कक्षा 12वीं के इन छात्रों को बोर्ड परीक्षा से बाहर किया जा सकता...: CBSE का बड़ा ऐलान

Edited By Anu Malhotra,Updated: 27 Mar, 2025 02:58 PM

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि जो कक्षा 12 के छात्र 'डमी स्कूलों' में नामांकित हैं, उन्हें बोर्ड परीक्षा में बैठने से रोकने पर विचार किया जा सकता है। सीबीएसई के अधिकारियों ने इस बारे में बताया कि यदि छात्र...

नेशनल डेस्क: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि जो कक्षा 12 के छात्र 'डमी स्कूलों' में नामांकित हैं, उन्हें बोर्ड परीक्षा में बैठने से रोकने पर विचार किया जा सकता है। सीबीएसई के अधिकारियों ने इस बारे में बताया कि यदि छात्र नाम के लिए किसी डमी स्कूल से जुड़े हैं और असल में वहां पढ़ाई नहीं हो रही है, तो उन्हें परीक्षा में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा। सीबीएसई ने यह भी कहा कि इस मामले की जिम्मेदारी छात्रों और उनके माता-पिता पर भी है, क्योंकि नियमित स्कूल न जाने का फैसला उन्हीं का होता है।

29 स्कूलों में एक्शन लेकर 'डमी' छात्रों के नामांकन की जांच
पिछले साल दिसंबर में CBSE ने दिल्ली, बेंगलुरु, वाराणसी, बिहार, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 29 स्कूलों में एक्शन लेकर 'डमी' छात्रों के नामांकन की जांच की थी। कई छात्र, खासकर जो इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, डमी स्कूलों में नामांकन करते हैं ताकि वे अपनी पूरी ऊर्जा केवल प्रतिस्पर्धी परीक्षा की तैयारी पर केंद्रित कर सकें। ये छात्र कक्षाओं में नहीं जाते और सीधे बोर्ड परीक्षा में बैठते हैं।

कुछ छात्र डमी स्कूलों का चयन यह सोचकर करते हैं कि उन्हें मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में राज्यों के कोटे का लाभ मिलेगा। उदाहरण के लिए, दिल्ली में कक्षा 11 और 12 पूरी करने वाले छात्रों को दिल्ली राज्य कोटे के तहत दिल्ली के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश का मौका मिलता है। इस बीच, कोटा में विभिन्न डमी स्कूलों के पोस्टर और उनके शुल्क भी शहर भर में लगे हुए हैं। डमी स्कूल अलग-अलग बोर्डों के तहत नामांकित होने के हिसाब से विभिन्न दरें लेते हैं।

हालांकि, कोटा में प्रतिस्पर्धी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि के बाद, विशेषज्ञों ने डमी स्कूलों के इस कांसेप्ट पर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि जो छात्र नियमित स्कूलों से दूर रहते हैं, उन्हें अक्सर व्यक्तित्व विकास और मानसिक संतुलन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

 

 

 

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