Edited By Parminder Kaur,Updated: 10 Feb, 2025 03:19 PM
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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए और 31 नक्सली मारे गए। यह मुठभेड़ नेशनल पार्क के जंगल में हुई, जहां डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड), एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) और बस्तर फाइटर की...
नेशनल डेस्क. छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए और 31 नक्सली मारे गए। यह मुठभेड़ नेशनल पार्क के जंगल में हुई, जहां डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड), एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) और बस्तर फाइटर की संयुक्त टीम ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया था।
शहीद जवानों की पहचान
शहीद हुए जवानों में डीआरजी के नरेश ध्रुव और वासित रावटे शामिल हैं। वासित रावटे बीजापुर जिले के ग्राम फागुनदाह के रहने वाले थे और पिछले 12 सालों से कांस्टेबल के रूप में सेवा दे रहे थे। वे किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और हमेशा से देश की सेवा करना चाहते थे।
परिवार का गर्व और गम
शहीद जवान वासित रावटे के बड़े भाई प्रीतम कुमार रावटे ने बताया कि वे चार भाई-बहन हैं। वासित सबसे छोटे थे और उनकी दो बहनें भी हैं। उनकी मां देवकी बाई खेती-किसानी करती हैं। वासित की शादी करीब 5 साल पहले हुई थी और उनकी पत्नी खिलेश्वरी गृहणी हैं। उनके दो बच्चे एक तीन साल की बेटी और दूसरी डेढ़ साल की बेटी हैं।
बड़े भाई उत्तम कुमार रावटे ने कहा- "हमने कई बार उसे दूसरी नौकरी करने के लिए कहा, लेकिन उसने हमेशा सेना में जाने और देश की सेवा करने का सपना देखा। आज हमारा भाई शहीद हो गया, लेकिन हमें उस पर गर्व है।"
बेटी देगी पिता को अंतिम विदाई
शहीद वासित रावटे का पार्थिव शरीर दोपहर 2 बजे उनके गांव पहुंचेगा। गांव में मातम पसरा हुआ है, लेकिन सभी को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। गांव के सैकड़ों लोग अंतिम दर्शन के लिए एकत्रित हो रहे हैं। सबसे भावुक करने वाली बात यह है कि शहीद की 3 साल की मासूम बेटी अपने पिता को मुखाग्नि देगी। यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर देगा, लेकिन साथ ही यह बलिदान देश के प्रति जवानों की निस्वार्थ सेवा को भी दर्शाएगा।
देश के लिए अमर बलिदान
वासित रावटे और नरेश ध्रुव की शहादत देश के लिए बहुत बड़ा बलिदान है। उनकी वीरता हमेशा याद रखी जाएगी। सरकार और प्रशासन से मांग की जा रही है कि शहीदों के परिवार की पूरी मदद की जाए और उनकी कुर्बानी को हमेशा सम्मान दिया जाए।