Sandeep Dikshit Interview: शीला सरकार में आज से अच्छी थी ​शिक्षा व्यवस्था- संदीप दीक्षित

Edited By Deepender Thakur,Updated: 09 Jan, 2025 12:02 PM

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कांग्रेस के पूर्व सांसद एवं नई दिल्ली विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित (Sandeep Dikshit )  ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की है। पेश हैं विशेष साक्षात्कार के मुख्य अंश...

Delhi Assembly Election 2025 :  कांग्रेस के पूर्व सांसद एवं नई दिल्ली विधानसभा सीट से उम्मीदवार संदीप दीक्षित (Sandeep Dikshit ) ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की है। पेश हैं विशेष साक्षात्कार के मुख्य अंश...

सवाल- पूर्वी दिल्ली में सांसद रहे, अब नई दिल्ली से विधानसभा का चुनाव, नया मैदान है, क्या अनुभव हो रहे हैं? 
जवाब- मैं राजनीतिक परिवार से हूं, माता जी (शीला दीक्षित) के साथ काम किया है। कई चुनाव लड़वाए हैं। विशेष है कि जब मैं 10 साल सांसद रहा हूं तो उसका अनुभव भी अब काम आ रहा है। नगर निगम से कैसे काम लेना है, एनडीएमसी से कैसे काम होंगे, ऐसे ही तीन चार चीजें लेकर हम उतरे हैं। 
 

सवाल- अरविंद केजरीवाल काम की राजनीति का जिक्र करते हैं, आपका क्या कहेंगे?
जवाब- मैं अक्सर कहता हूं कि उन्हें मेरे सामने बिठा दीजिए, उनके तथ्यों पर मैं सच दिखाता जाता हूं। फिर पता चलेगा दस साल में क्या हुआ। इन्होंने किसी भी क्षेत्र में एक पर्सेंट गति भी नहीं बढ़ाई? 
 

सवाल- आप सरकार के एजुकेशन मॉडल, हेल्थ मॉडल, ट्रांसपोर्ट मॉडल की तो चर्चा है?  
जवाब- मैं एजुकेशन की बात करता हूं। ये कहते सबसे ज्यादा खर्च एजुकेशन पर करते हैं, तो बजट बढ़ता है तो ज्यादा खर्च होगा। महत्वपूर्ण है कि जीडीपी रेशियो के मुकाबले आपने क्या खर्च किया, शीला दीक्षित के आखिरी साल में 1.4 प्रतिशत खर्च होता था, अब 1.36 प्रतिशत तो कौन ज्यादा खर्च कर रहा है। हल्ला-प्रचार करने से नहीं होता। कहते हैं क्वॉलिटी ऑफ एजुकेशन अच्छी हो गई, निजी स्कूल से लोग सरकार स्कूल में आ रहे हैं तो बताएं जब शीला दीक्षित आईं थीं तब 64 प्रतिशत बच्चे 12वीं में पास होते थे, जब वे हटी थीं तब 89 प्रतिशत था। इनका 91 से 96 प्रतिशत हुआ है 10 साल में 5 प्रतिशत या 25 प्रतिशत कौन अच्छा है। इनका सरकार का आंकड़ा है कि शीला सरकार के समय 27 प्रतिशत निजी स्कूलों में थे कोरोना से पहले 31 प्रतिशत थे और अभी लगभग बराबर हैं। शीला जी जब आई थीं तब 8 लाख थे, 2013 में 16 लाख बच्चे थे सरकारी स्कूलों में 4.77 प्रतिशत की वृद्धि की गति थी उसके मुताबिक 24 लाख होना चाहिए था, लेकिन यह संख्या करीब 17 लाख ही है। 
 

