Edited By Utsav Singh,Updated: 31 Aug, 2024 05:06 PM
योगी सरकार ने पद के दुरुपयोग, काम में लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्त नीति को लगातार बनाए रखा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कड़ी निगरानी में चकबंदी विभाग में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला जारी है। मुख्यमंत्री के...
नेशनल डेस्क : योगी सरकार ने पद के दुरुपयोग, काम में लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्त नीति को लगातार बनाए रखा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कड़ी निगरानी में चकबंदी विभाग में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला जारी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर चकबंदी मामलों में विलंब, लापरवाही और अनियमितता के आरोप में 8 मंडलों के 2 दर्जन से अधिक चकबंदी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की गई है। इसमें विशेष तौर पर 13 बंदोबस्त अधिकारियों को चकबंदी मामलों में निलंबित किया गया है, जबकि अन्य के खिलाफ जवाब-तलब और अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई से योगी सरकार ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि लापरवाही और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सभी अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाने की चेतावनी दी गई है।
उपसंचालक चकबंदी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई
इस क्रम में, एक उपसंचालक चकबंदी अधिकारी को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा, एक अन्य उपसंचालक चकबंदी अधिकारी को उनकी लापरवाही के लिए जवाब-तलब किया गया है। एक और चकबंदी अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। इसी तरह, एक सहायक चकबंदी अधिकारी का वेतन रोकने के साथ ही उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। इसके अतिरिक्त, तीन सहायक चकबंदी अधिकारियों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। एक रिटायर्ड सहायक चकबंदी अधिकारी के द्वारा सेवाकाल में की गई अनियमितता के चलते उनकी पेंशन में 20 प्रतिशत की कटौती का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इस तरह की कार्रवाइयों से स्पष्ट है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ अपनी कठोर नीति को जारी रखे हुए है।
चकबंदी आयुक्त की समीक्षा और कार्रवाई
चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इच्छानुसार विभाग में भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए जीरो टॉलरेंस नीति के तहत समय-समय पर समीक्षा बैठकें आयोजित की जाती हैं। हाल ही में आयोजित एक समीक्षा बैठक में कई अधिकारियों के काम में लापरवाही, अनियमितताएं और भ्रष्टाचार से संबंधित गतिविधियों का पता चला। इन निष्कर्षों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रस्तुत की गई, जिन्होंने इन शिकायतों पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। इस निर्देश के अनुसार, 8 मंडलों—प्रयागराज, वाराणसी, मीरजापुर, आजमगढ़, गोरखपुर, बस्ती, अयोध्या और देवीपाटन के चकबंदी अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की गई है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को सख्ती से लागू कर रही है।
क्षेत्रीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई
बरेली, हरदोई, ललितपुर, उन्नाव, चित्रकूट और जौनपुर के बंदोबस्त अधिकारियों—पवन कुमार सिंह, श्रीप्रकाश चंद्र उत्तम, राकेश कुमार, सुरेश कुमार सागर, मनोहर लाल और स्वतंत्र वीर सिंह यादव—को चकबंदी कार्यों में अपेक्षित प्रगति न दिखाने के कारण जवाब-तलब किया गया है। इन अधिकारियों से उनकी प्रगति रिपोर्ट के बारे में स्पष्टता मांगी गई है। प्रतापगढ़ के उपसंचालक चकबंदी और मुख्य राजस्व अधिकारी राकेश कुमार गुप्ता को उनके पर्यवेक्षणीय दायित्वों का ठीक से निर्वहन न करने के लिए स्पष्टीकरण तलब किया गया है। उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को लेकर स्पष्टता प्रदान करनी होगी और बताना होगा कि उन्होंने पर्यवेक्षण में चूक क्यों की।
अन्य अधिकारियों पर सख्त कदम
