Edited By Mahima,Updated: 12 Nov, 2024 11:33 AM
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से भारत को मैन्युफैक्चरिंग, रियल एस्टेट, और डिफेंस जैसे क्षेत्रों में बड़े अवसर मिल सकते हैं, खासकर यदि अमेरिका चीन से आयात पर भारी टैरिफ लगाए। Apple जैसे कंपनियां भारत में उत्पादन बढ़ा सकती हैं, जिससे 2 लाख नई नौकरियां बन...
नेशनल डेस्क: डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में वापसी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकती है। उनके 'अमेरिका फर्स्ट' और 'प्रो-बिजनेस' एजेंडे का असर वैश्विक व्यापार और निवेश पर पड़ेगा, जिससे भारत को कई अवसर मिल सकते हैं। ट्रंप के नेतृत्व में चीन से आयातित उत्पादों पर भारी टैरिफ (शुल्क) लगाए जा सकते हैं, जो भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित कर सकता है। इसमें प्रमुख रूप से Apple जैसे अमेरिकी दिग्गज कंपनियों के उत्पादन को भारत में बढ़ाने की संभावना है।
चीन पर बढ़े हुए टैरिफ का असर और भारत के लिए अवसर
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रचार अभियान में चीन से आने वाले उत्पादों पर 60 से 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव दिया था। ट्रंप के सत्ता में आने पर अगर यह नीति लागू होती है, तो चीन में बने उत्पादों पर अमेरिकी बाजार में उच्च शुल्क लागू होंगे। इससे अमेरिकी कंपनियों के लिए चीन में उत्पादन जारी रखना महंगा हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, वे अपनी उत्पादन रणनीतियों को बदल सकते हैं और अन्य देशों में अपने कारखाने खोलने पर विचार कर सकते हैं, जिनमें भारत एक प्रमुख विकल्प बन सकता है।
Apple का भारत में उत्पादन बढ़ाना
Apple के लिए यह मौका भारत में अपने iPhone उत्पादन को दोगुना करने का हो सकता है। वर्तमान में, Apple भारत में करीब 15-16 अरब डॉलर का iPhone उत्पादन करता है, और यदि चीन से आयातित उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाया जाता है, तो Apple अपनी उत्पादन क्षमता को 30 अरब डॉलर तक बढ़ा सकता है। इससे भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एक मजबूत स्थिति प्राप्त हो सकती है। विशेष रूप से, Apple प्रीमियम iPhone Pro मॉडल का उत्पादन भारत में शुरू कर चुका है, जो मांग बढ़ने और उत्पादन में इजाफा करने के संकेत हैं।
नई नौकरियों का सृजन और अर्थव्यवस्था को मजबूती
Apple का उत्पादन बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर भारत में Apple का उत्पादन 30 अरब डॉलर तक पहुंचता है, तो इस क्षेत्र में 2 लाख से अधिक नई नौकरियों का सृजन हो सकता है। साथ ही, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और तकनीकी क्षेत्र में निवेश बढ़ने से देश की समग्र विकास दर को भी मजबूती मिलेगी।
एलॉन मस्क की संपत्ति में बढ़ोतरी और अमेरिकी शेयर बाजार में हलचल
ट्रंप के सत्ता में लौटने से अमेरिकी शेयर बाजार में भी हलचल मच सकती है, और यह विशेष रूप से Apple जैसी बड़ी कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के अनुसार, ट्रंप की नीतियों के कारण एलॉन मस्क की संपत्ति में भारी इजाफा हो सकता है। मस्क की नेटवर्थ 314 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, और उनकी संपत्ति में एक दिन में 17 बिलियन डॉलर का इजाफा हो सकता है। इस प्रकार, ट्रंप की वापसी का असर न केवल भारत, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा।
भारत और अमेरिका के रिश्तों में मजबूती
