Edited By Mahima,Updated: 09 Oct, 2024 03:07 PM
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार के बाद दो बड़े झटके लगे। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया, जबकि समाजवादी पार्टी ने यूपी उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की। शिवसेना और सीपीआई ने कांग्रेस की रणनीति पर सवाल...
नेशनल डेस्क: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस पार्टी के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। 90 विधानसभा सीटों में से 48 पर भाजपा ने जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस को केवल 37 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। इस हार ने कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति और उसके सहयोगी दलों के साथ संबंधों पर सवाल उठाए हैं। चुनाव के नतीजों के बाद, कई सहयोगी दलों ने कांग्रेस पर निशाना साधा है, जिससे उसकी स्थिति और भी कमजोर हो गई है।
आम आदमी पार्टी का बड़ा ऐलान
आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव परिणामों के तुरंत बाद बड़ा ऐलान किया है। AAP की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, "हम पिछले 10 वर्षों में दिल्ली में जो किया है, उसके आधार पर चुनाव लड़ेंगे। एक तरफ ओवर कॉन्फिडेंट कांग्रेस है, तो दूसरी तरफ अहंकारी भाजपा।" इससे पहले, हरियाणा चुनाव से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस और AAP मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अंततः दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया।
समाजवादी पार्टी का उम्मीदवारों का ऐलान
हरियाणा चुनाव परिणामों के अगले दिन समाजवादी पार्टी (सपा) ने यूपी के उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इस सूची में छह उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं, जिनमें प्रमुख हैं तेज प्रताप यादव, अजीत प्रसाद, नसीम सोलंकी, मुस्तफा सिद्दकी, डॉ. ज्योति बिंद, और शोभावती वर्मा। इनमें से अधिकांश उम्मीदवार पिछड़े और दलित समुदाय से हैं। सपा की यह घोषणा कांग्रेस के लिए एक और झटका है, क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच सीटों पर समझौते को लेकर बातचीत चल रही थी।
शिवसेना और सीपीआई की प्रतिक्रियाएं
शिवसेना ने सामना में कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा की हार से महाराष्ट्र की कांग्रेस को सबक लेना चाहिए। शिवसेना ने यह आरोप लगाया कि कांग्रेस ने गठबंधन के बिना चुनाव लड़कर अपनी हार को खुद न्योता दिया। शिवसेना ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में गठबंधन का फायदा दिखाई दिया, लेकिन हरियाणा में कांग्रेस का ओवर कॉन्फिडेंस और राज्य नेतृत्व का अहंकार इसके हार का मुख्य कारण था। वहीं, सीपीआई नेता डी राजा ने कहा, "इंडिया गठबंधन ने एकसाथ चुनाव नहीं लड़ा, जिसका बीजेपी को फायदा हुआ। हमें गंभीरता से विचार करना होगा कि ऐसा क्यों हुआ। अगर हम एकजुट रहते, तो बीजेपी की सरकार नहीं बनती।"
मनीष सिसोदिया का बयान
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हरियाणा के लोग बीजेपी को हराना चाह रहे थे, लेकिन कांग्रेस में कमी रह गई। उन्होंने कांग्रेस को आत्ममंथन करने की सलाह दी, यह बताते हुए कि एकजुटता की कमी के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा।
चुनाव परिणाम की समीक्षा
हरियाणा की चुनावी स्थिति को देखते हुए, कांग्रेस को अपने सहयोगियों के साथ संबंधों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। भाजपा की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस को अपनी रणनीति में सुधार करने की जरूरत है। इसके साथ ही, हरियाणा में भाजपा ने अपनी स्थिति को मजबूत किया है, जो आगामी चुनावों में कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन सकता है। कुल मिलाकर, हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम ने कांग्रेस के सामने नई चुनौतियां पेश की हैं, और पार्टी को अपनी रणनीति में सुधार करने और अपने सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आगामी चुनावों में कांग्रेस को अपने आधार को मजबूत करने के लिए गंभीरता से काम करना होगा।