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Chhattisgarh के अछोटी गांव में एक ऐसा अनोखा स्कूल... जहां Teachers नहीं, बल्कि माता-पिता लेते हैं क्लास!

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 03 Feb, 2025 11:04 AM

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छत्तीसगढ़ के भिलाई से 26 किमी दूर स्थित अछोटी गांव में एक ऐसा स्कूल है जहां बच्चों को उनके माता-पिता ही पढ़ाते हैं। इस स्कूल का नाम है 'अभ्युदय' और यह स्कूल 2016 में खुला था। यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए 28 शिक्षक हैं जिनमें से 14 नियमित शिक्षक हैं...

नेशनल डेस्क। छत्तीसगढ़ के भिलाई से 26 किमी दूर स्थित अछोटी गांव में एक ऐसा स्कूल है जहां बच्चों को उनके माता-पिता ही पढ़ाते हैं। इस स्कूल का नाम है 'अभ्युदय' और यह स्कूल 2016 में खुला था। यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए 28 शिक्षक हैं जिनमें से 14 नियमित शिक्षक हैं और 14 विषयवार शिक्षक सप्ताह में 3-4 दिन कक्षाएं लेते हैं। खास बात यह है कि इन शिक्षकों में 3 आईआईटीयन, एक एमबीबीएस डॉक्टर, एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और एक सीए जैसे लोग शामिल हैं। इनमें से कोई भी शिक्षक वेतन नहीं लेता बल्कि ये सभी स्कूल के संचालन के लिए दान करते हैं।

 

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बता दें कि इस स्कूल में 168 विद्यार्थी पढ़ते हैं जो पहली से 10वीं तक के छात्र हैं। इस स्कूल को 2018 में मान्यता मिली और पिछले साल 10वीं का 100% परिणाम आया। इस स्कूल की सफलता में यहां के बच्चों के अच्छे अंक और जीवन कौशल की शिक्षा अहम भूमिका निभाती है। इस स्कूल में बच्चों को न केवल अकादमिक शिक्षा दी जाती है बल्कि उन्हें जीवन विद्या और मानवीय मूल्य भी सिखाए जाते हैं।

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स्कूल में बच्चों को एक दूसरे को 'बहनजी' या 'भैयाजी' कहकर बुलाने की आदत डाली जाती है और शिक्षक भी आपस में एक दूसरे को 'भाई साहब' या 'बहनजी' कहकर संबोधित करते हैं। यहां बच्चों को शारीरिक फिटनेस के लिए खेल और पीटी की शिक्षा भी दी जाती है।

स्कूल का संचालन और खर्च

इस स्कूल का सारा खर्च 50 परिवारों के सदस्य मिलकर उठाते हैं। इन परिवारों के सदस्य स्वेच्छा से बिना किसी आर्थिक लाभ के स्कूल के संचालन में भागीदार बनते हैं। अभिभावक कहते हैं कि वे मिलकर इस स्कूल को आगे भी चलाते रहेंगे और बच्चों की बेहतर शिक्षा देने के लिए प्रयासरत रहेंगे।

 

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स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण

इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ स्वरोजगार के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां बच्चों को वुडन आर्ट, सलाद मेकिंग, कृषि, डेयरी और गौ पालन जैसी गतिविधियों के बारे में सिखाया जाता है ताकि वे भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें।

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परिवार और मानवीय संवेदनाओं की शिक्षा

इस स्कूल का उद्देश्य बच्चों को परिवार के महत्व के बारे में समझाना है। अभ्युदय संस्थान की प्रभारी सुचित्रा श्रीवास्तव बताती हैं कि स्कूल में बच्चों को यह सिखाया जाता है कि मानवीय संवेदनाएं महत्वपूर्ण हैं और परिवार का एक मजबूत आधार बच्चों के भविष्य को संवारता है। स्कूल का लक्ष्य यह है कि बच्चों को न केवल शिक्षा मिले बल्कि वे मानवीय मूल्यों को भी समझें और हुनरमंद बनें।

इस अनोखे स्कूल की सफलता यह साबित करती है कि जब समुदाय एकजुट होकर काम करता है तो कोई भी शिक्षा के रास्ते में आने वाली मुश्किलें मुश्किल नहीं होतीं।

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