Edited By Mahima,Updated: 29 Oct, 2024 09:31 AM
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जातियों (SC) के आरक्षण में "कोटे में कोटा" लागू करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री एन. सिद्धारामैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में एक आयोग का गठन किया गया, जो तीन महीने में रिपोर्ट पेश करेगा। सुप्रीम...
नेशनल डेस्क: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत अनुसूचित जातियों (SC) के आरक्षण में "कोटे में कोटा" लागू किया जाएगा। यह निर्णय मुख्यमंत्री एन. सिद्धारामैया की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। यह कदम राज्य में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने और विभिन्न जातियों के बीच आरक्षण के वितरण को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है।
कैबिनेट बैठक का महत्व
कैबिनेट की इस महत्वपूर्ण बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन SC आरक्षण में कोटे में कोटा लागू करने का निर्णय सबसे प्रमुख रहा। इस निर्णय के साथ ही सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि आंतरिक आरक्षण के लिए आवश्यक डेटा संकलित किया जाएगा। डेटा संग्रहण के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि इस मुद्दे पर कोई असमंजस न रहे।
आयोग का गठन
सरकार ने इस निर्णय के साथ ही एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है, जो आंतरिक आरक्षण के मुद्दे पर विस्तृत अध्ययन और रिपोर्ट तैयार करेगा। विधि मंत्री एचके पाटिल ने बताया कि इस आयोग का अध्यक्ष एक रिटायर्ड जज होगा, जिसे इस विषय पर गहन ज्ञान और अनुभव होगा। आयोग को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कार्य सौंपा गया है। यह रिपोर्ट राज्य में आरक्षण नीति के भविष्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
कर्नाटक सरकार के इस निर्णय का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST आरक्षण के कोटे में कोटा को वैध ठहराया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह के आरक्षण के लिए अनुभवजन्य डेटा की आवश्यकता होती है। इस फैसले ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को एक मजबूत आधार प्रदान किया है, जिससे वह अपने निर्णय को लागू कर सके।
मंत्री प्रियंक खरगे का बयान
इस विषय पर पंचायती राज मंत्री प्रियंक खरगे ने कहा कि आयोग के लिए टर्म ऑफ रेफरेंस आने पर सभी सवाल स्पष्ट हो जाएंगे। उनका यह बयान दर्शाता है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से कार्य कर रही है और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सभी जातियों को उनके अधिकार मिले।
पिछली सरकार का रुख
कर्नाटक में पहले की भाजपा सरकार ने इसी विषय पर जस्टिस सदाशिवन आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। सदाशिव आयोग ने अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 15 प्रतिशत कोटे को विभिन्न जातियों में वर्गीकृत करने की सिफारिश की थी। भाजपा सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था, जिससे कई वर्गों में असंतोष पैदा हुआ था। अब कांग्रेस सरकार का यह कदम उन सभी समुदायों के लिए राहत की उम्मीद जगाता है, जो लंबे समय से आरक्षण में भेदभाव का सामना कर रहे हैं।
भविष्य की योजना
कांग्रेस सरकार ने स्पष्ट किया है कि आंतरिक आरक्षण लागू करने के लिए सभी आवश्यक डेटा इकट्ठा किया जाएगा। यह डेटा विभिन्न जातियों के बीच आरक्षण के उचित वितरण के लिए आधार प्रदान करेगा। सरकार का यह कदम सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस निर्णय के माध्यम से कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जातियों के अधिकारों को और मजबूत करने का प्रयास किया है। सरकार का यह कदम भविष्य में सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।
सभी की नजरें आयोग की रिपोर्ट पर हैं, जो अगले तीन महीनों में आएगी। इस रिपोर्ट के बाद यह स्पष्ट होगा कि आगे की प्रक्रिया कैसे होगी और किस प्रकार से आरक्षण की नीति को लागू किया जाएगा। इस निर्णय का राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर बड़ा असर पड़ सकता है, विशेषकर आगामी चुनावों में। कांग्रेस सरकार का यह कदम एक मजबूत संदेश भेजता है कि वह समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों को प्राथमिकता देती है। इससे समाज में एक नई आशा का संचार होगा और यह देखा जाएगा कि कैसे सरकार इस फैसले को लागू करने में सफल होती है।