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39 की उम्र में बैंक फ्रॉड, 78वें साल में मिली सजा, फैसला देने वाले जज 2 साल से 41 साल के हो गए, हैरान करने वाला केस....

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 04 Mar, 2025 10:16 AM

confession after 39 years in bank fraud case sentenced till court rises

दिल्ली की निचली अदालत में 39 साल से लंबित बैंक धोखाधड़ी मामले में आखिरकार फैसला आ गया। यह मामला 1984-85 में पंजाब एंड सिंध बैंक के साथ हुई धोखाधड़ी से जुड़ा था, जिसमें आरोपी एसके त्यागी ने बैंक खातों में हेराफेरी कर लाखों रुपये का गबन किया था।

नेशनल डेस्क: दिल्ली की निचली अदालत में 39 साल से लंबित बैंक धोखाधड़ी मामले में आखिरकार फैसला आ गया। यह मामला 1984-85 में पंजाब एंड सिंध बैंक के साथ हुई धोखाधड़ी से जुड़ा था, जिसमें आरोपी एसके त्यागी ने बैंक खातों में हेराफेरी कर लाखों रुपये का गबन किया था। 78 वर्षीय त्यागी ने अब अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और कोर्ट ने उन्हें 'कोर्ट के उठने तक' की सजा सुनाई है। साल 1984-85 में पंजाब एंड सिंध बैंक, नई दिल्ली की एक शाखा में गलत क्रेडिट एंट्री करके और बिना बैलेंस वाले खातों से चेक क्लियर कर धोखाधड़ी की गई थी। इस घोटाले की शिकायत 1986 में बैंक के रीजनल मैनेजर और चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने की थी, जिसके बाद सीबीआई ने मामला दर्ज किया।

लंबे समय तक चला मुकदमा

इस मामले में 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी। 2001 में कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), 477-ए (खातों में हेराफेरी) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप तय किए। मामले की सुनवाई सालों तक ठप रही, 2019 में केस को राउज एवेन्यू कोर्ट में स्थानांतरित किया गया। इस दौरान दो आरोपियों की मौत हो गई, जबकि एकमात्र जीवित आरोपी एसके त्यागी ने 24 जनवरी 2024 को अदालत में अपने अपराध को स्वीकार कर लिया। त्यागी ने अदालत से कहा कि वह 78 साल के हैं और उनकी पत्नी पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि बैंक से लिया गया पैसा वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) के तहत चुका दिया गया है। बता दें जब यह केस दर्ज हुआ था तब जज की उम्र 2 साल थी।

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

न्यायाधीश दीपक कुमार ने कहा कि आरोपी ने पश्चाताप की सच्ची भावना दिखाई है और उसे सुधार का अवसर मिलना चाहिए। कोर्ट ने त्यागी को 'कोर्ट के उठने तक' की सजा दी, जिसका मतलब था कि उन्हें अदालत बंद होने तक हिरासत में रहना होगा। इसके अलावा, प्रत्येक अपराध के लिए 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

इतने सालों तक क्यों लटका मामला?

 

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