प्रियंका को वायनाड से उपचुनाव में उतार कर कितनी सफल होगी कांग्रेस !

Edited By Mahima,Updated: 21 Jun, 2024 11:44 AM

congress fielding priyanka in the wayanad

केरल की वायनाड लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी के चुनावी रण में उतरने की संभावना से कांग्रेस उत्साहित है, लेकिन हाल के चुनावों में राहुल गांधी की जीत के अंतर में गिरावट पार्टी संगठन और निर्वाचन क्षेत्र में इसके प्रचार में कई कमियों को दर्शाती है।

नेशनल डेस्क: केरल की वायनाड लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी के चुनावी रण में उतरने की संभावना से कांग्रेस उत्साहित है, लेकिन हाल के चुनावों में राहुल गांधी की जीत के अंतर में गिरावट पार्टी संगठन और निर्वाचन क्षेत्र में इसके प्रचार में कई कमियों को दर्शाती है। राहुल की जीत का अंतर 2019 में 4.31 लाख से गिरकर 2024 में 3.64 लाख हो गया, जबकि कुछ यू.डी.एफ. उम्मीदवारों ने अपने अंतर को दोगुना कर दिया।
 राहुल का वोट शेयर 2019 में 64.64% से घटकर इस बार 59.69% रह गया है।

प्रियंका गांधी का वायनाड से चुनावी रण में उतार कर कांग्रेस दक्षिण भारत में खुद को मजबूत करना चाहती है। दूसरा देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है, इसलिए इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी अब यू.पी. नहीं छोड़ना चाहते। हालांकि यह उपचुनाव के नतीजे ही बताएंगे कि कांग्रेस अपनी रणनीति में में कितनी सफल होती है, चूंकि राजनीति में कुछ भी संभव है।  

तीन विधानसभा क्षेत्रों में वोट की गिरावट
वायनाड लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों में से कलपेट्टा, मनंतावडी और सुल्तान बाथरी विधानसभा क्षेत्रों में राहुल के वोटों में भारी गिरावट आई है। इन तीन विधानसभा क्षेत्रों में राहुल को मिले वोटों में कमी आई है। 2019 के चुनावों के अंतर से तुलना करें तो इस बार राहुल ने 67,328 कम वोटों से सीट जीती है। इसमें से 56,491 वोटों का नुकसान तीन विधानसभा क्षेत्रों से हुआ है, जिनमें से दो पर कांग्रेस के विधायक हैं। इसी दौरान मलप्पुरम जिले के अंतर्गत आने वाले एरनांद विधानसभा क्षेत्र में राहुल के वोट शेयर और मार्जिन में बढ़ोतरी हुई है, जहां कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आई.यू.एम.एल.) की मजबूत उपस्थिति है। हालांकि, मलप्पुरम के वंदूर और नीलांबुर विधानसभा क्षेत्रों में राहुल का मार्जिन 2019 के मुकाबले कम हुआ है।

केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक वी.डी. सतीशन ने कहा कि राज्य ने प्रियंका को पहले ही अपने दिलों में जगह दे दी है। उन्होंने कहा कि राहुल ने ऐसा फैसला लिया है जो रायबरेली और वायनाड दोनों के लोगों को स्वीकार्य है। वह वायनाड से भारी बहुमत से निर्वाचित होंगी। प्रियंका वायनाड के मतदाताओं से परिचित हैं। राहुल के 2019 और 2024 के अभियानों में, वह निर्वाचन क्षेत्र में रैलियों और रोड शो में उनके साथ शामिल हुई थीं।

आई.यू.एम.एल. की राज्य इकाई के अध्यक्ष पनक्कड़ सादिक अली शिहाब थंगल ने कहा कि पार्टी ने कांग्रेस नेतृत्व से आग्रह किया था कि राहुल के सीट खाली करने की स्थिति में प्रियंका को मैदान में उतारा जाए। यह एक ऐसा फैसला है जो केरल में इंडिया ब्लॉक और यूडीएफ को मजबूत करेगा। यह धर्मनिरपेक्षता के भविष्य को सुनिश्चित करेगा। प्रियंका का लोकसभा में होना अपरिहार्य है। लोगों की इच्छा है कि वह वायनाड से चुनाव लड़ें। सी.पी.आई. के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने कहा कि "वायनाड छोड़कर राहुल ने अपने मतदाताओं को धोखा दिया है। सी.पी.आई.  और लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एल.डी.एफ.) प्रियंका के खिलाफ उम्मीदवार पर सामूहिक निर्णय लेंगे। एल.डी.एफ. वायनाड में यू.डी.एफ. को कड़ी टक्कर देगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यह नाटक नहीं करना चाहिए था और पार्टी को अभी भी इंडिया ब्लॉक की राजनीति को आत्मसात करना है।

राहुल गांधी से चुनाव हार चुके राज्य भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन  ने  कहा कि वायनाड के लोग राहुल के इस दावे का अर्थ समझ गए हैं कि वायनाड उनका परिवार है। राहुल का मतलब यह था कि उनकी बहन इस सीट से चुनाव लड़ेंगी। मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस पलक्कड़ विधानसभा सीट पर पार्टी के उम्मीदवार के रूप में राहुल के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा को लाएगी, जहां उपचुनाव होगा। उन्होंने कहा ऐसा निर्णय केरल में कांग्रेस को पूरी तरह से संतुष्ट करेगा।

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक नीरजा चौधरी कहती हैं कि मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी का यह सुनियोजित फ़ैसला किया है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने जिस तरह का प्रदर्शन किया और भाजपा को जिस तरह से नुकसान हुआ, उसे देखते हुए पार्टी संदेश देना चाहती है कि वह उत्तर प्रदेश को कितना महत्व देती है। इसके अलावा अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच का जो स्पष्ट समीकरण है, उसकी अहमियत को भी कम करके नहीं देखना चाहिए। दोनों की आपसी समझ और समीकरण से दोनों पार्टियों को फायदा हुआ है। हां, पहले ऐसा लगता था कि राहुल अपने पास वायनाड ही रखेंगे। ख़ासकर तब जब प्रियंका गांधी रायबरेली में ज़्यादा सक्रिय थीं।

 

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