सवाल- अरविंद केजरीवाल सरकार में कई फ्लाइओवरों, परियोजनाओं में भारी बचत की गई है? 
जवाब- ये सच भी बताता हूं। लोक निर्माण विभाग की वेबसाइट से यह आंकड़ा है। एक परियोजना का डीपीआर 430 करोड़ का बनता है, कैबिनेट फैसला लेती है उसकी तकनीक बदलने की, 2013 में टेंडर होता है, 270 करोड़ का। इन्होंने 290 करोड़ में बनाया, ये कहते हैं कि 430 से 290 करोड़ कर दिया। ये सीधा झूठ परोस रहे हैं। ये सीधे झूठ बोलते हैं। कह रहे हैं कि 10 हजार किलोमीटर सड़कें बनाई हैं, जबकि कुल सड़कें ही 5 हजार सड़कें हैं। इन्होंने रिपेयरिंग की होगी, ये आंकड़ें कहां से लाते हैं, वही जानें। 
 

सवाल- शीला दीक्षित के खिलाफ एक चार्जशीट अरविंद केजरीवाल दिखाते थे, क्या आपने कभी वह देखी? 
जवाब- हां, एक बार भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा कहीं मिले तो उन्होंने बताया कि भाजपा के नेता गए थे कि आपके पास शीला दीक्षित के खिलाफ सबूत हैं उनके खिलाफ केस करिए, जेल भेजिए। उन्होंने मेज की दराज से 360 पेज के सबूत निकाले। इन्होंने पन्ने पलटने शुरू किए, देखा कि उसमें खबरों की कटिंग लगी हुई थी। कोई दस्तावेज नहीं दिखा सके। 
 

सवाल- कांग्रेस द्वारा आम आदमी पार्टी को 2013 में समर्थन देना क्या राजनीतिक चूक थी? 
जवाब- हां, मैं तब समर्थन के पक्ष में नहीं था। 49 दिन की सरकार में मैं हालात बताता हूं कि जब कांग्रेस के लिए अच्छे परिणाम नहीं आए तो सीएम साहिबा ने कहा कि मैं रिटायर होना चाहती हूं। जीते हुए विधायकों ने कहा कि हमें जनता से फीडबैक आया कि हमें उन्हें समर्थन देना चाहिए। इसके बाद विधानसभा भंग हुई और दोबारा मतदान हुआ तो हमारा पूरा वोट उन्हें चला जाएगा। इसी आधार पर शकील अहमद से चर्चा हुई और समर्थन दे दिया। शीला दीक्षित हालांकि इसके पक्ष में नहीं थीं, क्योंकि यह डर था कि ये विधायक टूटकर न चलें जाएं। अब इसे आत्मघाती कहें या बड़ी राजनीतिक चूक, हो गई उस समय। 
 

सवाल- अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनको एंटी नेशनल तक बता दिया, इसके बाद काफी बवाल मचा, क्या कहेंगे? 
जवाब- पहले मैंने यह कहा था, मैं मानता हूं कि हमारे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी निकम्मे हों, झूठे हों, हालांकि भाजपा देशद्रोही शब्द का इस्तेमाल करती है, मैंने कहा था कि ये बहुत टफ शब्द है। लेकिन मैं अजय माकन के बारे में एक बात जानता हूं, वे हवा में बात नहीं करते हैं, उन्होंने कहा है कि सबूत दूंगा, तो जरूर उनके पास कुछ होगा जो देशद्रोह की श्रेणी में आता होगा।
 

सवाल- केजरीवाल को लेकर आप सम्मानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, उन्होंने आपकी मां पर गंभीर आरोप लगाए थे?
जवाब- अपमानजनक था, सुनकर बेचैनी हुई, बुरा लगा। भाजपा भी हमले करती है, मैं भाजपा का समर्थक नहीं हूं लेकिन घटियापन नहीं होना चाहिए। आप तीखा हमला करिए, कई बार हम सब झूठ भी बोल देते हैं, हमले करते हैं। लेकिन इतना घटियापन, इतना नीचे उतर जाना सही नहीं है। सीएम जब निर्भया के लिए शोक जताने जाती हैं तो चप्पल फेंकवा देते हैं। 
आतिशी के बारे जो बोला, मैं उसकी बहुत निंदा करता हूं। लेकिन शुरुआत तो इन्होंने की है। मेरा नेता चोर है, सड़क पर फांसी दे देना चाहिए, शीला दीक्षित को फेंक दीजिए...इन्होंने बहुत गंदे शब्दों का प्रयोग किया, अभी भी करते हैं। जब वो उत्तर पूर्वी दिल्ली से लड़ रही थीं तो इनके एक आदमी ने ये ट्वीट कर दिया कि बुढिया तो घर से निकल नहीं पा रही है...हमने मैम की लाइफ को पब्लिक नहीं किया लेकिन तब उनकी खाना खाते फोटो हमने डाले और कहा कि वे बिल्कुल ठीक हैं। 
 

