मुख्यमंत्री शिंदे मराठा कोटा में विलंब कर रहे, अनशन के चौथे दिन जरांगे ने कहा

Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Jul, 2024 08:45 PM

cm shinde is delaying maratha quota jarange fourth day fast

सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने अपने अनिश्चितकालीन अनशन के चौथे दिन मंगलवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि वह नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण देने की...

नेशनल डेस्क: सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने अपने अनिश्चितकालीन अनशन के चौथे दिन मंगलवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि वह नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण देने की प्रक्रिया में विलंब कर रहे हैं। जरांगे ने अपनी मांगों के समर्थन में 20 जुलाई को जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में एक बार फिर अपना अनशन शुरू किया।

उनकी मांगों में कुनबी समुदाय को मराठा समुदाय के सदस्यों से खून का रिश्ता रखने वाले के रूप में मान्यता देने वाली मसौदा अधिसूचना को लागू करना और मराठाओं को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण देना शामिल है। कुनबी, एक कृषक समुदाय है। इसे महाराष्ट्र में ओबीसी का दर्जा प्राप्त है। जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किया जाए ताकि वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में कोटा के लिए पात्र हो सकें।

अनशन के चौथे दिन, सरकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. स्वप्निल राठौड़ ने जरांगे के स्वास्थ्य संबंधी मानकों की जांच की और पाया कि निर्जलीकरण के कारण उन्हें शिराओं के जरिये दवा दिये जाने की आवश्यकता थी। लेकिन 41 वर्षीय कार्यकर्ता ने कोई भी चिकित्सकीय उपचार लेने से इनकार कर दिया। अनशन स्थल पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए जरांगे ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री शिंदे मराठा समुदाय को आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन वह (प्रक्रिया में) देरी कर रहे हैं। केवल शिंदे साहब ही आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन वह इसमें देरी क्यों कर रहे हैं?''

जरांगे ने कहा कि सरकार को मराठों को उनकी मांगें पूरी होने तक तीन आरक्षण विकल्प प्रदान करने चाहिए- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) के तहत 10 प्रतिशत और ओबीसी कोटा (27 प्रतिशत) कुनबी के रूप में। महाराष्ट्र विधानमंडल ने फरवरी में मराठा समुदाय (जो राज्य की आबादी का 30 प्रतिशत से अधिक है) को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में एक अलग श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक पारित किया। वहीं, जरांगे के नेतृत्व में मराठा समुदाय के लोग इस प्रभावशाली समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने पर जोर दे रहे हैं। 

 

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