Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 15 Mar, 2025 05:47 PM

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लिया है, जिससे राजनीतिक माहौल में हड़कंप मच गया है। राज्य सरकार ने मुस्लिम ठेकेदारों को सरकारी निविदाओं में 4 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित किया है।
नेशनल डेस्क: कर्नाटक सरकार ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लिया है, जिससे राजनीतिक माहौल में हड़कंप मच गया है। राज्य सरकार ने मुस्लिम ठेकेदारों को सरकारी निविदाओं में 4 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित किया है। यह फैसला राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई एक कैबिनेट बैठक में लिया गया। इसके साथ ही कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक ग्राम स्वराज और पंचायत राज (संशोधन) विधेयक को भी मंजूरी दी। इस फैसले से जहां एक तरफ मुस्लिम ठेकेदारों में खुशी की लहर है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
कर्नाटक सरकार का बड़ा कदम
कर्नाटक सरकार ने अब सरकारी निविदाओं में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योर्मेंट (KTPP) एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इस बदलाव के बाद, अब एक करोड़ रुपये तक की निविदाओं में मुस्लिम ठेकेदारों को 4 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। यह निर्णय कर्नाटक के मुस्लिम ठेकेदारों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें सरकारी टेंडर हासिल करने में कुछ हद तक सहूलियत हो सकती है। हालांकि, इस फैसले के राजनीतिक और कानूनी पहलू भी हैं, जिन पर बहस हो रही है।
भाजपा का तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप
कर्नाटक सरकार के इस फैसले के बाद, भाजपा ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि कर्नाटक सरकार का यह कदम राहुल गांधी के पूर्ण समर्थन से लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम राहुल गांधी की "मानसिकता" को दर्शाता है और कांग्रेस केवल एक समुदाय को खुश करने के लिए ऐसे फैसले ले रही है। रविशंकर प्रसाद ने कहा, "कर्नाटक सरकार ने इस फैसले को पारित करने से पहले यह सुनिश्चित किया कि राहुल गांधी का पूरा समर्थन हो।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता ऐसे निर्णयों के माध्यम से देश में धार्मिक असंतुलन को बढ़ावा दे रहे हैं।
मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4% आरक्षण
कर्नाटक सरकार द्वारा पारित इस प्रस्ताव के बाद, एक करोड़ रुपये तक की सरकारी निविदाओं में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। इसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के ठेकेदारों को सरकारी ठेकों में समान अवसर प्रदान करना है। कर्नाटक सरकार का कहना है कि इस निर्णय से मुस्लिम ठेकेदारों को सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं, विपक्षी पार्टी भाजपा का कहना है कि यह कदम असंवैधानिक है और धर्म आधारित आरक्षण संविधान के खिलाफ है।
भाजपा ने दी संविधान का हवाला
भा.ज.पा. नेता रविशंकर प्रसाद ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकारी ठेकेों में धर्म आधारित आरक्षण पूरी तरह से असंवैधानिक है। उनका कहना है कि भारतीय संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की अनुमति दी जा सकती है, न कि किसी विशेष धार्मिक समुदाय के लिए सीधे आरक्षण दिया जा सकता है। रविशंकर प्रसाद ने इस फैसले को राष्ट्रीय स्तर पर एक खतरनाक कदम बताया और कहा कि इस तरह के निर्णय राष्ट्र की एकता और अखंडता को खतरे में डाल सकते हैं। उनका कहना था, "स्वतंत्रता संग्राम के दौरान छोटे-छोटे मुद्दों के आधार पर विभाजन हुआ था। इस प्रकार की नीतियां भी भविष्य में किसी बड़े विभाजन का कारण बन सकती हैं।"