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ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित बच्ची के साथ चाइल्ड केयर के कर्मचारियों ने की घिनौनी हरकत, कुछ इस तरह से खुली पोल

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 25 Apr, 2025 04:09 PM

child care workers did a disgusting thing with a girl suffering from brain tumor

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से एक हृदयविदारक मामला सामने आया है। यहां ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित एक मासूम बच्ची ने रोते हुए जिले की चाइल्ड केयर यूनिट की दर्दनाक सच्चाई उजागर की है। बच्ची ने बाल कल्याण समिति को बताया कि संस्था के कुछ कर्मचारियों ने उसे...

नेशनल डेस्क। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से एक हृदयविदारक मामला सामने आया है। यहां ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित एक मासूम बच्ची ने रोते हुए जिले की चाइल्ड केयर यूनिट की दर्दनाक सच्चाई उजागर की है। बच्ची ने बाल कल्याण समिति को बताया कि संस्था के कुछ कर्मचारियों ने उसे न केवल प्रताड़ित किया बल्कि उसकी जेब में रखे 1500 रुपये भी छीन लिए। इस मासूम बच्ची के आंसुओं ने देवरिया चाइल्ड केयर यूनिट के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

आठ महीने पुरानी हैवानियत

यह दुखद घटना 16 सितंबर 2024 की है। बिहार के बेगूसराय निवासी पदम नाभम सुरेशम अपनी बेटी वैष्णवी (बदला हुआ नाम) जो ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित है और जिसका इलाज दिल्ली एम्स में चल रहा है को लेकर वैशाली एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे थे। सफर के दौरान पदम नाभम को नींद आ गई और उनकी बीमार बेटी वैष्णवी देवरिया रेलवे स्टेशन पर उतर गई। जब उनकी नींद खुली तो उन्होंने बच्ची को कोच में न पाकर तुरंत ट्रेन में मौजूद सुरक्षाकर्मियों को इसकी सूचना दी। जांच के बाद पता चला कि वैष्णवी देवरिया स्टेशन पर उतर गई है। वैष्णवी के पिता गोरखपुर स्टेशन से देवरिया पहुंचे जहां देवरिया जीआरपी पुलिस ने बच्ची को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था।

 

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बच्ची की जेब से निकाले 1500 रुपये

जब मासूम बच्ची वैष्णवी का पिता देवरिया के बाल कल्याण समिति पहुंचा तो उसने अपनी बेटी को रोते हुए पाया। बच्ची ने अपने पिता को आपबीती सुनाते हुए कहा कि उसकी जेब में रखे 1500 रुपये वहां के कर्मचारियों ने निकाल लिए और उसे प्रताड़ित भी किया। एक कर्मचारी द्वारा पूछे जाने पर बच्ची ने बताया कि उसके पैसे विशाखा और अमित नामक कर्मचारियों ने लिए हैं।

 

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आठ महीने बाद भी कार्रवाई का अकाल

इस घटना के बाद वैष्णवी के पिता ने देवरिया के जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल कुमार सोनकर से लिखित शिकायत की लेकिन हैरानी की बात है कि आठ महीने बीत जाने के बाद भी उन कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इतना ही नहीं जिला प्रोबेशन अधिकारी ने अपने कर्मचारियों का बचाव करते हुए गोलमोल जवाब दिया है जिससे उनकी भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। ऐसा लगता है कि अधिकारी पीड़ितों को न्याय दिलाने के बजाय आरोपियों को बचाने में लगे हुए हैं। इस पूरे मामले ने चाइल्ड केयर यूनिट की कार्यप्रणाली और अधिकारियों की संवेदनहीनता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

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