वहीं, गोरखपुर के उपसंचालक चकबंदी अधिकारी राज नारायण त्रिपाठी को कार्य की प्रगति से संबंधित जानकारी न देने के कारण उनके पद से हटाने के लिए नियुक्ति विभाग को पत्र लिखा गया है। पत्र में सुझाव दिया गया है कि राज नारायण त्रिपाठी को उनकी कार्यक्षमता और प्रगति की रिपोर्ट न देने के कारण पद से हटाया जाए। रिटायर्ड सहायक चकबंदी अधिकारी रमेश पाल सिंह राणा द्वारा सेवाकाल में की गई अनियमितताओं के चलते उनकी पेंशन में 20 प्रतिशत की कटौती करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके अतिरिक्त, कुशीनगर के बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी संतोष कुमार को उनके कार्य में लापरवाही बरतने के कारण निलंबित कर दिया गया है। राहत आयुक्त ने बताया कि संतोष कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को एक पत्र भेजा गया है।
अनुशासनात्मक कार्रवाई के शिकार अधिकारी
वाराणसी के बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, पवन कुमार सिद्धू को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। उन पर आरोप है कि उन्होंने धारा-52 के तहत लक्षित ग्राम अजगरा के चकबंदी कार्य को पूरा नहीं किया और स्थानांतरित चकबंदी लेखपालों को भी अवमुक्त नहीं किया। इस लापरवाही के परिणामस्वरूप, पवन कुमार सिद्धू के वेतन पर रोक लगा दी गई है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि विभाग में समय पर और सही तरीके से काम किया जाए।
इन अधिकारियों के पर भी गिरी है गाज
कार्य में शिथिलता के चलते शाहजहांपुर, मीरजापुर, गोरखपुर और देवरिया के बंदोबस्त अधिकारियों मोहन लाल तत्कालीन, नरेंद्र सिंह, शशिकांत शुक्ला, और पवन पांडेय के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में चकबंदी कार्यों को समय पर और सही तरीके से पूरा नहीं किया, जिससे विभागीय कार्यों की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कनौज के बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, धमेंद्र सिंह, बाराबंकी के चकबंदी अधिकारी शिव नारायन गुप्ता, और बाराबंकी के कनिष्ठ सहायक उमाशंकर के खिलाफ भी जांच में अनियमितताएं पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। इन अधिकारियों की जांच में मिली खामियों के आधार पर उन्हें कड़ी चेतावनी दी गई है और उचित अनुशासनात्मक कदम उठाए गए हैं।
प्रमुख मामलों पर सख्त कदम
फतेहपुर के ग्राम ललौती में लक्षित कार्य की प्रगति को लेकर सहायक चकबंदी अधिकारी महेंद्र सिंह का वेतन रोक दिया गया है। इसके अलावा, उनसे इस मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। यह कदम महेंद्र सिंह की कार्यक्षमता और जिम्मेदारियों को लेकर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही से बचा जा सके। बलरामपुर के सहायक चकबंदी अधिकारी संदीप यादव को ग्राम मस्जीदिया के चकबंदी कार्य को पूरा न करने के कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। इस कार्य में की गई लापरवाही के चलते संदीप यादव के खिलाफ भी ठोस कदम उठाए गए हैं।
चिकित्सीय निरीक्षण और जवाब-तलबी
प्रयागराज के ग्राम राजेपुर सराय अरजानी और प्रतापगढ़ के ग्राम धीमी में चकबंदी कार्यों को समय पर पूरा न करने के मामले में संबंधित सहायक चकबंदी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्य को पूरा नहीं किया, जिसके कारण उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कदम उठाए गए हैं। जौनपुर के ग्राम तियरा के चकबंदी कार्य को पूरा न करने के मामले में सहायक चकबंदी अधिकारी संजय मौर्य के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। इस मामले में भी लापरवाही को लेकर सख्त कदम उठाए गए हैं।
आज़मगढ़ के ग्राम महुआ के चकबंदी कार्य को पूरा न करने के कारण संबंधित सहायक चकबंदी अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही, चकबंदी कर्ता और चकबंदी लेखपाल के उत्तरदायित्वों को स्पष्ट करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। यह कदम विभागीय कार्यों की गुणवत्ता में सुधार लाने और सभी जिम्मेदार अधिकारियों को उनके कर्तव्यों के प्रति गंभीरता से सजग रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।