सवाल- आपके ऊपर आरोप लगे थे कि भ्रष्टाचार की अकूत संपत्ति आपके पास है, कुत्ते का खाना भी तब सरकारी खजाने से आता था, ये तो आरटीआई में पूछा गया था? 
जवाब- कहते थे कि ऑरेंज बसें मेरी हैं, जिसे लगता है बसें मेरी हैं तो पकड़ लो, ले आओ, मैं कुछ नहीं कहूंगा। अरविंद केजरीवाल को कहूंगा आग लगा दो मैं कुछ नहीं कहूंगा। मैं जब सुन-सुन कर थक गया तो मैंने डिम्ट्स (इन बसों का परिचालन करने वाली) को पत्र लिखा कि ये बसें अगर मेरी हैं, तो 10 साल से किराया तो दिया नहीं, अन्यथा यह स्पष्ट कर दो। मैंने एलजी को पत्र लिखा कि मेरे ऊपर ये-ये आरोप हैं, नाम भी लिखे अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, आतिशी, दो-चार पांच...एक आईपीएस थे इनके चहेते। उन्होंने कहा कि मैं दिन में छोटी कार में व रात को पजेरो में घूमता हूं। मैंने कहा वो भी दे दो। मैंने एलजी से कहा, आयकर में घोषित साधनों, आय, संपत्ति कहीं भी एक पिन हो तो सरकार लेकर सार्वजनिक संपत्ति घोषित करे। 
 

सवाल- जिस तरह की बातें हुईं, आपके पास काफी धन-दौलत होगी? 
जवाब- अभी कुछ समय से तो आयकर ही देय नहीं है। मेरे पास मां शीला दीक्षित वाला मकान है, भोपाल में थोड़ी खेती है जो कई दशकों पहले मेरी कमाई से मैंने खरीदी थी। मैं, मेरी पत्नी पढ़ाते हैं और उससे ही घर चलता है। बेटी भी काम करती है उससे उसकी आय है। मानो या न मानो, आज पहली बार बता रहा हूं। क्योंकि मैं अपना जीवन सार्वजनिक करके बेचना नहीं चाहता, मेरे ऊपर इतना घाटा था कि मैंने अपना भोपाल का मकान बेचकर पैसा चुकाया है। अगर मेरे अकूत दौलत होती तो मकान बेचकर घाटा नहीं चुकाता। सारे दस्तावेज मेरे पास हैं। मैं आज भी कह रहा हूं कि जहां मेरी कोई संपत्ति मिल जाए, ले लो, एक रुपए में बेच दूंगा। मैं ये नहीं कह रहा कि मैं बहुत महान हूं, एक सामान्य आदमी हूं। 
 

सवाल- नई दिल्ली से दो सीएम के बेटे और केजरीवाल जो खुद को दिल्ली का बेटा कहते हैं चुनाव मैदान में हैं, क्या अगला सीएम भी नई दिल्ली से होगा? 
जवाब- अगर आम आदमी पार्टी जीतेगी, जिसकी मुझे संभावना नहीं दिखती है, तो भी अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री नहीं बन सकते क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जिन जमानत शर्तों पर उनको छोड़ा है, उसमें न तो फाइल देख पाएंगे, न साइन कर पाएंगे, न अधिकारियों से बैठकें कर पाएंगे तो कोई सीएम शीशमहल में रहने के लिए शपथ नहीं लेता है, इसलिए वह नहीं बनेंगे। जहां तक मेरा प्रश्न है, तो वह हाई कमान तय करेगा। भाजपा की वह जानें। 
 

