आंबेडकर पर शाह के बयान को लेकर कांग्रेस का कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन, इस्तीफे की मांग

Edited By Rahul Singh,Updated: 24 Dec, 2024 08:08 PM

congress protests in many states over shah s statement on ambedkar

कांग्रेस ने बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिये गए कथित विवादास्पद बयान को लेकर मंगलवार को ओडिशा, असम, तेलंगाना, झारखंड और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया और उनके इस्तीफे की मांग की।

भुवनेश्वर/हैदराबाद : कांग्रेस ने बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिये गए कथित विवादास्पद बयान को लेकर मंगलवार को ओडिशा, असम, तेलंगाना, झारखंड और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया और उनके इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस की ओडिशा इकाई ने मंगलवार को राज्य भर में ‘आंबेडकर सम्मान मार्च' निकाला। आंबेडकर के पोस्टर और तस्वीरें लेकर कांग्रेस नेताओं और समर्थकों ने भुवनेश्वर, कोरापुट, ढेंकनाल और मल्कानगिरी में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने शाह पर पिछले हफ्ते राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में कांग्रेस नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम), भुवनेश्वर के माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें शाह से माफी और इस्तीफे की मांग की गई है। 

PunjabKesariइस्तीफे की मांग करते हुए सौंपा ज्ञापन

इस बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की भुवनेश्वर इकाई ने भी इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया और शाह का पुतला जलाया। माकपा के राज्य सचिव सुरेश पाणिग्रही ने गृह मंत्री की टिप्पणियों की निंदा करते हुए इसे ‘अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण, आदिवासी विरोधी और दलित विरोधी' करार दिया। कांग्रेस की झारखंड इकाई ने शाह की हालिया टिप्पणी के विरोध में सभी जिला मुख्यालयों में मार्च निकाला। ‘बाबासाहेब आंबेडकर सम्मान मार्च' रैली यहां कांग्रेस मुख्यालय से निकाली गई और जिला कलक्ट्रेट पर संपन्न हुई। बैनर और पोस्टर लिए पार्टी कार्यकर्ताओं ने शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे भी लगाए। रांची में झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने मार्च की शुरुआत से पहले डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए रांची के उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा। 

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कमलेश ने कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है कि जिस गृह मंत्री पर संविधान की रक्षा की जिम्मेदारी है, वह संविधान के निर्माता का अपमान कर रहे हैं।'' पार्टी की तेलंगाना इकाई ने भी शाह के बयान के विरोध में हैदराबाद में मार्च निकाला। तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ और पार्टी के अन्य नेताओं ने विरोध शुरू करने से पहले हुसैन सागर झील पर आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि दी। भाजपा और अमित शाह के खिलाफ नारे लगाते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हैदराबाद जिला कलेक्टर कार्यालय तक मार्च किया। कांग्रेस ने कहा कि अमित शाह देश के गृह मंत्री बने रहने के लायक नहीं हैं और उन्हें संविधान और इसके मुख्य वास्तुकार भीमराव आंबेडकर के प्रति अपनी ‘नफरत' के लिए या तो इस्तीफा दे देना चाहिए या बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। कांग्रेस महासचिव जी ए मीर ने श्रीनगर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पूरा देश, कांग्रेस पार्टी और ‘इंडिया' गठबंधन मिलकर मांग कर रहे हैं कि अमित शाह को देश के गृह मंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि जो व्यक्ति गृह मंत्री की कुर्सी पर बैठता है उसे संविधान की रक्षा करनी होती है।'' मीर ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि शाह को गृह मंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें या तो खुद इस्तीफा दे देना चाहिए या राष्ट्रपति को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। इसके बाद शाह को देश से माफी मांगनी चाहिए।'' 

PunjabKesariशाह के बयान ने RSS और हिंदू महासभा की असली तस्वीर दिखाई

कांग्रेस की असम इकाई ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की कथित टिप्पणी के खिलाफ उनका विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक वह सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते और इस्तीफा नहीं देते। असम कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा, लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई और नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया के नेतृत्व में गुवाहाटी, तेजपुर और गोलपारा और अन्य स्थानों पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। गोगोई ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जब अमित शाह ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की, तो इसने वास्तव में आरएसएस और हिंदू महासभा की असली तस्वीर दिखाई। इन दोनों संगठनों ने कभी भी भारतीय संविधान को मान्यता नहीं दी।'' 

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