रहा है। अगर आप भी फिल्म देखने जा रहे हैं तो पहले पढ़ें ये मूवी रिव्यू (Chhapaak Movie Review)...

अलग-अलग इमोशन्स से भरी 'कहानी'
फिल्म एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के जिंदगी से प्रेरित है। कहानी शुरू होती है एसिड अटैक सर्वाइवर मालती (दीपिका पादुकोण) से जो अपने घर का खर्च संभालने के लिए नौकरी की तलाश कर रही है। एसिड अटैक के बाद बदले उसके चेहरे के बाद उसे कोई भी नौकरी देने को तैयार नहीं होता है। तभी एक पत्रकार मालती का इंटरव्यू लेती है और उसी के जरिए मालती की मुलाकात होती है एसिड अटैक विक्टिम और सर्वाइवर्स के लिए एनजीओ चल रहे अमोल (विक्रांत मैसी) से। इस मुलाकात के बाद मालती इस एनजीओ से जुड़ जाती हैं और तब मालती के सामने इस त्रासदी से गुजरी कई और लड़कियों की जिंदगी सामने आती है। उनकी जिंदगी को देखकर मालती को अपने साथ हुई घटना याद आ जाती है और कहानी फ्लैशबैक में जाती है जिसके बाद पर्दे पर दिखती है मालती के साथ हुई वो दर्दनाक घटना।

15 साल की उम्र में 32 साल का बशीर खान उसे शादी के लिए प्रपोज करता है। मालती के इंकार करने पर वो उस पर तेजाब फेंक देता है और इसमें उसका साथ देती है उसकी भाई की बीवी परवीन। पलभर में मालती की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है और यहां से शुरू होती है मालती की लड़ाई, उन गुनहगारों से, अपने दर्द से और समाज से जो हर कदम पर उस पर सवाल उठाता है। अब कैसे एसिड के दर्द से कराहती मालती पूरे आत्म विश्वास के साथ इन सबसे लड़कर इससे बाहर निकलती है, एसिड बिक्री के नियम में संशोधन कराती है, अपनी अलग पहचान बनाती है और लाखों-करोड़ों लोग के लिए प्रेरणा बनती है ये तो आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा।

दमदार 'एक्टिंग' (Acting)
फिल्म में एक्टिंग की बात करें तो दीपिका ने मालती का किरदार निभाकर एक बार फिर खुद को बेहतरीन एक्ट्रेस साबित कर दिया है। एसिड अटैक सर्वाइवर जैसे संवेदनशील किरदार को उन्होंने पर्दे पर बखूबी जिया है। उनकी चीख में एसिड अटैक सर्वाइवर का वो दर्द, उनकी मुस्कान में वो हिम्मत और आंखों की चमक में वो उम्मीद साफ दिखती है। वहीं बात करें विक्रांत की तो वो अमोल के किरदार में बिल्कुल फिट बैठे हैं। उन्होंने अपने किरदार को पूरी गंभीरता से निभाया है और उसके साथ पूरा न्याय किया है। इनके अलावा अंकित बिष्ट, मधुरजीत सरघी संग देवस दीक्षित और बाकी सपोर्टिंग कैरेक्टर्स की बात करें तो सभी कलाकारों ने अपने किरदार को निभाने में पूरी ईमानदारी बर्ती है। एक्टर्स के अलावा फिल्म में रियल लाइफ एसिड अटैक सर्वाइवर ऋतू, बाला, कुंती और जीतू ने भी फिल्म में बहुत ही अच्छा काम किया है।

उम्दा 'डायरेक्शन' (Direction)
फिल्म 'तलवार' (Talvar) और 'राजी' (Raazi) के बाद मेघना गुलजार ने छपाक से एक बार फिर से संवेदनशील मुद्दों पर अपनी बेहतरीन पकड़ को साबित कर दिया है। फिल्म में एसिड अटैक सर्वाइवर के दर्द को बहुत ही पूरी गहराई के साथ बयां किया गया है लेकिन इसके साथ ही उनके हौसले को भी पूरे जोश के साथ दिखाया गया है। दर्द, हौसला और रोमांस को फिल्म में परफेक्ट तरीके से बैलेंस किया गया है। डायरेक्शन के साथ-साथ मेघना इस फिल्म की को-राइटर भी हैं और उन्होंने राइटर अतिका चौहान के साथ इस फिल्म को लिखा है, ये कहना गलत नहीं होगा कि अपना काम उन्होंने पूरी जिम्मेदारी के साथ किया है और उन्होंने फैक्ट्स के साथ किसी भी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की है। इसके साथ ही बात करें फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग की तो दोनों ही बहुत शानदार है। इस फिल्म में सबसे बड़ा कमाल है प्रोस्थेटिक्स का जो मालती के किरदार में जान फूंक देता है।

दिल को छूता 'म्यूजिक' (Music)
फिल्म में शंकर एहसान लॉय (Shankar Ehsaan Loy) का बेहतरीन म्यूजिक है। वहीं गुलजार के लिखे गए लिरिक्स को अरिजीत सिंह ने अपनी आवाज से सजाया है जो दिल को छू जाते हैं। हालांकि फिल्म में सिर्फ 3 गाने हैं लेकिन सभी सिचुएशन के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठते हैं। इसका टाइटल ट्रैक (Chhapaak Title Track) बहुत ही दमदार है। इसके लिरिक्स जहां एक तरफ आपको उस दर्द को महसूस कराते हैं वहीं दूसरी तरफ इसका म्यूजिक आपको हिम्मत से भर देगा। वहीं बैकग्राउंड स्कोर की बात करें तो वो पूरी तरह से फिल्म को सपोर्ट करता है।

बहुत कुछ है खास

  • फिल्म की सबसे खास बात है इसका सब्जेक्ट जिसे सामने लाकर उस पर बात करना और लोगों तक पहुंचाना बहुत ही जरूरी है।
  • फिल्म का डायरेक्शन बहुत ही बेहतरीन है जो कभी आपके दिल को दहला देगा, कभी आपकी आंखों को आंसू से भर देगा तो कभी आपके होथों पर मुस्कान ला देगा।
  • इस फिल्म से एसिड अटैक से जुड़ी कई ऐसी जानकारी मिलती है जिसकी जानकारी बहुत से लोगों को अब तक नहीं थी।
  • इस फिल्म के जरिए आपको पर्दे पर वो जिंदगी देखने को मिलती है जिससे बहुत से लोग अभी तक अंजान थे।
  • फिल्म एक ऐसा मैसेज देती है जो हर किसी को प्रेरित करता है।
  • इस फिल्म की एक और खास बात है कि रियल इंसीडेंट के फैक्ट्स से कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है।
  • फिल्म में एक्टर्स के साथ-साथ आपको रियल लाइफ एसिड अटैक सर्वाइवर भी देखने को मिलेंगे।
  • ये फिल्म कहानी कहने के साथ-साथ कई सवाल भी उठाती है।

कमजोर कड़ियां

  • सेकेंड हाफ में कहीं-कहीं फिल्म आपको थोड़ी स्लो लगती है।
  • अगर आप किसी बॉलीवुड मसाला फिल्म की तलाश में हैं तो हम आपको बता दें कि ये फिल्म रियल लाइफ पर बेस्ड है और इसमें आपको बॉलीवुड मसाला देखने को नहीं मिलेगा।
  • फिल्म काफी संवेदनशील मुद्दे पर आधारित है इसलिए इसके डायलॉग्स पर और भी काम किया जा सकता था।
  • ट्राइटल ट्रैक के अलावा फिल्म के गानों की बात करें तो वो और भी बेहतर हो सकते थे।
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