सवाल-  संसदीय चुनाव में शीला दीक्षित को लाल बिहारी तिवारी ने हराया और आपने लाल बिहारी तिवारी को हराया, अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराया, अब आप यहां लड़ रहे हैं, क्या मां का बदला लेने का संकल्प है? 
जवाब- इतिहास दोबारा दोहराता है तो बहुत अच्छा है। मैं राजनीतिक परिवार से हूं। इसलिए हार-जीत देखी है, जीत अच्छी लगती है और हार बुरी लगती है। हां, दिल में ये जरूर है जिन कारणों से इन्होंने माहौल बनाया, जिस भाषा से इन्होंने हराया, मैं यह नहीं कहूंगा कि बदला लेना है, जवाब जरूर देना है। अच्छा है, मेरे भ्रष्टाचार पर आपने सवाल किए। 
 

सवाल-  आप, भाजपा बहुत हमलावर दिख रही हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस अभी खुलकर लड़ाई में नहीं उतरी है?
जवाब- ऐसा नहीं है, कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। हम तथ्यों, सरकार के कामकाज पर बात करते हैं। तमाम मुद्दों पर अरविंद केजरीवाल को कभी सुना है। कहते हैं-मेरी फाइल साइन नहीं हो रही, मेरा काम नहीं होने दिया। मैं पूछता हूं कि केजरीवाल जी एक काम बता दो जो आपके अधिकार क्षेत्र में फाइल रोकी हो। दिल्ली में कुछ चीजों में फाइल एलजी को जाएगी, कुछ में केंद्र सरकार को जाएगी। कुछ में मीन-मेख करते जो लोकतंत्र में हो सकता है। मुझे कोई ऐसा कारण नहीं मिला। लेकिन जब आपने शराब नीति  बनाई तो क्या भाजपा ने मना किया था? अभी सीएजी की रिपोर्ट में कई बातें सामने आ रही हैं। 
 

सवाल- लेकिन तब दिल्लीवालों को उस शराब नीति एक पर एक फ्री मिली?  
जवाब- देखिए भ्रष्टाचार तब होता है जब राजकोष को नुकसान हो, क्या उसके एवज में राजस्व बढ़ा? देखा गया है कि शराब नीति में जनहित में नहीं व्यक्तिगत हित में पैसा खोया है। 


मैंने सांसद रहते काम किया, नई दिल्ली क्षेत्र में भी करूंगा जनता की सेवा...
10 साल सांसद रहा हूं, मैंने काम किया है, यह नई दिल्ली क्षेत्र में कुछ नहीं कर पाए और अपने फंड तक इस्तेमाल नहीं कर पाए। दिल्ली का जिस प्रकार से सत्यानाश किया है, उससे दिल्ली आज कराह रही है। दिल्ली राजधानी है और अगर सरकार नहीं बदली,  तो दिल्ली खत्म हो जाएगी, इसलिए कांग्रेस को चुनना जरूरी है। किसी भी राजनीति में सभ्यता होती है, हमने हमले किए हैं तो सभ्य तरीके से किए हैं। इन्होंने किसी की तारीफ भी की तो असभ्य तरीके से की, सभ्यता को वापस लाना जरूरी है।  पार्टी का कार्यकर्ता कभी सरकार से लाभ कमाने के लिए नहीं होता। इन्होंने लाखों रुपए की सैलेरी दिलवा दी, यह भ्रष्टाचार का एक तरीका है, उसे खत्म करना है। हमारे ऊपर लगे आरोपों की 10 साल में सब जांच हो गई होंगी। भाजपा के पास कई एजेंसियां हैं, आप के पास दिल्ली में लोकायुक्त है। वह जांच करवा लेते, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया। मैं इस 10 साल में पाक साफ साबित हुआ हूं। 

 

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