Edited By Anu Malhotra,Updated: 30 Oct, 2024 12:15 PM
काशी को अन्न-धन से समृद्ध करने वालीं मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए धनतेरस से शुरू हो गए हैं। 354 दिनों के इंतजार के बाद श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में जुटे, और यह पावन सिलसिला दो नवंबर की...
नेशनल डेस्क: काशी को अन्न-धन से समृद्ध करने वालीं मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए धनतेरस से शुरू हो गए हैं। 354 दिनों के इंतजार के बाद श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में जुटे, और यह पावन सिलसिला दो नवंबर की रात 11 बजे तक जारी रहेगा। भक्ति का ऐसा आलम रहा कि भक्तजन 24 घंटे पहले से ही दर्शन के लिए चार किलोमीटर से भी लंबी कतार में खड़े हो गए, जो शयन आरती तक चलती रही।
पांच दिवसीय इस उत्सव के पहले ही दिन श्रद्धालुओं को 6.50 लाख सिक्के प्रसाद स्वरूप में बांटे गए। इन सिक्कों में चांदी, पीतल, तांबा और नवरत्नों का खजाना भी शामिल था, जिससे भक्तजन मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त कर कृतार्थ हुए।
आज से श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा, भू देवी और महालक्ष्मी के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन कर रहे हैं, जो 2 नवंबर तक जारी रहेगा। इस दौरान भक्त बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमा के दर्शन भी कर सकेंगे। भक्तों ने माता के दर्शन के लिए 24 घंटे पहले से बैरिकेडिंग में कतारबद्ध होना शुरू कर दिया था।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर मां अन्नपूर्णा के गर्भगृह के कपाट खोले गए। आजादी से पहले के 16 तालों में बंद मां की स्वर्णिम प्रतिमा का पूजन, शृंगार और आरती के बाद सुबह पांच बजे आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन शुरू हो गए।
मंदिर के महंत शंकर पुरी महाराज ने बताया कि हर वर्ष पांच दिन के लिए मां के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन होते हैं, जिसके बाद माता के विग्रह के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस विशेष स्थान पर केवल महंत और पुजारी ही जा सकते हैं। मंदिर में सुरक्षा के लिए 25 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं।
अन्नपूर्णा मंदिर, जो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के येलो जोन में आता है, में श्रद्धालुओं का प्रवेश पहले विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा जांच के बाद होता था। लेकिन धाम के निर्माण के बाद अब यहां निजी सुरक्षा एजेंसी के सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए हैं।
महंत शंकर पुरी ने बताया कि काशी का नाम अन्नपूर्णा क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहां की मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा सभी को भोजन पहुंचाती हैं, जिससे कोई भूखा नहीं रहता। भगवान विश्वनाथ की कुटुंबिनी, अन्नपूर्णा ही काशीवासियों को मोक्ष की भिक्षा प्रदान करती हैं।