Edited By Archna Sethi,Updated: 07 Feb, 2025 07:21 PM
![conference on stress management organized in universities and colleges of punjab](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_19_21_023415317committee-ll.jpg)
पंजाब के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में तनाव प्रबंधन पर सम्मेलन आयोजित
चंडीगढ़, 7 फरवरीः (अर्चना सेठी)पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने आज पंजाब राज भवन में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में तनाव प्रबंधन व नशा मुक्ति पर आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विकसित भारत 2047 के स्वर्णिम सपने को साकार करने की जिम्मेदारी सशक्त युवा पीढ़ी के कंधों पर है। युवाओं को नशे की लत से दूर ले जाकर सकारात्मक दिशा देना आवश्यक है ताकि उनकी ऊर्जा को समाज और अंततः राष्ट्र के कल्याण के लिए सही मार्ग पर प्रवाहित किया जा सके।
राज्यपाल ने बच्चों को तनाव मुक्त रखने के महत्व पर जोर देते हुए नशे की भयावह समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए एकजुट और संगठित प्रयासों का आह्वान किया जिससे उनके व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पंजाब को नशे की जकड़ से बचाने में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका को रेखांकित करते हुए, कटारिया ने कहा कि विद्यार्थियों को सह-पाठयक्रम गतिविधियों में संलग्न करना आवश्यक है ताकि वे भावी नेतृत्वकर्ता और समाज के आदर्श नागरिक बन सकें।
भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ देशों द्वारा नशे की तस्करी के माध्यम से रची जा रही साजिशों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि जब वे युद्ध के माध्यम से भारत को हरा नहीं सकते, तो इस तरह की नापाक कोशिशें कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एनडीपीएस एक्ट को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और साथ ही संतोष व्यक्त किया कि इस कानून के तहत पंजाब राज्य में देश में सबसे अधिक 85 प्रतिशत दोषसिद्धि दर है।अपने समापन भाषण में राज्यपाल ने जोर देकर कहा कि नशे की समस्या का समाधान केवल कार्यक्रम आयोजित करने से नहीं होगा, बल्कि इसके लिए समाज के सभी स्तरों पर गहरी और निरंतर प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। उन्होंने उप-कुलपतियों से आग्रह किया कि वे अपने विश्वविद्यालय परिसरों को नशा मुक्त बनाना सुनिश्चित करें। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी परिसर को तभी ‘‘नशा मुक्त’’ घोषित किया जाए जब वह वास्तव में हो, और यदि नहीं है, तो उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासों को और तेज किया जाए। यह प्रतिबद्धता केवल विश्वविद्यालय परिसरों तक सीमित न रहे, बल्कि इससे जुड़े कॉलेजों तक भी पहुंचे, ताकि नशे की रोकथाम और जागरूकता की शुरुआत प्रारंभिक स्तर से ही की जा सके।
इससे पहले, पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि नशे के प्रवाह को रोकने के लिए इसकी आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ना आवश्यक है, क्योंकि पंजाब में नशे का उत्पादन नहीं होता, बल्कि यह केवल एक पारगमन राज्य है। उन्होंने जोर दिया कि युवाओं को कौशल आधारित और औद्योगिक मांग के अनुरूप शिक्षा दी जानी चाहिए। साथ ही, सूक्ष्म वित्त पोषण (माइक्रो फाइनेंसिंग) का अधिकतम उपयोग किया जाए, ताकि युवाओं को आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके, क्योंकि अधिकांश बेरोजगार युवा नशे की चपेट में आ जाते हैं। मंत्री ने महिलाओं और बच्चों को नशा और अपराध के गठजोड़ का सबसे बड़ा पीड़ित बताते हुए नवाचारपूर्ण शैक्षिक तकनीकों और विशेष रूप से प्रारंभिक स्तर पर बच्चों तक पहुंच बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।