भारत और अमेरिका के रिश्तों में ट्रंप की वापसी से नई मजबूती आ सकती है। ट्रंप की 'प्रो-बिजनेस' और 'अमेरिका फर्स्ट' नीतियां विदेशी निवेश को आकर्षित करती हैं। इससे भारत में विभिन्न क्षेत्रों में व्यापारिक अवसर बढ़ सकते हैं। विशेष रूप से, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग, डिफेंस और फाइनेंस जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश में वृद्धि हो सकती है। ट्रंप की नीतियों का सीधा असर भारतीय रियल एस्टेट पर पड़ सकता है, जिससे मुम्बई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में प्रीमियम प्रॉपर्टीज में निवेश बढ़ सकता है।
रियल एस्टेट क्षेत्र में संभावित वृद्धि
ट्रंप की नीतियों से भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में विशेष रूप से लग्जरी और कमर्शियल प्रॉपर्टीज में एक नई तेजी आ सकती है। अमेरिकी निवेशकों के लिए भारत एक आकर्षक निवेश स्थल बन सकता है। यदि ट्रंप की वापसी से भारत में विदेशी निवेश बढ़ता है, तो इसका असर रियल एस्टेट सेक्टर में नजर आ सकता है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली प्रॉपर्टीज और प्रोजेक्ट्स में इजाफा होगा। इसके अलावा, ट्रंप की नीतियां भारतीय कंपनियों को अमेरिका से व्यापार करने में मदद कर सकती हैं, जिससे भारतीय रियल एस्टेट कंपनियों को भी लाभ मिल सकता है।
आईटी और फार्मा क्षेत्र पर चुनौतियां
हालांकि, ट्रंप की नीतियों का भारत के आईटी और फार्मा सेक्टर पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। ट्रंप की इमिग्रेशन नीतियों में सख्ती और वीजा पॉलिसी में कड़े नियम लागू हो सकते हैं, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों को अमेरिकी बाजार में प्रवेश करने में मुश्किलें आ सकती हैं। इसके अलावा, फार्मा कंपनियों को भी ट्रंप की नीतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें आयात शुल्क और रेगुलेटरी जटिलताएं शामिल हो सकती हैं। हालांकि, मजबूत अमेरिकी डॉलर के कारण इन कंपनियों के राजस्व में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा कमजोर होने से निर्यात को लाभ हो सकता है।
मैन्युफैक्चरिंग, डिफेंस और ऊर्जा सेक्टर में भी बदलाव
भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कई फायदे हो सकते हैं। ट्रंप की चीन के खिलाफ सख्त नीतियों के कारण भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकती हैं। इस अवसर का फायदा भारत के ऑटो पार्ट्स, सोलर इक्विपमेंट, केमिकल्स, और अन्य निर्यातकों को भी हो सकता है। इसके अलावा, ट्रंप की 'प्रो-फॉसिल फ्यूल' नीति से भारत की ऊर्जा कंपनियों को भी अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है, क्योंकि इससे ऊर्जा कीमतों में स्थिरता बनी रह सकती है।
क्रिप्टोकरेंसी और वित्तीय क्षेत्र में उछाल
ट्रंप की क्रिप्टोकरेंसी के प्रति सकारात्मक सोच भारत के लिए एक बड़ी खबर हो सकती है। उनके डिरेग्युलेशन विचार से भारत में क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में विकास हो सकता है। इससे भारतीय निवेशकों को नए निवेश विकल्प मिल सकते हैं, और भारत में क्रिप्टोकरेंसी के बाजार को बढ़ावा मिल सकता है। साथ ही, ट्रंप की वित्तीय संस्थाओं के लिए 'कम रेगुलेशन' नीति भारतीय प्राइवेट फाइनेंस सेक्टर में विकास की संभावना को और बढ़ा सकती है।
कुल मिलाकर, डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से भारत के लिए एक नई दिशा और कई अवसर खुल सकते हैं। मैन्युफैक्चरिंग, रियल एस्टेट, डिफेंस, और फाइनेंस जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बदलाव आ सकते हैं, जबकि आईटी और फार्मा सेक्टर को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप की नीतियां भारत के लिए न केवल व्यापार और निवेश के नए अवसर ला सकती हैं, बल्कि यह भारत को वैश्विक सप्लायर और पार्टनर के रूप में स्थापित करने में भी मदद कर सकती हैं।