कभी क्रिकेटर बनना चाहते थे छेत्री, फीफा ने इन पर फिल्म बनाई है 'कैप्टन फैंटास्टिक'

Edited By Mahima,Updated: 18 May, 2024 10:24 AM

chhetri once wanted to become a cricketer

फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय संस्था फीफा ने गुरुवार को अपने अधिकृत सोशल मीडिया हैंडल से क्रिस्टियानो रोनाल्डो, लियोनेल मेसी और सुनील छेत्री की तस्वीर शेयर की है। जिस पर लिखा है 'रिटायरिंग एज ए लीजेंड'। फीफा ने यह तस्वीर भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील...

नेशनल डेस्क: फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय संस्था फीफा ने गुरुवार को अपने अधिकृत सोशल मीडिया हैंडल से क्रिस्टियानो रोनाल्डो, लियोनेल मेसी और सुनील छेत्री की तस्वीर शेयर की है। जिस पर लिखा है 'रिटायरिंग एज ए लीजेंड'। फीफा ने यह तस्वीर भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री के सम्मान में जारी की है। छेत्री ने गुरुवार को घोषणा की है कि वे अगले माह अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास ले लेंगे। छेत्री भले ही आज देश के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर हों, लेकिन बचपन में वे क्रिकेटर बनना चाहते थे।

हालांकि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पिता ने महंगी क्रिकेट किट दिलाने में असमर्थता जता दी। इसलिए उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया। खराब आर्थिक स्थिति का आलम यह था कि उन्हें फटे हुए फुटबॉल शूज सिलकर पहनने पड़ते थे। खेल के प्रति जुनूनी छेत्री ने इसका तोड़ भी खेल से ही निकाल लिया। दिल्ली के धौलाकुआं स्थिति आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान माइलो टूनमिंट प्रतियोगिता शुरू हुई। सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को 1500 रुपए कीमत के स्पोर्ट्स शूज दिए गए। प्रतियोगिता तीन साल चली। सुनील हर बार श्रेष्ठ खिलाड़ी रहे। पर हर साल 750-750 के दो जोड़ी शूज लिए, जिसमें से हर साल एक जोड़ी शूज पिता को गिफ्ट कर दिए। 

शुरुआत: विरासत में फुटबॉल, माता-पिता दोनों रहे फुटबॉलर
सुनील छेत्री का जन्म तत्कालीन आंध्र प्रदेश के सिकंदराबाद में केबी छेत्री और सुशीला छेत्री के घर हुआ था। उनके पिता आर्मी की मी की इंजीनियरिंग शाखा में थे जबकि मां गृहणी थीं। सुनील को फुटबॉल विरासत में मिली है। दरअसल पिता फुटबॉल खिलाड़ी थे और सेना की फुटबॉल टीम के लिए खेलते थे जबकि उनकी मां नेपाल की महिला राष्ट्रीय टीम में फुटबॉल खेल चुकी थीं। छेत्री के पांच मामा थे और सभी फुटबॉलर थे। यानी फुटबॉल खेलना उनके खून में था। उनके बारे में एक रोचक किस्सा है। एक बार उनकी मां ने कुछ गुब्बारे लेकर घर पर रखे थे। छेत्री ठीक से खड़े भी नहीं हो पाते थे बावजूद उसके उन्होंने खड़े होकर गुब्बारे को किक किया था। यह देख माता-पिता दोनों आश्चर्य चकित हो गए। उनकी एक बहन भी है, जिसका नाम बंदना छेत्री है। उन्होंने अपने कोच की बेटी से शादी की है। 

करियर : सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले दुनिया के चौथे खिलाड़ी
सुनील छेत्री ने 2001-02 में दिल्ली के स्थानीय क्लब सिटी क्लब से करियर शुरू किया। यहीं कोलकाता के मोहन बागान एथलेटिक क्लब की नजर उन पर पड़ी। इसके बाद 2002 में मात्र 17 साल की उम्र में मोहन बागान के साथ प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की। 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ राष्ट्रीय टीम के लिए डेब्यू किया। उनका पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट 2007 में नेहरू क्लब था। इसमें भारत ने कंबोडिया को 6-0 से हराया। वर्तमान में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल के मामले में वे दुनिया चौथे खिलाड़ी हैं जबकि सक्रिय खिलाड़ियों के मामले में उनसे आगे केवल पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो (128 गोल) और अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी (106 गोल) ही हैं। सुनील छेत्री के 94 गोल हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर वह 2008 में एएफसी चैलेंज कप, 2011 और 2015 में एसएएफएफ चैंपियनशिप, 2007, 2009 और 2012 में नेहरू कप के साथ-साथ 2017 में इंटरकांटिनेंटल कप में खिताब जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं। 

रोचक/उपलब्धि: खेल रत्न पाने वाले एकमात्र फुटबॉलर
-फीफा ने पिछले साल उन पर 'कैप्टन फैंटास्टिक नामक एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण किया था, जो फीफा चैनल पर उपलब्ध है।
 -एक मात्र भारतीय फुटबॉलर हैं जिन्हें खेल रत्न प्रदान किया गया है। यह सम्मान 2021 में मिला था।
 -उन्होंने रिकॉर्ड 7 बार 2007, 2011, 2013, 2014, 2017, 2019 और 2022 में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) का प्लेयर ऑफ द ईयर अवॉर्ड जीता है।
-सुनील छेत्री अंग्रेजी, हिंदी, नेपाली, बंगाली और कञड़ भाषा धारा प्रवाह बोल लेते हैं। इसके अलावा वे तेलगू, मराठी और कोंकणी भाषा भी कुछ-कुछ समझ लेते हैं।
-अंतरराष्ट्रीय 86 गोल पूरा करने के बाद उन्होंने गोद में फुटबॉल को छिपाकर पत्नी के गर्भवती होने की जानकारी दर्शकों को रोचक अंदाज में दी थी।
-मेजर लीग सॉकर के अमेरिकी क्लब कैनसस सिटी विजार्ट के लिए खेलने वाले पहले भारतीय हैं।
 

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