अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, चीन ने LAC के पास सैन्य अभ्यास शुरू किया, क्या है ड्रैगन का मंसूबा?

Edited By Mahima,Updated: 13 Jan, 2025 11:17 AM

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चीन ने LAC के पास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है। भारत और चीन के बीच 2024 में सैनिकों की वापसी और गश्ती बहाल करने पर सहमति बनी थी, लेकिन चीन की सैन्य गतिविधियां शांति की दिशा में अस्थिरता की ओर इशारा करती...

नेशनल डेस्क: चीन ने एक बार फिर अपनी सैन्य गतिविधियों से भारतीय सीमा के पास हलचल बढ़ा दी है। हाल ही में, चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास युद्धाभ्यास (कॉम्बैट ड्रिल) शुरू किया है। यह अभ्यास चीनी सेना की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा शिनजियांग मिलिट्री कमांड की रेजिमेंट की अगुवाई में किया गया। इस अभ्यास में चीन ने अपनी उन्नत सैन्य तकनीक का उपयोग किया, जिसमें विशेष रूप से मानवरहित प्रणाली, उच्च तकनीकी वाहनों, ड्रोन और अन्य अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है। यह युद्धाभ्यास ऐसे समय में किया गया है जब भारत और चीन के बीच शांति बनाए रखने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत और चीन के बीच समझौता और तनाव की स्थिति
भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर 2024 को एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों ने एलएसी पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से गश्ती बहाल करने पर सहमति जताई थी। यह समझौता खासतौर पर 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद बढ़े तनाव को कम करने के उद्देश्य से किया गया था। दोनों देशों ने इस समझौते में देपसांग और डेमचोक जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में गश्ती बहाल करने पर सहमति दी थी। यह कदम दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। हालांकि, इस समझौते के बावजूद भी दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। एलएसी के पास दोनों देशों ने अपनी सेनाओं की बड़ी तादाद में तैनाती की हुई है और सीमा पर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। इसी बीच, चीन का सैन्य अभ्यास यह संकेत देता है कि वह शांति की ओर नहीं, बल्कि अपनी सैन्य तैयारियों को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।

चीन की रणनीति और सैन्य तैयारियां
चीन का यह सैन्य अभ्यास महज एक प्रशिक्षण गतिविधि नहीं है, बल्कि यह उसकी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है। चीन ने अपनी सेना को LAC के पास तेजी से तैनात किया है और खासकर ऊंचे इलाकों में, जैसे तिब्बत और लद्दाख में, सैन्य गतिविधियों को तेज किया है। इसके अलावा, चीन की सेना अब एक्सोस्केलेटन का इस्तेमाल कर रही है, जिससे उसे ऊंचे इलाकों में युद्धाभ्यास करने में सुविधा हो रही है। एक्सोस्केलेटन से चीनी सैनिकों को पहाड़ी इलाकों में बेहतर गतिशीलता और सहनशीलता मिल रही है, जिससे वे इन कठिन इलाकों में और भी आसानी से सैन्य अभ्यास कर पा रहे हैं। चीन का यह कदम भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है, क्योंकि इसका मतलब यह हो सकता है कि वह अपनी सैन्य तैयारियों को और मजबूत कर रहा है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां भारत और चीन के बीच सीमा विवाद मौजूद है। चीन की यह रणनीति स्पष्ट रूप से दिखाती है कि वह अपनी ताकत को बढ़ाकर और सैन्य तैनाती को मजबूत करके भविष्य में किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।

भारत की सैन्य तैयारियां
भारत भी चीन की गतिविधियों से सजग है और अपनी सैन्य तैयारियों को बढ़ा रहा है। भारतीय सेना शीतकालीन युद्धाभ्यास कर रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जो चीन के साथ सीमा साझा करते हैं, जैसे लद्दाख। भारतीय सेना इस दौरान अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है और विभिन्न प्रकार के सैन्य उपकरणों का परीक्षण कर रही है। इसके अलावा, भारतीय सेना ने अपने सर्विलांस सिस्टम को और अधिक उन्नत किया है ताकि किसी भी संभावित खतरे का तुरंत पता लगाया जा सके और उसे समय रहते निपटा जा सके।  भारतीय सेना की यह तैयारियां विशेष रूप से एलएसी पर होने वाले किसी भी संभावित चीनी हमले से निपटने के लिए की जा रही हैं। इसके साथ ही, भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ा रहा है और पड़ोसी देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत कर रहा है।

क्या समझौते के बावजूद अस्थिरता बनी रहेगी?
हालांकि, देपसांग और डेमचोक जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में गश्ती फिर से शुरू होने से यह प्रतीत होता है कि दोनों देशों के बीच कुछ हद तक संबंधों में नरमी आई है, लेकिन चीन की ओर से लगातार सैन्य अभ्यासों का आयोजन यह दर्शाता है कि स्थाई शांति का रास्ता अभी लंबा और चुनौतीपूर्ण है। चीन के सैन्य अभ्यास से यह भी स्पष्ट होता है कि वह किसी भी स्थिति में अपनी सैन्य तैयारियों को कमजोर नहीं होने देना चाहता। भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव का समाधान आसान नहीं है और इसे हल करने के लिए दोनों देशों को सामरिक और कूटनीतिक दोनों दृष्टिकोणों से निरंतर प्रयास करते रहना होगा। इस समय, भारत को अपनी सैन्य क्षमता को और बढ़ाने के साथ-साथ शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में कूटनीतिक कदम भी उठाने होंगे।

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