कांग्रेस का आरोप: X (Twitter) ने अंबेडकर से जुड़े पोस्ट हटाने का डाला दबाव, मचा बवाल

Edited By Mahima,Updated: 19 Dec, 2024 09:15 AM

congress allegation x put pressure to remove posts related to ambedkar

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एक्स (Twitter) ने गृह मंत्री अमित शाह के अंबेडकर से जुड़े बयान पर आधारित पोस्ट हटाने का दबाव डाला है। कांग्रेस ने कहा कि यह सामग्री भारतीय कानून का उल्लंघन करती है, और इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है।...

नेशनल डेस्क: भारत में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर इन दिनों एक बड़ा विवाद उभरा है। कांग्रेस पार्टी ने इस विवाद को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व ट्विटर) पर आरोप लगाया है कि उसे गृह मंत्री अमित शाह के अंबेडकर से जुड़े बयान को लेकर एक नोटिस प्राप्त हुआ है, जिसमें पार्टी को शाह के बयान से जुड़े वीडियो क्लिप पर की गई पोस्ट्स को हटाने का दबाव बनाया गया है। कांग्रेस का दावा है कि यह नोटिस गृह मंत्रालय के साइबर अपराध समन्वय केंद्र से संबंधित था और उसमें कहा गया था कि ये पोस्ट भारतीय कानून का उल्लंघन कर रही हैं। 

क्या है पूरा मामला?
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब 17 दिसंबर 2024 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान पर एक बहस के दौरान डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में कुछ टिप्पणियाँ की थीं। अमित शाह ने अंबेडकर से जुड़ी कुछ बिंदुओं पर विवादित बयान दिया था, जिससे अंबेडकर समर्थक और कांग्रेस पार्टी काफी नाराज हो गई। अमित शाह के बयान को लेकर कई कांग्रेस सांसदों और नेताओं ने सोशल मीडिया पर इसका विरोध जताया और राज्यसभा में दिए गए उनके बयान का वीडियो शेयर किया। इस वीडियो में गृह मंत्री अमित शाह ने अंबेडकर के योगदान पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की थीं। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि शाह ने अंबेडकर के योगदान को कम करके आंका और उनके योगदान को गलत तरीके से पेश किया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस वीडियो को एक्स (Twitter) पर भी पोस्ट किया। इसके बाद एक्स ने कांग्रेस पार्टी को एक नोटिस भेजा, जिसमें कहा गया कि यह सामग्री भारतीय कानून का उल्लंघन कर रही है और इसे हटाया जाए।

नोटिस में क्या था?
नोटिस में एक्स ने उल्लेख किया कि यह आदेश गृह मंत्रालय के साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा भेजे गए एक नोटिस के आधार पर दिया गया था। साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने कहा था कि इन पोस्टों से संबंधित सामग्री भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) और संबंधित कानूनों का उल्लंघन करती है। इसके तहत, कंपनी को उन पोस्टों को हटाने के लिए कहा गया जो अंबेडकर के खिलाफ अमित शाह के बयान से संबंधित थीं।

कांग्रेस और विपक्षी दलों का विरोध
कांग्रेस ने इस नोटिस को लेकर कड़ी आपत्ति जताई और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह कदम सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा उनके अधिकारों का उल्लंघन करने का हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि यह पूरी घटना लोकतंत्र की आवाज को दबाने का प्रयास है और इसका उद्देश्य अंबेडकर के योगदान को लेकर किसी भी प्रकार की आलोचना को दबाना है। कांग्रेस ने अमित शाह से माफी की मांग की है और यह कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंबेडकर के अपमान के लिए गृह मंत्री को उनके मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे पर बयान दिए और शाह के बयान की निंदा की। 

संसद में हुआ हंगामा
शाह के बयान के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने संसद में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। बुधवार, 18 दिसंबर 2024 को संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर बहस हुई और हंगामा हुआ, जिसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। विपक्षी नेताओं का कहना था कि अमित शाह का बयान अंबेडकर के योगदान का अपमान करता है, और इसे सरकार के उच्चतम स्तर से बिना किसी स्पष्टता के किया गया था। इसके बाद, कांग्रेस और विपक्षी दलों ने यह मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें और शाह से माफी मांगने के लिए कहें। विपक्षी दलों का कहना था कि यह बयान अंबेडकर के प्रति देश के करोड़ों लोगों की श्रद्धा का अपमान है और इसे देशभर में सही तरीके से जवाब दिया जाना चाहिए।

एक्स (Twitter) पर बढ़ते विवाद
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि एक्स (Twitter) सरकार के दबाव में आकर अपने प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक सामग्री को सेंसर कर रहा है। यह पहली बार नहीं है जब एक्स पर इस तरह के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारतीय सरकार के दबाव को लेकर सवाल उठाए गए हैं। कांग्रेस पार्टी ने इसे एक उदाहरण बताया है कि किस तरह से सोशल मीडिया कंपनियां सरकार के दबाव में आकर अपने प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री को हटाती हैं, चाहे वह लोकतंत्र की रक्षा करने वाले नेताओं के बारे में हो या फिर संवैधानिक नेताओं के बारे में। 

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